अंतर्राष्ट्रीय

आटा-दाल के लिए तरसता पाकिस्तान ,आखिर ये परमाणु हथियार किसके लिए बना रहा

पाकिस्तान का ध्यान अपने राष्ट्र की जनता के लिए दाल, रोटी, चावल और आटे, सब्जी का व्यवस्था करना नहीं है, बल्कि उसका फोकस अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को बढ़ाने को लेकर है गुपचुप ढंग से पाक अपने परमाणु हथियारों को तेजी से बढ़ा रहा है मौजूदा समय में पाक के पास तकरीबन 170 परमाणु हथियारों का भंडार है अमेरिका की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2025 तक करीब यह संख्या 200 तक बढ़ सकती है यानि अगले 2 सालों में पाक करीब 30 नए परमाणु हथियार बना लेगा मगर प्रश्न वही है कि आटा-दाल के लिए तरसता पाक आखिर ये परमाणु हथियार किसके लिए बढ़ा और बना रहा है

क्या पाक वाकई अपने परमाणु हथियारों को बेचकर अपनी गरीबी दूर करना चाहता है, क्या पाक रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए परमाणु हथियारों की बिक्री और उत्पादन को बढ़ाने में जुटा है आखिर सदी का सबसे विनाशकारक हथियारों का जखीरा पाक क्यों अचानक से बढ़ाने लगा है अमेरिका के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है ‘बुलेटिन ऑफ अटॉमिक साइंटिस्ट्स’ में 11 सितंबर को प्रकाशित स्तंभ ‘न्यूक्लियर नोटबुक’ में बोला गया है, ‘‘हमारा अनुमान है कि पाक के पास करीब 170 परमाणु हथियारों का भंडार है अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी ने 1999 में अनुमान जताया था कि पाक के पास 2020 तक 60 से 80 परमाणु हथियार होंगे लेकिन तब से कई नई हथियार प्रणालियां तैनात और विकसित की गयी हैं जिससे आकलन बढ़ गया है

पाकिस्तान किसके लिए बना रहा परमाणु हथियार

मौजूदा समय में पाक के पास हिंदुस्तान से भी अधिक परमाणु हथियार हैं मगर अब वह किसके लिए अपने जखीरे को बढ़ा रहा है क्या वह रूस को इन हथियारों को बेचना चाहता है या फिर यूक्रेन को भी चोरी-छिपे परमाणु हथियार मौजूद करवा रहा है ’’ वैज्ञानिकों ने कहा, ‘‘हमारा आकलन काफी अनिश्चितता से भरा है क्योंकि न तो पाक और न ही अन्य राष्ट्र पाकिस्तानी परमाणु शस्त्रागार के बारे में अधिक सूचना प्रकाशित करते हैं’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि राष्ट्र का भंडार मौजूदा वृद्धि रेट से 2020 के बाद के सालों में करीब 200 तक पहुंच सकता है’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब तक हिंदुस्तान अपने शस्त्रागार का विस्तार नहीं करता या पारंपरिक ताकतों का निर्माण नहीं करता, तब तक यह आशा करना मुनासिब लगता है कि पाक का परमाणु शस्त्रागार अनिश्चितकाल तक बढ़ता नहीं रहेगा बल्कि उसके मौजूदा हथियार कार्यक्रम पूरे होने के बाद यह कम होना प्रारम्भ हो सकता है’’

 

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