स्वास्थ्य

IVF के जरिए सिद्धू मूसेवाला की मां ने बेबी बॉय को दिया जन्म, जानिए क्या होता है IVF

Sidhu Moosewala Brother Born By In Vitro Fertilization: मरहूम पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर (Charan Kaur) ने आईवीएफ तकनीक के जरिए बेबी बॉय को जन्म दिया है ये अच्छी-खबर दिवंगत गायक के पिता बालकर सिद्धू (Balkaur Sidhu) ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट के जरिए दी उन्होंने बच्चे की फोटो पोस्ट करते हुए लिखा, “शुभदीप (सिद्धू मूसेवाला) को चाहने वाली लाखों आत्माओं के आशीर्वाद से अकाल पुरख ने शुभ के छोटे भाई को पालने में बिठा दिया है ईश्वर के आशीर्वाद से परिवार स्वस्थ है और सभी शुभचिंतकों के बेशुमार प्यार के लिए शुक्रगुजार हैं

क्या है आईवीएफ?

सिद्धू मूसेवाला का छोटा भाई जिस आईवीएफ तकनीक के जरिए दुनिया में आया है, क्या आप उसके बारे में जानते हैं? फोर्टिस हॉस्पिटस, शालीमार बाग दिल्ली के सीनियर कंसल्टेंट (इंफर्टिलिटी मेडिसिन) डाक्टर निम्फिया वालेचा (Dr. Nymphaea Walecha) के अनुसार इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एक असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी है जो उन कपल्स की सहायता करती है जिन्हें पारंपरिक उपायों से गर्भधारण करने में कठिनाई होती है इस प्रॉसेस में एग और स्पर्म को शरीर के बाहर एक लेबोरेटरी में मिलाया जाता है फर्टिलाइजेशन होने के बाद, बनने वाले भ्रूण को यूटेरस में इम्पलांट किया जाता है

क्या है प्रॉसेस?

आईवीएफ के दौरान, महिलाएं कई एग प्रोड्यूस के लिए ओवरी स्टिमुलेशन (Ovarian Stimulation) प्रॉसेस से गुजरती हैं, जिन्हें एक माइनर सर्जिकल प्रोसीजर के जरिए निकाला जाता है इसी दौरान, मेल पार्टनर के स्पर्म का एक स्पर्म सैंपल लिया जाता है लेबोरेटरी में फिर एग और स्पर्म को मिक्स करके फर्टिलाइजेशन किया जाता है जो एम्ब्रयो बनता है उसे कुछ दिनों तक कल्चर किया जाता है, फिर उनमें से एक या एक से अधिक एम्ब्रयो को स्त्री के गर्भाशय में ट्रांसफर करने के लिए चुना जाता है

एम्ब्रयो प्लांटेशन एक अहम स्टेप है, जहां सेलेक्टेड एम्ब्रयो सावधानीपूर्वक यूटेरस में प्लेस किया जाता है, यदि ये प्रॉसेस सफल होता है तो भ्रूण का विकास गर्भावस्था के दौरान होने लगता है फिर मॉनिटरिंग पीरियड के बाद हेल्थकेयर टीम टेस्ट के बाद ये कंफर्म करती है कि स्त्री प्रेग्नेंट है या नहीं

क्रांतिकारी तकनीक है आईवीएफ

आईवीएफ एक क्रांतिकारी प्रजनन ट्रीटमेंट है, ये उन कपल्स के लिए एक आशा की किरण हैं जिनको बच्चे पैदा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के जरिए दंपति के पैरेंट बनने का सपना पूरा हो सकता है

क्यों होता है इस तकनीक का इस्तेमाल?

सीके बिड़ला हॉस्पिटल दिल्ली की प्रसिद्ध गायनोलॉजिस्ट डाक्टर प्रियंका सुहाग (Dr. Priyanka Suhag) का बोलना है कि आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल आमतौर पर तब किया जाता है जब नेचुरल ढंग से प्रेग्नेंसी संभव नहीं हो पाती इसके पीछे कई कारण हैं जैसे फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेड, लो स्पर्म काउंट, अनएक्सप्लेंड इनफर्टिली वगैरह

इस प्रॉसेस के दौरान पेशेंट को पर्सनलाइज्ड केयर दिया जाता है, ठीक ढंग से मॉनिटर किया जाता है, ठीक दवाई दी जाती है, एडजस्टमेंट ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल फॉलो किया जाता और यहां तक कि इमोशनल सपोर्ट देने की भी प्रयास की जाती है इसमें रोगी और उसके परिवार के साथ प्रोटेंशियल रिस्क, सक्सेस रेट, किसी तरह की चिताओं को लेकर बात की जाती है आईवीएफ एक मुश्किल, लेकिन उम्मीदों भरा यात्रा होता है यदि बेहतर नतीजे चाहिए तो चिकित्सक और पेशेंट के बीच एक ओपन कम्यूनिकशन महत्वपूर्ण है

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