स्वास्थ्य

Yoga Tips: जानें बीपी की समस्या में किए जाने वाले योगासनों के बारे में…

Yoga Tips For High Blood Pressure: रक्तचाप की परेशानी से दिल रोगों का जोखिम बढ़ जाता है. उच्च रक्तचाप पर लोगों का ध्यान होता है लेकिन तुलना में निम्न रक्तचाप पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है. निम्न रक्तचाप को हाइपोटेंशन बोला जाता है. स्वस्थ जीवन के लिए पौष्टिक खानपान के साथ योगासनों का अभ्यास भी असरदार है. रूटीन में योगासन को शामिल करके निम्न रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है. निम्न रक्तचाप में ऐसी स्थिति है, जिसमें किसी शरीर के अंगों में रक्त का प्रवाह अपर्याप्त होता है जिसके परिणामस्वरूप चक्कर आना, बेहोशी, अधिक प्यास लगना, उथली सांस लेना, थकान, सीने में दर्द और मतली जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. बीपी के रोगी हैं तो प्रतिदिन प्राणायाम करना लाभ वाला होता है. हाई बीपी और लो बीपी की परेशानी में भिन्न भिन्न तरह के योगासनों का अभ्यास किया जाता है. आइए जानते हैं बीपी की परेशानी में किए जाने वाले योगासनों के बारे में.

निम्न रक्तचाप में किए जाने वाले योग

सुखासन

इस आसन के अभ्यास के लिए दंडासन की मुद्रा में दोनों पैरों को फैलाकर सीधी स्थिति में बैठ जाएं. अब दाएं पैर को मोड़कर दाहिनी जांघ के अंदर दबा लें. फिर दाएं पैर को मोड़कर बाईं जांघ के अंदर दबाते हुए हथेलियों को घुटनों पर रखें. इस दौरान रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए सीधी मुद्रा में बैठें.

वज्रासन

इस आसन के अभ्यास के लिए भुजाओं को बगल में रखते हुए धीरे धीरे घुटनों को नीचे लाएं और चटाई पर घुटनों के बल बैठ जाएं. पैर की उंगलियों को बाहर की ओर रखते हुए श्रोणि को एड़ी पर रखें. हथेलियों को घुटनों के ऊपर प्रथिमुद्रा में रखें. अब पीठ सीधी करें और आगे देखें. इसी हालत में कुछ देर रुके, बाद में सामान्य स्थिति में आ जाएं.

मलासन

इस आसन में भुजाओं को शरीर के बगल में रखकर सीधे खड़े हो जाएं. फिर घुटनों को मोड़ते हुए श्रोणि को नीचे करें और एड़ी के ऊपर रखें. पैर फर्श पर सपाट रहे, फिर हथेलियों को पैरों के पास फर्श पर रखें य़ा छाती के सामने जोड़ सकते हैं. इस हालत में रीढ़ की हड्डी सीधी रहनी चाहिए.

वृक्षासन

सीधे खड़े होकर दाहिने पैर को फर्श से उठाएं और शरीर के वजन बाएं पैर पर संतुलित करें. दाहिने पैर को भीतरी जांघ पर रखें. जितना संभव हो कमर के करीब रखें. फिर पैर को अपनी स्थान पर लाने के लिए हथेलियों से सहारा दे सकते हैं. संतुलन स्थापित करने के बाद हथेलियों को दिल चक्र पर प्रणाम मुद्रा में जोड़ें. अब प्रणाम को आकाश की ओर ले जाएं. इस दौरान कोहनियों को सीधा रखें और ध्यान रखें कि सिर भुजाओं के बीच में हो. श्वास पर ध्यान दें. कुछ देर बाद दूसरे पैर से भी दोहराएं.

नोट: यह लेख योगगुरु के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है. आसन की ठीक स्थिति के बारे में जानने के लिए किसी जानकार से संपर्क कर सकते हैं.

अस्वीकरण: मीडिया की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, जानकारों और अकादमिक संस्थानों से वार्ता के आधार पर तैयार किए जाते हैं. लेख में उल्लेखित तथ्यों और सूचनाओं को मीडिया के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा और परखा गया है. इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है. संबंधित लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है. मीडिया लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है. उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित रोग के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श लें.

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