वर्ष 2050 तक 1.3 अरब हो जाएगी मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या
एक नए शोध के अनुसार, पूरे विश्व में साल 2050 तक मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या 1.3 अरब हो जाएगी। द लांसेट की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। डायबीटिज के अंतरराष्ट्रीय बोझ पर शोध नाम से प्रकाशित रिपोर्ट में बोला गया कि अगले तीन दशकों में मधुमेह रोगी दोगुने से अधिक हो जाएंगे। साल 2021 में यह संख्या 52.9 करोड़ थी। साथ ही यह भी बोला गया कि आने वाले 30 वर्ष में किसी भी राष्ट्र में मधुमेह होने की रेट कम नहीं होगी।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 1990 से 2021 तक 204 राष्ट्रों से कड़े जुटाए। इसमें डायबिटीज की व्यापकता, विकलांगता और मौत का अनुमान लगाने के लिए 27 हजार से अधिक आंकड़ों को शामिल किया। शोध के दौरान डायबिटीज से पीड़ित लोगों की हर गतिविधि को ध्यान में रखा गया। इसमें मोटापे, आहार, शारीरिक गतिविधि, पर्यावरण, तंबाकू और शराब के इस्तेमाल से संबंधित जोखिम कारकों को भी चिह्नित किया गया। शोधकर्ताओं के मुताबिक, मोटापे की वजह से भी डायबिटीज के रोगी बढ़ रहे हैं। इसमें ये भी बोला गया कि ऐसे रोगियों की संख्या बढ़ रही है इसलिए पूरे विश्व में रोग और मौत रेट भी बढ़ रही है। इसके अलावा, कोविड महामारी के बाद से भी रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
भारत में 11 प्रतिशत मरीज
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्व (आईसीएमआर) के अध्ययन में सामने आया कि हिंदुस्तान में 11 प्रतिशत यानी 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित है। इससे कहीं अधिक चिंताजनक ये है कि 15 प्रतिशत से अधिक प्री-डायबिटीक है यानी इन्हें भविष्य में डायबिटीज हो सकता है।
टाइप-2 से ग्रसित होंगे लोग
शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगले तीन दशकों में डायबिटीज के अधिकतर नए मुद्दे टाइप 2 के होने का अनुमान है। यानी इस प्रकार के मरीजों की संख्या बढ़ेगी। इसके लिए मोटा को भी उत्तरदायी बताया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में मोटापा टाइप 2 मधुमेह के लिए सबसे जरूरी जोखिम कारक था, जो रोग से आधे से अधिक लोगों में विकलांगता और मौत के लिए उत्तरदायी था।