कर्नाटक में कैंसर का कारण बनने वाले खाद्य रंग एजेंटों पर लगाया गया प्रतिबंध
लखनऊ:कॉटन कैंडी जिसे बचपन में हम सब ने खाया होगा। आज की जनरेशन भी इसे खूब पसंद करती है, लेकिन यह समाचार पढ़ने के बाद आप ना तो स्वयं कॉटन कैंडी खाएंगे और ना ही अपने किसी परिवार के सदस्य को इसे खाने देंगे। क्योंकि इसको लेकर एक चौंकाने वाला मुद्दा सामने आ रहा है। जिसके अनुसार गोवा, तमिलनाडु, पुदुचेरी और महाराष्ट्र की तरह कर्नाटक में भी कैंसर का कारण बनने वाले खाद्य रंग एजेंटों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
दो खाद्य पदार्थों जैसे गोभी मंचूरियन और रंगीन कॉटन कैंडी में कैंसर को बढ़ावा देने वाले एडिटिव्स रोडामाइन-बी और टार्ट्राज़िन मिले हैं। इस पर जब लखनऊ के अपोलो हॉस्पिटल के एमडी (रेडिएशन ऑन्कोलॉजी) और डीएम (मेडिकल ऑन्कोलॉजी) चिकित्सक अनिमेष अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि खाने की चीजों में रंग मिलाने की बात आज से नहीं बल्कि कई वर्षों से होती आ रही है। रोडामाइन-बी और टार्ट्राज़िन रंगीन खाने के पदार्थ में पहले भी पाए गए हैं, लेकिन पहले इतनी गंभीरता से इन सब पर कार्रवाई नहीं की गई। अब हो रही है तो यह सराहनीय पहल है। उन्होंने कहा कि रंगीन खाद्य पदार्थों को लेने से ऐसा नहीं है कि तुरंत कैंसर हो जाएगा लेकिन हां 20 से 25 फीसदी कैंसर होने का खतरा इन सब को खाने से बढ़ जाता है।
हर तरह का कैंसर हो सकता है
डॉक्टर अनिमेष अग्रवाल ने कहा कि रंगीन खाने की चीजों से न केवल ब्लड कैंसर बल्कि आंतों के कैंसर के साथ ही अन्य प्रकार का कैंसर हो सकता है। यह निर्भर करता है कि कैंसर का हिस्सा शरीर के किस हिस्से में जन्म ले रहा है। उन्होंने कहा कि पहले रंगीन चीजों का इस्तेमाल केवल पेंट में होता था। फिर होली के रंगों में होने लगा और अब धीरे धीरे खाने की चीजों में इसका इस्तेमाल बढ़ता चला गया है। जिस वजह से लोगों में कैंसर अब कम उम्र में ही होने लगा है। ऐसे में महत्वपूर्ण है कि लोग सतर्क हों और देखें कि गवर्नमेंट यदि इन सब पर प्रतिबंध लगा रही है तो यकीनन यह खतरनाक होंगे। इन्हें लोगों को खाने से बचना चाहिए।
1 महीने में 25 से 50 कैंसर रोगी
डॉ। अनिमेष अग्रवाल ने कहा कि उनकी ओपीडी में पुराने कैंसर के रोगियों को छोड़ दें तो नए कैंसर के रोगी रोजाना 2 से 3 आ रहे हैं। एक सप्ताह में नए कैंसर के रोगियों की संख्या 10 है, जबकि एक महीने में नए कैंसर के रोगियों की संख्या 20 से 50 है। कह सकते हैं कि दिन रोजाना यह रोग बढ़ती जा रही है।