गलसुआ का जाने आयुर्वेदिक उपचार और लक्षण
Mumps Ayurvedic Remedies: गलसुआ जिसे आम शब्दों में मम्प्स बोला जाता है यह एक संक्रामक रोग है, जो वायरस के कारण लोगों के बीच फैलता है। गलसुआ बीमारी पीड़ित आदमी की छींक, मुंह या नाक से निकलने वाले स्त्राव के कारण दूसरे आदमी में फलता है। आमतौर पर यह बीमारी 5 से लेकर 15 साल की उम्र के बच्चों में ही पाया जाता है। चलिए जानते हैं गलसुआ का आयुर्वेदिक उपचार, लक्षण आदि के बारे में।।
गलसुआ क्या है
गलसुआ को अंग्रेजी में Mumps और कण्ठमाला बोला जाता है। यह एक प्रकार का वायरल इन्फेक्शन है। जो प्रमुख रूप से लार ग्रांथियां यानी की पैरोटिड ग्रंथियों को ही प्रभावित करता है। पैरोटिड ग्रंथियां हमारे मुंह में लार बनाती हैं। इन ग्रंथियों के तीन समूह हैं जो मुंह के तीनों ओर होते हैं। यह कानों के पीछे और नीचे स्थित होते हैं। जहां पर गलसुआ अटैक करता है। जिसके कारण गाल, जबड़े और कान के पास सूजन होने लगता है और उस एरिया में दर्द बना रहता है।
गलसुआ का लक्षण
गलसुआ का शुरुआती लक्षण साफ नजर नहीं आता है। लेकिन गलसुआ के संपर्क में आने के करीब 20 दिन बाद इसका लक्षण दिखना प्रारम्भ हो जाता है। जिन लोगों में गलसुआ होता है उन्हें आरंभ में ते बुखार, सिर में दर्द, भूख न लगना, कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द, चबाने और निगलने में दर्द होना और साथ ही गालों में सूजन होने लगता है।
गलसुआ का आयुर्वेदिक उपचार
नीम की पत्तियां हैं फायदेमंद
आयुर्वेद के मुताबिक नीम की पत्तियों का इस्तेमाल सबसे अधिक जड़ी-बूटी में किया जाता है। यह न केवल हमारी स्किन के लिए लाभ वाला है, बल्कि हमे कई सारी रोंगों से भी बचाता है। गलसुआ का आयुर्वेदिक ढंग से ठीक करना है तो नीम की पत्तियां काफी फायदेमंद हो सकती हैं। इसकी पत्तियों को पीस लें और उसमें एक चुटकी हल्दी और पानी मिलाकर गलसुआ वाली स्थान पर लगाएं। इससे आपको काफी राहत मिलेगी।
हरिद्रा का पेस्ट लगाएं
आयुर्वेद में हरिद्रा का इस्तेमाल जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है, जो गलसुआ के लिए भी काफी लाभ वाला होता है। आप चाहे तो हरिद्रा का पाउडर में शहद और घी मिलकार गलसुआ वाली स्थान पर लगाएं। इससे आपको काफी राहत मिलेगी। अभी आपको गौरतलब है कि गलसुआ को आयुर्वेदिक ढंग से ठीक करना है तो बर्फ से सिकाई कर सकते हैं साथ ही मार्गोसा की पत्तियां का पेस्ट बनाकर भी उस स्थान पर लगा सकते हैं।