इजरायल ने देरी ना करते हुए युद्ध का ऐलान किया और नतीजा सबके सामने
Balfour Declaration: सात अक्टूबर 2023 का दिन इजरायल शायद ही भुला पाए। उस दिन फिल्मी अंदाज में हमास के लड़ाके ना केवल इजरायल की मजबूत सीमा को भेद कर दाखिल हुए बल्कि 20 मिनट के अंदर पांच हजार रॉकेट दाग डाले। हमास के हमले से इजरायल समेत दुनिया के सभी राष्ट्र स्तब्ध रह गए। इजरायल ने देरी ना करते हुए युद्ध का घोषणा किया और नतीजा सबके सामने है, इजरायल अब तक हमास के 800 से अधिक ठिकानों को तबाह कर चुका है और इस लड़ाई में हजारों की संख्या में लोग मारे गए हैं। इन सबके बीच हम समझेंगे कि हिंदुस्तान के मणिपुर राज्य से भी छोटे इजरायल के राष्ट्र बनने का आधार क्या है जिसका बॉल्फर घोषणापत्र से खास रिश्ता है।
106 वर्ष पहले एक राष्ट्र के बनने की कहानी
करीब 106 वर्ष पहले यानी 1917 में एक छोटे से पेपर पर कुछ शब्दों(67) को स्थान देने का काम हुआ। वो केवल शब्द नहीं थे बल्कि एक ऐसे देश के गठन की किरदार बना रहे थे जिसका भविष्य रक्तरंजित है। जिसे हम समय समय पर देखते भी रहे हैं। उन 67 शब्दों के मतलब निकाले गए, ब्रिटिश संसद तक पहुंचाए गए। उन शब्दों और उनके अर्थ पर विचार मंथन हुआ जिसके बाद इजरायल अपने वर्तमान स्वरूप में आया। यह बात भिन्न भिन्न है कि उन 67 शब्दों को दुनिया के भिन्न भिन्न राष्ट्र अपने नजरिए से देखते और व्याख्या करते हैं।
बॉल्फर घोषणापत्र से खास रिश्ता
बॉल्फर घोषणापत्र में यह माना गया कि यहुदी लोग इजरायली भूमि के मूल निवासी हैं यानी कि वो कहीं और से नहीं आए थे बल्कि वो सदियों से वहीं रह रहे थे। लेकिन अरब राष्ट्रों का मानना है कि ब्रिटिश हुकुमत ने छल और प्रपंच के जरिए यहुदियों की बसावट को मान्यता दी। हकीकत तो यह है कि अंग्रेजों ने फिलिस्तीन की जमीन पर यहुदी राष्ट्र बनाने का वादा किया जहां 90 फीसद जनसंख्या मुसलमानों और ईसाइयों की थी। अरब राष्ट्र कहते हैं कि 1948 में जब फिलिस्तीन की जमीन पर यहुदियों की बसावट को कानूनी मान्यता दी गई वहीं से फिलिस्तीनियों के लिए नक्बा का दौर यानी तबाही का दौर प्रारम्भ हो गया। यहुदी और फिलिस्तीनियों के संघर्ष में करीब 5 लाख को विस्थापित होना पड़ गया।
क्या है बॉल्फर घोषणापत्र
बॉल्फर ने एक वाक्य में 67 शब्दों के जरिए यह साफ कर दिया था कि वास्तव में ब्रिटेन क्या चाहता है। हिज मैजेस्टी यानी महामहिम की गवर्नमेंट फिलिस्तीन में यहुदी लोगों के घर के पक्ष में है, इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए सर्वोत्तम कोशिश किए जाएंगे। हालांकि इस कोशिश के दौरान इस बात का खास ख्याल रखा जाएगा कि फिलिस्तीन में उपस्थित गैर यहुदी समाज से जुड़े लोगों के नागरिक और धार्मिक भावनाओं पर प्रतिकूल असर ना पड़े। इसके साथ ही उपस्थित यहुदियों को जो सियासी अधिकार मिले हैं उसे पर भी नकारात्मक असर ना हो।
इस लाइन और शब्दों से साफ है कि बॉल्फर ने यहुदी देश को वैधता प्रदान की। इस घोषणापत्र ने यहुदियों को ऐसी स्थान तलाश करने का अधिकार दिया जहां वो अपने लिए राष्ट्र बना सकें। यही नहीं यहुदी लोगों के संघर्ष को भी मान्यता दी गई। इस घोषणापत्र के जरिए यहुदियों ने भी मान लिया कि राष्ट्र निर्माण की किरदार में वो अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस संबंध में संयुक्त देश की वेबसाइट पर भी जिक्र है कि इसे केवल 67 शब्द नहीं माने जाने चाहिए। यह एक ऐसी घोषणा थी जिसे बुद्धिमता के साथ परखा और तौला गया था।