बिज़नस

नेस्ले की इस लापरवाही को लेकर सरकार ने सख्त

Nestle: वर्ष 2015 में 2 मिनट में बनने वाली मैंगी में अतिरक्त एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट)  लेकर प्रश्नों के घेरे में आई स्विट्जरलैंड की कद्दावर कंपनी नेस्ले  ( Nestle) एक बार फिर से विवादों में है स्विट्जरलैंड की कंपनियों पर नज़र रखने वाली वेबसाइट ‘पब्लिक आई’ ने अपनी जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं जांच के बाद पाया गया कि नेस्ले हिंदुस्तान में बेचे जाने वाले अपने बेबी प्रोडक्ट्स में  जरुरत से अधिक मात्रा में चीनी का इस्तेमाल करती है कंपनी हिंदुस्तान में बिकने वाले अपने बेबी प्रोडक्ट्स में  अधिक चीनी का इस्तेमाल करती हैं, जबकि इन्ही प्रोडक्ट्स को यूरोप, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे विकसित राष्ट्रों में बिना चीनी के बेचा जाता है हिंदुस्तान को लेकर कंपनी के भेदभाव वाले रवैये ने अब उसकी कठिन बढ़ दी है अगर FSSAI की जांच में कंपनी गुनेहगार पाई जाती है तो उसपर कार्रवाई हो सकती है

नेस्ले के हिंदुस्तान में बिकने वाले बेबी फूड प्रोडक्ट्स, खासकर बच्चों के दूध और सेरेलैक में चीनी की अतिरिक्त मात्रा का इस्तेमाल किया जा रहा है नेस्ले की इस ढिलाई के चलते बच्चों में मोटापे और दूसरी रोंगों का खतरा बढ़ रहा है अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए नेस्ले हिंदुस्तान समेत गरीब और विकासशील राष्ट्रों में चीनी मिले प्रोडक्ट्स बेच रहा है, जबकि ब्रिटेन, यूरोप और जर्मनी जैसे राष्ट्रों में उन प्रोडक्ट्स में चीनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के राष्ट्रों में नेस्ले के दोहरे मापदंड ने कंपनी की पोल खोल दी है अपनी ढिलाई से नेस्ले हिंदुस्तान के बच्चों की स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है

गरीब राष्ट्रों के बेबी फूड प्रोडक्ट्स में चीनी क्यों?

पब्लिक आई की रिपोर्ट ने नेस्ले की पोल खोल दी है कंपनी गरीब राष्ट्रों में बच्चो के प्रोडक्ट्स में अधिक चीनी मिलाती है, जबकि विकसित राष्ट्रों में चीनी की मात्रा न के बराबर या एकदम भी नही है इतना ही नहीं कंपनी अपने प्रोडक्ट्स पर इस बात की जानकारी तक नहीं देती विटामिन, मिनिरल्स की डिटेल तो उपस्थित होती है, लेकिन प्रोडक्ट में उपस्थित चीनी की जानकारी नहीं बताई जाती है कंपनी के इस रवैये से हिंदुस्तान समेत उन राष्ट्रों के बच्चों के स्वास्थ्य को हानि पहुंच रहा है, जहां इन प्रोडक्ट को बेचा जा रहा है  हिंदुस्तान में नेस्ले के सैरेलेक के हर चम्मच में 3 से 4 ग्राम चीनी है जबकि स्विजरलैंड, ब्रिटेन, यूरोप जैसे राष्ट्रों में ये मात्रा जीरो है  वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेश के निर्देशों के अनुसार 3 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के खाने में चीनी की मात्रा उन्हें मोटापे, मेंटल हेल्थ, व्हाइट ब्लड सेल्स का कमजोर होना, खराब इम्यूनिटी, दातों की कैविटीज जैसे हेल्थ प्रॉब्लम दे सकती हैं

भारत बड़ा बाजार, फिर भी ऐसा बर्ताव

ऐसा नहीं है कि हिंदुस्तान नेस्ले के लिए छोटा बाजार है वर्ष 2022 में नेस्ले में हिंदुस्तान में करीब 20,000 करोड़ रुपए से अधिक का केवल बेबी फूड सैरेलेक बेचासाल 2022 में नेस्ले ने पूरे विश्व में 1 अरब $ से अधिक के सैरेलेक बेचे, जिसमें हिंदुस्तान और ब्राजील री हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक की थी हिंदुस्तान में सैरेलेक बच्चों के लिए यह कंप्लीट फूड के तौर पर सेल किया जाता है

बॉर्नविटा पर भी कार्रवाई

नेस्ले ही नहीं बॉर्नविटा ने भी हिंदुस्तान के साथ ऐसा ही कुछ किया हिंदुस्तान में लोग बॉर्नविटा को ‘हेल्थ ड्रिंक’ समझकर पीते रहे हैं इसके विज्ञापनों में भी इसे हेल्थ ड्रिंक के तौर पर दिखाया गया, लेकिन NCPCR ने अपनी जांच में पाया कि बॉर्नविटा में चीनी की मात्रा बहुत अधिक है जिसके बाद NCPCR ने आदेश दिया कि ब्रांड को अपने गुमराह करने वाले विज्ञापन वापस लेने होंगे वहीं इसके प्रोडक्ट को हेल्थ ड्रिंक कैटेगरी से बाहर कर दिया गया

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