टॉप-10 कंपनियों में 7 का मार्केट-कैप 1.6 लाख करोड़ गिरा
जनवरी के अंतिम व्यवसायी सप्ताह में बाजार कैपिटलाइजेशन के लिहाज से राष्ट्र की टॉप-10 कंपनियों में 7 का मार्केट-कैप ₹1.6 लाख करोड़ गिर गया है। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा और गणतंत्र दिवस की छुट्टी के चलते सिर्फ़ 3 दिन चले व्यवसायी सप्ताह में HDFC बैंक सबसे बड़ा लूजर रहा है।इस दौरान इसका बाजार कैप ₹32,661 करोड़ गिरकर ₹10.90 लाख करोड़ रह गया है। वहीं भारती एयरटेल इस दौरान टॉप गेनर रही। इसके बाजार वैल्यू में ₹20,728 की बढ़ोतरी हुई है। कंपनी का बाजार कैप ₹6.52 लाख करोड़ हो गया है।
LIC की वैल्यूएशन ₹20,683 करोड़ गिरा LIC का बाजार कैप ₹20,683 करोड़ गिरकर ₹5.71 लाख करोड़ रह गया है। वहीं TCS का बाजार कैप ₹19,173 करोड़ गिरकर ₹13.93 लाख करोड़ रह गया है। इसके अतिरिक्त स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया (SBI), ITC, HUL और रिलायंस इंडस्ट्री के बाजार कैप में गिरावट रही है।
तीन कंपनियों की वैल्यू ₹31,017 करोड़ बढ़ी भारती एयरटेल के अतिरिक्त इंफोसिस और ICICI बैंक का बाजार कैप भी बढ़ा है। इंफोसिस का बाजार वैल्यू ₹9,152 करोड़ बढ़कर ₹6.93 लाख करोड़ हो गया है। वहीं ICICI बैंक का बाजार कैप ₹1,137 बढ़कर ₹ 7.09 लाख करोड़ हो गया है। इन तीनों कंपनियों के बाजार वैल्यू में टोटल ₹31,017 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है।
बीते सप्ताह सेंसेक्स में 982.56 अंक की गिरावट रही
शेयर बाजार में 25 जनवरी को गिरावट देखने को मिली थी। सेंसेक्स 359 अंक की गिरावट के साथ 70,700 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में भी 101 अंक की गिरावट रही थी। ये 21,352 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 19 में तेजी और 11 में गिरावट देखने को मिली है। IT, फार्मा और मेटल शेयर्स में गिरावट है। बीते सप्ताह सेंसेक्स में 982.56 अंक या 1.37% की गिरावट रही।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो अभी उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है। बाजार कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की मूल्य से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी यदि शेयर का रेट बढ़ेगा तो बाजार कैप भी बढ़ेगा और शेयर का रेट घटेगा तो बाजार कैप भी घटेगा।
मार्केट-कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में फायदा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर बाजार कैप भी होता है। निवेशक बाजार कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का बाजार कैप जितना अधिक होता है, उसमे निवेश करना उतना ही सुरक्षित माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के मुताबिक स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती हैं। इसलिए बाजार कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती ह