राजकोट में 2000 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा नया डेयरी प्लांट
अमूल ब्रांड के अनुसार अपने दूध उत्पाद बेचने वाले गुजरात सहकारी दूध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) ने बोला है कि दूध की कीमतों में और बढ़ोतरी की कोई आसार नहीं है। जीसीएमएमएफ के व्यवस्था निदेशक जयेन एस मेहता ने आज बोला कि अच्छी मानसूनी बारिश के बाद दूध की खरीद में सुधार होने की आशा है। ऐसे में दूध के मूल्य में और बढ़ोतरी की आशा नहीं है।
मेहता ने कहा, “गुजरात में समय पर मानसून आने के कारण इस वर्ष स्थिति बहुत अच्छी है, कम से कम इसका मतलब है कि उत्पादकों पर फ़ीड लागत के लिए अधिक दबाव नहीं है, और हम दूध खरीद के अच्छे चरण में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए हमें आशा नहीं है।” अगली बार कोई बढ़ोतरी। उन्होंने यह बात इस प्रश्न के उत्तर में कही कि क्या अगले कुछ महीनों में कीमतों में कोई बढ़ोतरी होगी। निवेश योजनाओं पर उन्होंने बोला कि वे हर वर्ष लगभग 3,000 करोड़ रुपये का निवेश करते हैं और यह अगले कई सालों तक जारी रहेगा।
राजकोट में 2000 करोड़ की लागत से नया डेयरी प्लांट बनाया जाएगा
जयेन मेहता ने कहा, “दूध आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ प्रसंस्करण सुविधाओं के विस्तार की जरूरत को ध्यान में रखते हुए, हम राजकोट में एक नए डेयरी संयंत्र की घोषणा करेंगे। क्षमता प्रति दिन 20 लाख लीटर से अधिक होगी और नयी पैकेजिंग और प्रसंस्करण भी होगी।” इकाई। उन्होंने बोला कि राजकोट की इस परियोजना में कम से कम 2,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा, जबकि कई अन्य परियोजनाएं भी चल रही हैं।
दूध राष्ट्र के 10 करोड़ से अधिक परिवारों की आजीविका का साधन है
यूरोपीय संघ (ईयू) जैसे कुछ व्यापारिक साझेदारों द्वारा मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के अनुसार इस क्षेत्र में आयात शुल्क में छूट के बारे में पूछे जाने पर मेहता ने बोला कि दूध राष्ट्र में 10 करोड़ से अधिक परिवारों के लिए आजीविका का साधन है और अधिकतर उत्पादक हैं। छोटे और सीमांत किसान।
उन्होंने कहा, यदि विकसित राष्ट्र अपने अधिशेष उत्पादन को हमारे राष्ट्र में डंप करना चाहते हैं, तो यह हमारे किसानों के लिए एक परेशानी हो सकती है और अमूल ने गवर्नमेंट के सामने कई बार यह बात कही है। उन्होंने बोला कि गवर्नमेंट भी इसे अहम मामला मानती है और इसीलिए डेयरी सेक्टर को सभी एफटीए से बाहर रखा गया है।
उन्होंने कहा, हिंदुस्तान यूरोपीय ‘पनीर’ जैसे डेयरी उत्पादों के आयात को 30 फीसदी शुल्क पर अनुमति देता है। वे राष्ट्र इस तरह की पहल करते नजर नहीं आ रहे हैं। यूरोपीय संघ को डेयरी उत्पादों का निर्यात करना मुश्किल है। अमेरिका में 60 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक ड्यूटी लगाई जाती है। यहां एक फीसदी शुल्क है और हिंदुस्तान एक खुला बाजार है, लेकिन यहां हम नहीं चाहते कि उनका अधिशेष सस्ती दरों पर हमारे राष्ट्र में आये और हमारे छोटे किसानों की आजीविका को हानि पहुंचाये।