स्वास्थ्य

Prevention of Blindness Week: भारत में 40 लाख से ज्यादा लोग अंधे

2022 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुस्तान में लगभग 4.95 मिलियन लोग नेत्रहीन और 7 करोड़ दृष्टिबाधित आदमी हैं, जिनमें से 0.24 मिलियन नेत्रहीन बच्चे हैं

इसके उत्तर में, हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने 1 अप्रैल से 7 अप्रैल को प्रीवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक घोषित किया है इसका उद्देश्य आंखों की रोंगों के जोखिम को कम करने के लिए जीवन शैली विकल्पों और नियमित रूप से आंखों की जांच के महत्व पर बल देना है ऐसे में आज हम आपको यहां ऐसी 7 कॉमन रोंगों के बारे में बता रहे हैं, जिससे सबसे अधिक आंखों की रोशनी जाती है

मैक्युलर डिजनरेशन

यदि आप 60 साल से अधिक उम्र के हैं, तो एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन की प्रति सतर्क रहना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसमें बढ़ती उम्र के साथ रेटिना डैमेज होने लगता है हालांकि इसमें किसी तरह का दर्द नहीं होता लेकिन एक समय के बाद आंखों से पूरी तरह दिखना बंद हो जाता है

ग्लूकोमा

ग्लूकोमा रोगों का एक समूह है जो आपकी आंख के पीछे की ऑप्टिक नर्व को हानि पहुंचाता है ग्लूकोमा के आधे से अधिक रोगियों को अपनी इस रोग का पता नहीं होता है  क्योंकि यह बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है इसमें सबसे पहले साइड विजन खराब होता है फिर आदमी पूरी तरह से अंधा हो जाता है

कैटरेक्ट (मोतियाबिंद)

मोतियाबिंद बुढ़ापे में होने वाली आंखों की सबसे कॉमन रोंगों में से एक है इसमें एक या दोनों आंखों में प्रोटीन के कारण लेंस धुंधला हो जाता है ये प्रोटीन एक घना क्षेत्र बनाते हैं, जिससे आपके लेंस के लिए आपकी आंख के अन्य हिस्सों में साफ चित्र भेजना कठिन हो जाता है और दिखना बंद हो जाता है

डायबिटिक रेटिनोपैथी

डायबिटीज वाले मरीजों में रेटिनोपैथी का जोखिम सबसे अधिक होता है इसमें हाई ब्लड शुगर होने के कारण रेटिना में उपस्थित छोटी खून की वाहिकाएं डैमेज होने लगता है ऐसे में इससे रिसाव होने या इसके असामान्य रूप से बढ़ने का खतरा होता है जिससे अंधेपन की परेशानी हो सकती है

रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा

रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा, आंख को समय के साथ ख़राब करने वाला बीमारी है बहुत कम पाया जाने वाला यह बीमारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाता है लक्षणों की आरंभ अक्सर बचपन से हो जाती है जिनमें रात या कम रोशनी में दृष्टि में कमी या दूरदृष्टि गुनाह होता है

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