अंतर्राष्ट्रीय

Israel-Iran War: इजरायल पर ईरान के हमले से पड़ी मुस्लिम वर्ल्ड में फूट

इजरायल पर शनिवार रात के अंधेरे में हुए हमले को अब कई घंटे से भी अधिक का समय बीत गया है पूरी दुनिया में अब इसकी खुल कर चर्चा हो रही है इजरायल के पीएम गुस्से की आग में जल रहे हैं तो ईरान अपनी इस हरकत पर उत्सव इंकार रहा है इजरायल की सेना करीब 7 महीने से गाजा के मैदान में भी युद्ध लड़ रही है मुसलमान राष्ट्रों की आंख की किरकिरी बन चुके इजरायल को शायद ही कोई मुसलमान राष्ट्र साथ देने की सोचता हो

ईरान के हमले पर दो फाड़

लेकिन जिस तरह का धावा ईरान ने इजरायल पर कहा है, उसके बाद अब मुसलमान राष्ट्र दो फाड़ दिखाई दे रहे हैं ईरान के हमले का मुसलमान राष्ट्र समर्थन कर रहे हैं तो कुछ मुसलमान राष्ट्र ऐसे भी हैं जिन्होंने ईरान के हमले की आलोचना भी की इनमें सबसे बड़ा और पहला नाम जॉर्डन है और दूसरा सऊदी अरब खबरों के मुताबिक, जॉर्डन ने तो इजरायल के हमले के समय मिसाइलें ना सिर्फ़ तैनात की, बल्कि ईरान के हमले को असफल करने के लिए अपनी अहम किरदार निभाई

जॉर्डन ने गिराईं ईरान की मिसाइलें!

आसमान में उड़ती हुई मिसाइलें दिख रही हैं लोग घबराये हुए हैं जॉर्डन ने कबूल किया है कि उसने ईरान के कई ड्रोन हमलों को असफल किया है जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान अल-सफ़ादी ने कहा, हम जॉर्डन के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वाले हर ड्रोन या मिसाइल का मुकाबला करते हैं ताकि जॉर्डन को कोई हानि न पहुंचे या जॉर्डनवासियों को खतरा न हो ऐसा पहले भी हुआ था और जॉर्डन पर मिसाइलें गिरी थीं और जॉर्डन पर ड्रोन गिरे थे, यह एक निश्चित नीति है, वह सब कुछ जो जॉर्डन के लिए खतरा पैदा करता है हम इसका मुकाबला कर रहे हैं

माना जा रहा है कि ईरान के हमलों की जहां सऊदी अरब ने आलोचना की, वहीं अपने असर का इस्तेमाल करते हुए इजरायल की सहायता भी की है यही वजह है कि इजरायली दावों के मुताबिक, 300 हवाई हमलों में से ज्यादातर को आसमान में ही तबाह कर दिया था करीब 99 प्रतिशत हमले असफल किये गए 170 ड्रोन को घुसने से पहले ही मार गिराया गया 120 बैलिस्टिक मिसाइलें में से ज्यादातर को आसमान में ही तबाह कर दी गईं 30 क्रूज मिसाइलों में से कोई भी इजरायल की जमीन को भेद नहीं पाया

मिडिल ईस्ट में बदल गई स्थिति

इजरायल की मीडिया के मुताबिक, जॉर्डन के जेट विमानों ने उत्तरी और मध्य जॉर्डन से होकर इजरायल की ओर आने वाले दर्जनों ड्रोन को मार गिराया जबकि इससे पहले गाजा युद्ध के दौरान जॉर्डन इजरायल के विरुद्ध खड़ा रहा जानकार मानते हैं कि अब स्थिति बदली हुई है

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने क्षेत्र में ‘युद्ध के खतरों’ को रोकने के लिए सभी पक्षों से धैर्य बरतने की अपील की है वैसे वर्ष 2023 में सऊदी अरब और ईरान के बीच संबंध सुधरने की समाचार आई थी पर हकीकत में दोनों राष्ट्र एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं

गाजा युद्ध के बाद भी कुछ इसी तरह की स्थिति बनी जब मुसलमान राष्ट्रों की दुनिया में दूरी बढ़ रही थी अरब राष्ट्र जहां पहले इजरायल के कठोर विरुद्ध होकर फिलिस्तीन का समर्थन करते थे, अब उनके रुख में परिवर्तन आया है

हालत ये है कि हाल ही में इस्लामिक-अरब शिखर सम्मेलन में पेश किए गए एक प्रस्ताव को पास होने से रोक देने की समाचार थी  सऊदी अरब के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात समेत 7 मुसलमान राष्ट्र इस प्रस्ताव के विरोध में खड़े हो गए इनमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), जॉर्डन, मिस्र, बहरीन, सूडान, मोरक्को, मॉरिटानिया और जिबूती ने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था

नई मुसीबत नहीं चाहते मुसलमान देश

साफ है मुसलमान राष्ट्र भी कोई नयी मुसीबत मोल नहीं लेना चाहते दूसरी ओर कई ऐसी वजह हैं जो ईरान हमले पर मुसलमान राष्ट्रों को बांट रही है इनमें तीसरे विश्व युद्ध का खतरा, दुनिया में एक दूसरे पर बढ़ती निर्भरता, इजरायल की सेना क्षमता और आधुनिक हथियार और अमेरिका का दबाव शामिल है

खास बात ये भी है कि मुसलमान राष्ट्रों से घिरा इजरायल अकेला नहीं है उसके पक्ष में अमेरिका समेत कई यूरोपिय राष्ट्र भी हैं जो समय-समय पर उस पर मंडराते संकट से निपटने के लिए तैयार रहते हैं

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