स्वास्थ्य

औषधिय गुणों से भरपूर है ये जापानी पत्ता

बिहार का तापमान लगातार बढ़ रहा है कई जिलों में लू को लेकर अलर्ट जारी है ऐसे में इससे बचने के लिए आप कई तरीका करते हैं लेकिन अब लू आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकता है, बस आपको मेंथा(पुदीना) की पत्ती से यह काम करना है पुदीना अधिकतर घरों में पाई जाने वाली एक आम जड़ी-बूटी है, जो अपने जीवाणुरोधी गुणों और कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती है इसे गुणों का पावरहाउस माना जाता है और इसमें कई औषधिय गुण होते हैं

पुदीने के पत्ते का शरबत, चटनी, साग के रूप में इस्तेमाल करने से गर्मी में लू लगने की आसार नहीं के बराबर रहती है साथ ही पुदीना, प्याज का रस और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से हैजा में लाभ होता है इसी तरह पुदीने को जीरा, काली मिर्च और हींग के साथ मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द से राहत मिल सकती है

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
डॉराजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि यूनिवर्सिटी के मेडिसिनल प्लांट डिपार्मेंट में कार्यत जानकार चिकित्सक दिनेश राय ने मीडिया को कहा कि मेंथा का पौधा औषधिय गुण से भरपूर है इस पौधे के पत्ते का इस्तेमाल हमें दैनिक जीवन में करना चाहिए इसके इस्तेमाल करने से गर्मी में लू लगने जैसी परेशानी से लोगों को निजात मिलती है इतना ही नहीं, हैजा और पेट दर्द जैसी रोंगों के लिए इस पौधे का पत्ता रामबाण है इसे लोग साग, सलाद,शरबत के रूप में भी सेवन कर सकते हैं पुदीना का पत्ता का सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और लू लगने जैसी परेशानी से बचा जा सकता है

ये है पुदीना का इतिहास
मेंथा की उत्पत्ति का जगह चीन को माना जाता है इसके बाद इसे जापान में पेश किया गया और बाद में यह पूरे विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में फैल गया हिंदुस्तान को मेंथा जापान से प्राप्त होता था इसलिए इसे जापानी पुदीना भी कहते हैं यह फैलने वाला, बहुवर्षीय शाकीय पौधा है हालांकि व्यापारिक जगत में जापानी पुदीने को ही मेंथा अथवा मिन्ट के नाम से जाना जाता है लेकिन तकनीकी रूप से मेंथा शब्द पुदीने के एक समूह का अगुवाई करता है जिसमें पुदीने की कई प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जैसे-जापानी पुदीना या पिपर मिन्ट, बर्यामोट मिन्ट आदि

इसका ऑयल है काफी फायदेमंद
इसके ताजा शाक से ऑयल निकाला जाता है ताजा शाक में ऑयल की मात्रा लगभग 0.8-100 प्रतिशत तक पायी जाती है इसके ऑयल में मेन्थाल और मिथाइल एसीटेट आदि अवयव पाये जाते हैं लेकिन मेन्थाल ऑयल का मुख्य घटक है ऑयल में मेन्थाल की मात्रा लगभग 75-80 फीसदी होती है इसके ऑयल का इस्तेमाल कमरदर्द, सिरदर्द, श्वसन विकार के लिए औषधियों के निर्माण में किया जाता है इसके अतिरिक्त इसके ऑयल का इस्तेमाल सौन्दर्य प्रसाधनों, टुथपेस्ट, शेविंग क्रीम लोशन, टॉफी, च्यूंगम, कैन्डी, आदि बनाने में भी किया जाता है इस प्रकार से कई प्रकार के उद्योगों में काम आने के कारण इसकी मांग बढ़ रही है

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