स्वास्थ्य

जानिए, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर क्या है, विटामिन डी की मदद से इसे कैसे करें दूर

ये विषय काफी दंग करने वाला है कि हमारे शरीर की इम्यूनिटी बाहर से आने वाले वायरस या पैथोजेंस के बजाए स्वयं के सेल्स और टिश्यू को अपना शत्रु मान बैठे जैसे कि मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple Sclerosis), टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) , रूमैटॉइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) और भी कई बिमारियां अब प्रश्न उठता है कि प्रकृति के उल्टा ऐसा कैसे हो सकता है

ऑटोइम्यून डिसऑर्ड को समझें

भारत के प्रसिद्ध न्यूट्रिशन एक्सपर्ट निखिल वत्स (Nikhil Vats) ने बाताया, “आपने हाई विद्यालय में जरूर पढ़ा होगा कि शरीर में कुछ खास तरह के सेल्स होते हैं जो कि अंदर आने वाले वायरस बैक्टीरिया को नष्ट करती हैं, इसे इस तरह से समझा जाता है कि ये आपकी आर्मी ऑफ डिफेंस है जो व्हाइट ब्लड सेल्स  या एंटीबॉडीज हैं का निर्माण करती है जिसे सेंसेटाइज्ड लिम्फोसाइट्स (Sensitized Lymphocyte) बोला जाता है

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर क्यों होता है?

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Autoimmune Disorder) होने का मुख्य कारण विटामिन डी कम होना है डेली एक्टीविजी में बिजी रहना, ऑफिस या घर के कामों में लगे रहने की वजह से हम ज्यादातर टाइम इनडोर में बिताते हैं और धूप के जरिए विटामिन डी पाने के लिए जद्दोजहद करते हैं जब भी हमलोग बाहर निकलते हैं तो जहां से भी शरीर में विटामिन डी एब्जॉर्ब होता है

‘ऐसी हरकत न करें’

अगर आप अपने शरीर को 90 प्रतिशत ठक लेते हैं या फिर भिन्न-भिन्न तरह के सनस्क्रीन को लगाते हैं तो इससे विटामिन डी को हमारे शरीर में पहुंचने में कठिनाई होती है आमतौर पर लोग ऐसा इसलिए करते हैं कि धूप में उनका चेहरा डार्क या टैन न हो ऐसा पाया गया है कि 4 में 3 लोगों को विटामिन डी की कमी है

विटामिन डी की कमी न होने दें

जबसे इस धरती का निर्माण हुआ है तबसे सूरज है, और जबसे मनुष्य इस धरती पर है, शरीर की कोशिकाओं के रिसेप्टर्स में विटामिन डी बहुत जरूरी है आपकी बॉडी के सेल्स अपनी पूरी क्षमता का फायदा उठा सके, इसिलए प्रतिदिन विटामिन डी का इनटेक करें जिससे सेल्स की जो भी जिम्मेदारियां हैं, वो अपना पूरा इस्तेमाल कर सके और डिफेंस मैकेनिज्म को तंदुरुस्त कर सके ताकि आपको रोंगों का सामना करना न पड़े

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