एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ी हथियारों की होड़, भड़क उठा चीन
चीन ने ृकहा कि वह ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच ऑक्स समझौते को ताइवान मामले से जोड़ने की बिडेन प्रशासन की किसी भी योजना का दृढ़ता से विरोध करेगा, यह कहते हुए कि इससे परमाणु प्रसार का खतरा होगा और एशिया-प्रशांत में हथियारों की होड़ बढ़ जाएगी. किसी भी चीनी आक्रामकता को रोकने के लिए ऑक्स समझौते को ताइवान मामले से जोड़ने का सुझाव देने वाली अमेरिकी उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल की हालिया टिप्पणियों के हवाले से रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया करते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में बोला कि अमेरिकी अधिकारी की टिप्पणियां संघर्ष की आग को भड़काती हैं. और दुर्भावनापूर्ण इरादे वाले हैं.
चीन इससे पूरी तरह असंतुष्ट है और इसका कड़ा विरोध करता है. उन्होंने बोला कि इससे परमाणु प्रसार का खतरा बढ़ जाता है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हथियारों की होड़ बढ़ जाती है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता कमजोर होती है. चीन ताइवान के स्वशासित द्वीप को अपना हिस्सा मानता है और इसकी मुख्य भूमि के साथ एकीकृत होने का वादा करता है. कैंपबेल को पिछले सप्ताह वाशिंगटन के सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी थिंक टैंक में यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि AUKUS पनडुब्बी परियोजना ताइवान के विरुद्ध किसी भी चीनी कदम को रोकने में सहायता कर सकती है.
कैंपबेल ने तर्क दिया कि ऑस्ट्रेलिया द्वारा परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बियों के अधिग्रहण से जुड़ा 2023 ऑक्स समझौता भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती शक्ति का मुकाबला करने के प्रयासों का हिस्सा था. उन्होंने ताइवान और ऑक्स के बीच एक दुर्लभ संबंध बनाते हुए बोला कि नयी पनडुब्बी क्षमताएं शांति और स्थिरता को बढ़ाएंगी, जिसमें चीन और ताइवान को अलग करने वाली क्रॉस-स्ट्रेट भी शामिल है.