सुहानी की मां से जानें कि उनकी बेटी में क्या दिखा था पहला लक्षण…
दंगल अदाकारा सुहानी भटनागर की मृत्यु एक रेयर स्किन डिसीज की वजह से हुई। ऐसी रोग जो कम लोगों को होती है लेकिन बहुत घातक है। सुहानी 19 वर्ष की थीं। उनके मां-बाप को लग रहा था कि कोई साधारण स्किन की परेशानी है। लक्षण 2 महीने पहले दिखे। रोग का पता 10 दिन पहले चला और सुहानी नहीं बच पाईं। सुहानी की मां ने कहा कि उनकी बेटी में पहला लक्षण क्या दिखा था। उपचार के दौरान इन्फेक्शन हुआ और पूरी बॉडी में फैल गया।
फैल गई थी सूजन
दंगल की छोटी बबीता फोगाट इस दुनिया में नहीं हैं, बस उनकी यादें बाकी हैं। उनके पेरेंट्स सदमे में हैं। उनकी बेटी की लाइजलाज रोग डर्मैटोमायोसाइटिस (Dermatomyositis) हो गई थी। सुहानी के पिता ने इण्डिया टुडे को बताया, करीब 2 महीने पहले उन्हें इस रोग के के लक्षण दिखे थे। सुहानी के हाथों में सूजन दिखाई दी थी। यह सूजन शरीर में फैल गई।
पेरेंट्स समझे स्किन डिसीज
बीमारी की पहचान होने से पहले सुहानी की स्किन पर चकत्ते दिखाई दिए थे तो उनके माता-पिता को लगा कि कोई स्किन की रोग है। उसे डर्मैटोलॉजिस्ट को दिखाया गया लेकिन लाभ नहीं हुआ। सूजन फैलने पर सुहानी को एम्स ले गए। हॉस्पिटल में सुहानी को छोटा सा इन्फेक्शन हुआ। इसके बाद उसके शरीर में फ्लूड फैल गया। यह उनके फेफड़ों तक जा पहुंचा। सुहानी वेंटिलेटर पर थी लेकिन उसका ऑक्सीजन लेवल बुरी तरह डाउन हो गया था।
10 दिन पहले पता चली बीमारी
सुहानी को स्टेरॉयड्स दिए जा रहे थे जिस वजह से इम्यून सिस्टम वीक हो गया था। 17 तारीख की शाम को डॉक्टर्स ने उनके पिता को कहा कि सुहानी इस दुनिया में नहीं हैं। सुहानी को क्या परेशानी है यह 10 दिन पहले ही पता चल पाया था और उपचार के बीच ही कॉम्प्लिकेशन बढ़ने पर उनकी जान चली गई।
लक्षण
स्किन पर पर्पल-रेड कलर के रैशेज
शरीर पर सूजन
निगलने में परेशानी होना
मसल्स वीक होना या दर्द होना
सांस लेने में परेशानी होना
बैठे-बैठे उठने में परेशानी होना
हाथ ऊपर ऊठाने में परेशानी होना
रैशेज आपके चेहरे, गर्दन, कंधे, छाती और पीठ पर दिख सकते हैं।
वजह
डर्मैटोमायोसाइटिस क्यों होता है, इसकी वजह अज्ञात है। हालांकि डॉक्टर्स का मानना है कि यह वायरल इन्फेक्शन की वजह से हो सकता है। वहीं बॉडी के इम्यून सिस्टम में परेशानी होने पर भी यह रोग हो सकती है। जिन लोगों में पेट, छाती या शरीर के ऊपरी हिस्से का कैंसर होता है, उनको भी यह परेशानी हो जाती है। इस रोग की खतरा 5 से 15 और 40 से 60 वर्ष के लोगों में अधिक होता है