गाजा पट्टी पर इजरायल के ताबड़तोड़ हमलों के बीच मैक्रॉन आज पहुंचे तेल अवीव
French President Emmanuel Macron Israel Visit: गाजा पट्टी पर इजरायल के अंधाधुन्ध हमलों के बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन आज इजरायल की राजधानी ऑयल अवीव पहुंचे। हमास-इजरायल युद्ध के बीच वहां का दौरा करने वाले वह नवीनतम पश्चिमी नेता हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में बोला गया है कि मैक्रॉन ने मंगलवार की सुबह इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हर्ज़ोग, प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, पूर्व रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ और मुख्य विपक्षी नेता यायर लैपिड से मुलाकात की है। फिलिस्तीनी ऑफिसरों का बोलना है कि इमैनुएल मैक्रॉन अपनी एक दिवसीय इजरायल यात्रा के दौरान फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भी मुलकात करने वाले हैं।
मैक्रॉन की यह यात्रा उस हमले के दो हफ्ते से अधिक समय बाद हो रही है, जब हमास लड़ाकों ने इज़रायल में धावा किया था, जिसमें लगभग 30 फ्रांसीसी नागरिकों सहित कम से कम 1,400 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे।
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रों चार सूत्री योजना लेकर आए हैं। रिपोर्ट में बोला गया है कि मैक्रॉन का दावा है कि उनके सभी चार योजनाएं क्रियाशील हैं। अपनी योजना के अनुसार मैक्रों दोनों पक्षों समेत क्षेत्रीय तनाव को बढ़ने से रोकना चाहते हैं। वह गाजा में शेष बंदियों को मुक्त कराना चाहते हैं। इसके अतिरिक्त वह इजरायल के लिए सुरक्षा की गारंटी चाहते हैं और दो-राज्य निवारण की दिशा में भी काम करना चाहते हैं।
तेल अवीव पहुंचने के तुरंत बाद, मैक्रों ने बेन गुरियन हवाई अड्डे पर उन इजरायली-फ्रांसीसी नागरिकों से मुलाकात की जिन्होंने युद्ध में अपने प्रियजनों को खो दिया है। उन्होंने हमास के बंधकों के परिवारों से भी मुलाकात की। इसके बाद एक्स पर एक पोस्ट में, मैक्रॉन ने उन परिवारों के साथ एकजुटता और संवेदना व्यक्त की और घोषणा की कि इस शोक में हम इज़रायल के साथ हैं।
इसके साथ ही मैक्रों ने गाजा में महत्वपूर्ण मानवीय सहायता की पहुंच की अनुमति देने के लिए “मानवीय संघर्ष विराम” का आह्वान किया है। गाजा पट्टी में 23 लाख फंसे हुए हैं और इजरायली नाकाबंदी के बाद बड़े पैमाने पर पानी, भोजन, बिजली और अन्य बुनियादी जरूरतों के संकट का सामना कर रहे हैं। इजरायली हमले में गाजा पट्टी में अब तक 5000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इनमें 2000 से अधिक बच्चे हैं।
बता दें कि फ्रांस दो-राज्य निवारण नीति का समर्थन करता रहा है। वह इज़रायल और फिलिस्तीन, दोनों के सहअस्तित्व और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर, दोनों राष्ट्रों में शांति और सुरक्षा की वकालत करता है। फ्रांस ने 2012 में भी संयुक्त देश (यूएन) महासभा में ऐसा ही बोला था। फ़्रांस डिप्लोमेसी वेबसाइट के अनुसार, उसका यह भी मानना है कि यरूशलेम दोनों राष्ट्रों की राजधानी होनी चाहिए।