स्वास्थ्य

डॉक्टर ने बताया- पार्किंसंस डिजीज से जुड़ी इन अफवाहों पर बिल्कुल भी न करें भरोसा

Some Common Misconceptions of Parkinson’s Disease: पार्किंसंस डिजीज एक प्रोग्रेसिव डिसऑर्डर है जो हमारे नर्वस सिस्टम ओर उन बॉडी पार्ट्स को हानि पहुंचाता है जो नर्व्स के जरिए कंट्रोल होती है, इसके लक्षण छीरे-छीरे नजर आते हैं, लेकिन बाद में कठिनाई बढ़ सकती है  मेट्रोपोलिस हेल्थ केयर की कंसल्टेंट पैथोलॉजिस्ट डाक्टर लिंडा नजेरथ (Dr. Lynda Nazareth) पार्किंसंस डिजीज को लेकर कई ऐसे मिथक हैं जिनका सच जानना बहुत महत्वपूर्ण है

1. रोग के लक्षण केवल झटके होते हैं

पार्किंसंस बीमारी एक न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज है जो मोटर प्रणाली को प्रभावित करता है सबसे आम और लक्षण कंपकंपी, कठोरता और संतुलन की समस्याएं हैं, सामान्य नॉन-मोटर लक्षण कब्ज, डिप्रेशन, चिंता, याददाश्त की कमी, नींद की गड़बड़ी और बाउल मूवमेंट में दिक्कतें हैं

2. ये जानलेवा रोग है

इन मरीजों में मौत का कारण पार्किंसंस डिजीज नहीं है कई लोग ट्रॉमा के कारण गिर जाते हैं और भोजन की कमी जैसी जटिलताओं के कारण मृत्यु के शिकार हो जाते हैं

3. इस रोग के हर रोगी को झटके लगते हैं

कंपकपी आना या झटका महसूस होना पार्किंसंस डिजीज के सबसे आम लक्षण है, लेकिन कई लोग नॉन मोटर सिंप्टम्स को फील करते हैं

4. पार्किंसंस ठीक हो सकता है

मौजूदा समय में पार्किंसंस बीमारी का कोई उपचार नहीं है हलांकि कई ऐसे थेरेपीज हैं जिनकी सहायता से इस रोग के लक्षणों को कम किया जा सकता है और लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ाई जा सकती है

5. पार्किंसंस डिजीज में अचानक झटका लगता है

हालांकि पार्किंसंस डिजीज के लक्षणों में दिन के समय उतार-चढ़ाव हो सकता है लेकिन ये रोग बहुत धीरे-धीरे बढ़ती है यदि कोई देखता है कि ऐसे लक्षण तेजी से नजर आ रहे हैं, तो रोगी को न्यूरोलॉजिस्ट के पास ले जाना चाहिए क्योंकि उसे कोई और रोग हो सकती है

6. ये रोग केवल बुजुर्गों को होती है

पार्किंसंस डिजीज के रोगियों के लिए उम्र एक अहम रिस्क फैक्टर है, हालांकि, युवा मरीजों के एक छोटे समूह में भी पार्किंसंस डिजीज को डाइग्नोज किया किया गया है

7. दवा से हालात बिगड़ सकते हैं

एंटी पार्किंसंस डिजीज वाली दवाओं और रोग बढ़ने के बीच कोई संबंध नहीं है  ऐसे कई शोध हैं जो साबित करते हैं कि पार्किंसंस बीमारी में इस्तेमाल किया जाने वाली लेवोडोपा दवा इसके लक्षणों से राहत देने में सहायता करता है और इसका कारण नहीं बनता है

8. लक्षण न नजर आए, तो सब ठीक है

ऐसा माना जाता है कि यदि पार्किंसंस डिजीज के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं तो इसका मतलब सबकुछ ठीक है, लेकिन महत्वपूर्ण नहीं है कि ऐसा हो कई बार रोग फ्लक्चुएट करती रही है, कुछ दिन हालात सामान्य नजर आते हैं, तो कुछ दिनों के लिए स्थिति बिगड़ सकती है

9. दवा के अतिरिक्त कुछ और काम नहीं करता

ये बात सच नहीं है कि केवल दवाओं के जरिए पार्किंसंस डिजीज के लक्षणों को कम किया जा सकता है आप चाहें को फिजिकल एक्टिविटीज, एक्सरसाइज से भी हालात बेहतर हो सकते हैं

10. चिकित्सक रोग के परफेक्ट आउटलुक देते हैं

इस बात में कोई संदेह नहीं कि रोग को समझने के लिए डॉक्टर्स सबसे ठीक आदमी होते हैं, लेकिन भिन्न-भिन्न तरह के लक्षणों और रोग की गंभीरता की वजह से कई बार इसे समझना कठिन हो सकता है हर पेशेंट की कंडीशन जुदा-जुदा हो सकती है, जो रोग को जटिल बनाती है

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