स्वास्थ्य

किडनी ट्रांसप्‍लांट के लिए डोनर लेकर भटक रहे एक हजार मरीज

Kidney Transplant: एक हजार किडनी रोगी डोनर लेकर भटक रहे हैं, लेकिन प्रत्यारोपण नहीं हो पा रहा है. इनमें 90 प्रतिशत से अधिक रोगी कारपोरेट अस्पतालों में 15 से 20 लाख रुपये देकर प्रत्यारोपण कराने में सक्षम नहीं हैं. पीजीआई और लोहिया संस्थान में पांच से छह लाख में प्रत्यारोपण हो रहा है. दोनों स्थान रोगियों का दबाव अधिक होने से तीन महीने से एक वर्ष बाद की तारीख मिल रही है. ऐसे में इन रोगियों की जान पर आ गई है. वे प्रतीक्षा में जान गंवा रहे हैं. अकेले पीजीआई और लोहिया संस्थान में दर्ज़ करीब र 400 रोगी डोनर के साथ ट्रांसप्लांट का इंतजाकर रहे हैं. जबकि निजी अस्पतालों में भी तारीखें दी जा रही हैं.

हर महीने खर्च हो रहे 15 से 20 हजार
प्रत्यारोपण का प्रतीक्षा कर रहे हर रोगी का हर माह 15 से 20 हजार डायलसिस पर खर्च हो रहा है. दवाओं पर हर माह डेढ़ से दो हजार रुपये अलग से खर्च है. सप्ताह में दो डायलिसिस करानी होती हैं. डायलिसिस न कराने पर पेट में पानी भरने के साथ संक्रमण समेत कई दिक्कतें बढ़ने पर भर्ती होना पड़ता है. डॉक्टरों का बोलना है कि 50 रोगी डेढ़ वर्ष से अधिक नियमित डायलिसिस नहीं करा पाते हैं.

सरकारी में केवल पीजीआई और लोहिया में सुविधा
प्रदेश के सरकारी संस्थानों में केवल पीजीआई, लोहिया संस्थान में गुर्दा प्रत्यारोपण हो रहा है. केजीएमयू में एक वर्ष पहले पांच प्रत्यारोपण हुए. तब से ठप है. करीब आधा दर्जन निजी हॉस्पिटल गुर्दा प्रत्यारोपण कर रहे हैं, पर पीजीआई से तीन गुना महंगा है. लखनऊ में यूपी, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, एमपी, राजस्थान, नेपाल के रोगी आ रहे हैं.

50 हजार कतार में 
पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग प्रमुख डाक्टर नारायण प्रसाद का बोलना है कि प्रदेश में दो लाख गुर्दा रोगी हैं. इनमें 50 हजार को प्रत्यारोपण की आवश्यकता है. पीजीआई में औसतन 150 प्रत्यारोपण हो रहे हैं. लोहिया नेफ्रोलॉजी विभाग प्रमुख डाक्टर अभिलाष चन्द्रा ने कहा कि हर वर्ष करीब 35 रोगियों के प्रत्यारोपण किये जा रहे हैं. दो से तीन माह की वेंटिंग चल रही है.

इलाज के बिना 30 के खराब हो रहे गुर्दे
डॉ नारायण प्रसाद ने कहा कि संस्थान की ओपीडी में रोज करीब 250 रोगी आते हैं. इनमें 70 प्रतिशत बढ़े बीमारी संग आ रहे हैं. पांच वर्ष तक ठीक उपचार बिना गुर्दा 30 खराब हो जाता है. फिर ये डायलिसिस पर आ जाते हैं. प्रत्यारोपण ही विकल्प बचता है. हर बीमार भी प्रत्यारोपण नहीं करा पाता है.

बीपी-शुगर से दिक्कत
अनियंत्रित डायबिटीज और ब्लड प्रेशर, गुर्दे में पथरी, पेशाब के संक्रमण, मोटापा, आनुवांशिक और स्वयं से दर्द एवं दूसरी दवाओं के सेवन से गुर्दे की रोग हो रही है. उन्नाव निवासी 45 वर्षीय रत्नेश वर्मा को दो वर्ष से गुर्दे की रोग है. दोनों गुर्दे खराब होने पर छह माह से उनकी डायलिसिस हो रही है. पीजीआई के चिकित्सक ने उन्हें गुर्दा प्रत्यारोपण कराने की राय दी है. पत्नी गुर्दा देने का तैयार हैं. रोगी ने गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए गवर्नमेंट से आर्थिक सहायता मांगी है. आशियाना के 50 वर्षीय आनंद सिंह को 10 वर्ष से डायबिटीज है. एक वर्ष पहले गुर्दे की परेशानी हुई. दो माह पहले गुर्दे खराब हो गए. सप्ताह में दो बार डायलिसिस हो रही है. निजी हॉस्पिटल के चिकित्सक ने गुर्दा प्रत्यारोपण खर्च 15 लाख कहा है. पीजीआई में प्रत्यारोपण के लिए जनवरी की तारीख दी है.

ये पांच काम करने से गुर्दा होगा सलामत
-मोटापे को काबू में रखें
-डायबिटीज-बीपी नियंत्रित रखें.
– नमक का सेवन कम करें.
-कसरत-टहलना दिनचर्या में लाएं
– बाहर की चीजें अधिक खाने से पूरी तरह परहेज करें.

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