थकान इस गंभीर समस्या का हो सकता है संकेत
थकान होना अपने आप में कोई रोग नहीं है। पर थकान कभी न समाप्त होने वाली परेशानी बन जाए और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होने लगे तो यह खतरे का संकेत है। टोरंटो स्थित सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ रिसर्च के अनुसार, 5 में से 1 आदमी हर समय मामूली थकान से और 10 में से 1 लंबे समय तक रहने वाली थकान से निढाल रहता है।
क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम (सीएफएस) को मयालजिक एनसेफैलोमायलिटिस भी कहते हैं। एक तरह से यह थकान की वह स्थिति है, जिसका असर नर्वस सिस्टम, इम्यून सिस्टम और काम की क्षमता पर पड़ने लगता है। यह थकान कम-से-कम छह महीने तक बनी रहती है। तन और मन से जुड़े काम करते समय लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। आराम करने से भी सुधार नहीं आता है। सीएफएस के कारणों का साफ रूप से तो पता नहीं है, लेकिन कई कारक इसका खतरा बढ़ा देते हैं। जिनमें अनुवांशिक कारण, बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण, शारीरिक या भावनात्मक ट्रॉमा, हार्मोन असंतुलन आदि प्रमुख हैं।
थकान के सामान्य कारण
– शरीर का वजन सामान्य से अधिक या कम होना।
– कैफीन और शराब का अधिक मात्रा में सेवन।
– लगातार कई घंटों तक बैठे।
– रहना पूरी नींद न लेना।
– अत्याधिक शारीरिक और मानसिक श्रम।
– दवाओं के साइड इफेक्ट विशेषकर माइग्रेन, डिप्रेशन और हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं।
– कुपोषण (मिनरल्स और विटामिन की कमी)।
– शारीरिक या मानसिक तनाव।
गंभीर परेशानी का हो सकता है संकेत
एनीमिया, कैंसर, डायबिटीज, थायराइड, गठिया, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, हार्ट या लिवर संबंधी समस्याएं, अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, पेट और छाती का संक्रमण का संकेत भी अधिक थकान हो सकता है।
डॉक्टर के पास कब जाएं?
– बहुत लंबे समय से बिना किसी साफ कारण के शारीरिक और मानसिक स्तर पर बहुत अधिक थकान हो।
– सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होने लगे।
– चक्कर आना जो लेटने और बैठने से और गंभीर हो जाता है।
– मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द।
– नींद पूरी होने के बाद भी तरोताजा महसूस न करना।
इस संबंध में चिकित्सक पेशाब और खून की जांच करते हैं। लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है। दवाएं, न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स, व्यायाम आदि कई उपायों का सहारा लिया जाता है। जिस परेशानी के कारण थकान हो रही है, उसका इलाज होने पर भी लक्षणों में कमी आ जाती है।