Elon Musk भारत आ रहे हैं तो चीन को लग गई मिर्ची
नई ईवी पॉलिसी से बनी बात
पिछले महीने गवर्नमेंट द्वारा घोषित अपनी नयी ईवी पॉलिसी के बाद एलन मस्क टेस्ला की हिंदुस्तान में एंट्री की घोषणा कर सकते हैं. गवर्नमेंट न्यूनतम $35,000 (₹29.2 लाख) की लागत, बीमा और माल ढुलाई मूल्य वाली पूरी तरह से निर्मित इलेक्ट्रिक कारों के आयात की अनुमति देगी, जिस पर लोकल मैन्युफैक्चरिंग प्रारम्भ करने के लिए न्यूनतम 500 मिलियन $ के निवेश के बदले पांच वर्ष में 15% आयात शुल्क लगेगा. हिंदुस्तान पूरी तरह से निर्मित कारों पर 100% तक का आयात शुल्क लगाता है.
चीन को लगी मिर्ची
लेकिन चीन को टेस्ला की हिंदुस्तान में संभावित एंट्री पसंद नहीं आ रही है. चीनी गवर्नमेंट के मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने हिंदुस्तान के टेस्ला को आमंत्रित करने के महत्वाकांक्षी कदम पर यह भविष्यवाणी करके रोक लगा दी है कि यह काम नहीं करेगा, क्योंकि यह बहुत जल्दबाजी में लिए गए निर्णय जैसा लगता है, जो कि बहुत कम तैयार और अपरिपक्व भारतीय बाजार के लिए उपयुक्त नहीं है. यह निराशाजनक टिप्पणी इस बात को नजरअंदाज करती है कि कई बड़े चीनी ईवी मैन्युफैक्चरर्स ने पहले हिंदुस्तान में ईवी बनाने में रुचि दिखाई थी, लेकिन हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने उन्हें अनुमति नहीं दी थी. सीमा विवादों के कारण भारत-चीन संबंध खराब हो गए हैं, जिन्हें लेकर पहले झड़पें भी हो चुकी हैं. हिंदुस्तान ने चीनी निवेश की गहन जांच की है और कई चीनी बिजनेसेस की गलत कार्यों के लिए जांच की है.
टेस्ला हिंदुस्तान में नहीं होगी सक्सेस : ग्लोबल टाइम्स
ग्लोबल टाइम्स का बोलना था टेस्ला हिंदुस्तान में सक्सेसफुल नहीं होगी. उसने लिखा, “टेस्ला मुख्य रूप से मिड एंड हाई एंड सेक्टर्स और मैच्योर मार्केट्स पर फोकस करता है. किसी को नहीं पता कि वह हिंदुस्तान में सफल होगा या नहीं. हालांकि, हिंदुस्तान का ईवी बाजार बढ़ रहा है, लेकिन इसका आकार छोटा है. कुछ आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 में हिंदुस्तान में बिकने वाले कुल यात्री वाहनों में ईवी का केवल 2.3 प्रतिशत हिस्सा था.” लेख में प्रश्न किया गया कि क्या हिंदुस्तान का अपरिपक्व बाजार पर्याप्त टेस्ला कारों को पचा सकता है और उन्हें फायदा कमाने दे सकता है. इसमें सप्लाई चेन को एक और चुनौती के रूप में कहा गया. ग्लोबल टाइम्स ने कहा, “ईवी के लिए लिथियम-आयन बैटरी जैसे प्रमुख घटकों के सीमित घरेलू उत्पादन सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. हिंदुस्तान ईवी सप्लाई चेन बनाने के कोशिश में अपेक्षाकृत देर से प्रारम्भ कर रहा है.”
अंगूर खट्टे हैं…
लेख में हिंदुस्तान को “यथार्थवादी” दृष्टिकोण अपनाने की राय दी गई. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, “इस प्रक्रिया में यह राय दी जाती है कि हिंदुस्तान पड़ोसी राष्ट्रों के साथ योगदान को मजबूत करने और अधिक व्यावहारिक रवैये के साथ विनिर्माण विकास को बढ़ावा देने पर विचार करे.” इस तरह ग्लोबल टाइम्स चाहता है कि हिंदुस्तान टेस्ला के बजाय चीनी कंपनियों द्वारा ईवी का निर्माण करे. ग्लोबल टाइम्स ने अपने लेख में जो चुनौतियां गिनाई वे टेस्ला के कारोबार को खतरे में डालने वाली चीजें नहीं हैं. वास्तव में चीनी तर्क ‘अंगूर खट्टे हैं’ का एक परफेक्ट उदाहरण है. क्योंकि कई चीनी ईवी कंपनियों ने हिंदुस्तान में प्लांट लगाने का कोशिश किया, लेकिन हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने अनुमति नहीं दी.