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सबसे पुरानी सभ्यता देखी जा सकती है हमारे देश के हिसार जिले के राखी गढ़ी में…

राखीगढ़ी के संबंध में नए तथ्य सामने आए हैं, इनके मुताबिक अब तक इसे पांच हजार साल पुरानी हड़प्पा कालीन सभ्यता ही बताया जा रहा था, लेकिन अब टीला नंबर सात पर मिले कंकालों के नीचे खोदाई की गई तो वहां पर चूल्हा सहित अन्य काफी अवशेष मिले. इनकी कार्बन डेटिंग करवाई गई तो यह आठ हजार साल पुरानी सभ्यता होने पर मोहर लग गई. और राखी गढ़ी के इतिहास के पन्ने पर यह दर्ज हो गया कि सबसे पुरानी सभ्यता हमारे राष्ट्र के हिसार जिले के गांव राखी गढ़ी में देखी जा सकती है. राखी गढ़ी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली द्वारा 2023 में टीलें नंबर सात पर खोदाई की गई थी. उसे समय तीन कंकाल मिले थे. उन कंकालों को डीएनए जांच के लिए भेजा गया था. लेकिन रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है. पुरातत्व विभाग ने कंकालों के नीचे की तरफ खोदाई की तो और नए तथ्य सामने आए. खोदाई के दौरान एक चूल्हा, हारा, पोटरी, चारकोल (कोयला) ईंटों की दीवार के अवशेष मिले. पुरातत्व विभाग के ऑफिसरों को आभास हो गया था कि यह सभ्यता और भी अधिक पुरानी हो सकती है. उन्होंने इन अवशेषों को भारतीय भूतत्व सर्वेक्षण विभाग नयी दिल्ली में कार्बन डेटिंग के लिए भेज दिया. जब कार्बन डेटिंग की रिपोर्ट आई तो चौंकाने वाला रहस्य खुलासा हुआ. जिस सभ्यता पर कंकालों के डीएनए के बाद करीब पांच साल पुरानी सभ्यता होने की मोहर लगी थी, उसके अब करीब आठ हजार साल पुरानी सभ्यता होने के सबूत मिले हैं.

क्या है कार्बन डेटिंग

खोदाई के दौरान जो भी अवशेष निकलते हैं. उनको जांचने के लिए कार्बन डेटिंग की जाती है. उसके लिए सभी अवशेषों के टुकड़े और उनके पास की मिट्टी भी उठाई जाती है. इस दौरान पूरी सावधानी बरती जाती है. अवशेषों में किसी भी दूसरी मिट्टी के कण इसमें ना मिल जाएं. इस पूरी प्रक्रिया के बाद सभी अवशेषों को कार्बन डेटिंग के लिए भेज दिया जाता है. हमारे राष्ट्र के काफी शहरों में कार्बन डेटिंग की जाती है. टीले सात पर खोदाई के दौरान मिले अवशेषों को दिल्ली में कार्बन डेटिंग के लिए भेजा गया था. उनकी रिपोर्ट मिली है कि भेजे गए अवशेष करीब आठ साल पुराने हैं.

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