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मनोज बाजपेयी ने 7 साल बाद बताया कि फिल्म ‘गली गुलियां’ शूटिंग के दौरान गुजरे किन चीजों से…

साल 2017 में रिलीज हुई फिल्म ‘गली गुलियां’ को IMDb पर 10 में से 7 की रेटिंग मिली थी. छोटे बजट वाली इस फिल्म के लिए मनोज बाजपेयी ने कड़ी मेहनत की थी और अब लगभग 7 वर्ष के बाद उन्होंने कहा कि इस इस मूवी की शूटिंग के दौरान वो किन चीजों से गुजरे. फिल्म को इतने समय बाद भी जो चीज देखने लायक बनाती है, वो है इसमें मनोज बाजपेयी का काम. डायरेक्टर दिपेश जैन ने इस फिल्म में मनोज बाजपेयी को अधिक लाइन्स नहीं दी थीं, ऐसे में उन्हें अपनी अभिनय पर ही निर्भर रहना था.

प्रभावित हुई थी मनोज की मेंटल हेल्थ

फिल्म में खुद्दुस का भूमिका निभाते हुए मनोज काफी हद तक इसमें उतर गए थे. खुद्दुस पुरानी दिल्ली की गलियों में भटकने वाला एक शख्स है जो भीड़-भाड़ वाले शहर की गलियों में अकेलेपन में जी रहा है. जो चीज उसे बाहर की दुनिया से जोड़ती है वो हैं एक कमरे में लगे सीसीटीवी कैमरों की स्क्रीन्स जिनके जरिए वो देखता है कि बाहर क्या हो रहा है. इसके अतिरिक्त उसकी जीवन में केवल अकेलापन है. भूमिका में उतरने की प्रयास में मनोज बाजपेयी की मेंटल हेल्थ को प्रभावित किया था. एक समय तो ऐसा भी था जब वो नर्वस ब्रेकडाउन तक पहुंच गए थे.

सुनाई देती थी सीटियों जैसी आवाज

मनोज बाजपेयी ने एक पॉडकास्ट में राज शमानी के साथ वार्ता के दौरान कहा कि उन्हें बेहिसाब स्ट्रेस होता था जिसके लिए वो नींद की गोलियां लेने लगे थे. मनोज ने बताया, “मैं इसमें इतना गहरा उतर गया था कि मुझे मेरे दिमाग में सीटियों जैसी आवाज सुनाई देती थी. शूटिंग के 26वें दिन मैंने अपने डायरेक्टर से बोला कि मेरी सहायता कीजिए, मैं कठिनाई में हूं. चिकित्सक ने उन्हें कहा कि यह सब नर्वस ब्रेकडाउन के लक्षण हैं. उन्होंने मुझे नींद की गोलियां दीं और मैं लगातार 2 दिन तक नींद में चला गया.

लगने लगा था कि पागल हो जाऊंगा

मनोज बाजपेयी ने कहा कि यह उनका निभाया अभी तक का सबसे कठिन भूमिका था. जिसे करते हुए उन्हें लगा कि वो पागल हो जाएंगे. लेकिन उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था. यही वो रास्ता था जिससे उस रोल को करने के लिए गुजरना था. गली गुलियां मुझे सबसे चुनौतीपूर्ण भूमिका तक ले आई थी. एक ऐसा भूमिका निभाना था जो दिमागी रूप से बहुत अकेलेपन में है और वास्तविकता पर अपनी पकड़ खोने लगा है. यह रोल करने के लिए मनोज को स्वयं भी असली दुनिया से कटना पड़ा था.

 

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