पाकिस्तान में आतंकी ब्लास्ट से हर तरफ तबाही और बर्बादी का बना निशान
बारूद के ढेर पर बैठे आतंकवादी देश पाक में हर तरफ तबाही और बर्बादी के निशान नजर आए. पाक अब आतंक की आग में स्वयं झुलर रहा है. आतंकवादी ब्लास्ट की सीरिज में अब बड़ा आतंक धावा खैबर पख्तूनवा में हुआ है. इसमें छह लोगों की मृत्यु हो गई. इस हमले का दर्ज पाक के मददगार चीन ने भी महसूस किया. मरने वालों में पांच लोग तो सिर्फ़ चीन के थे. हमलावरों ने चीनी नागरिकों के काफिले को निशाना बनाया. ये बड़ा आतंकवादी धावा खैबर पख्तूनवा क्षेत्र के सांग्ला जिले के बेशम क्षेत्र में हुआ. कहा जा रहा है कि आत्मघाती हमलावरों ने विस्फोटकों से भरी कार चीनी इंजीनियरों के काफिले में घुसा दी. भिड़न्त के बाद चीनी इंजीनियरों की कार खाई में गिर गई. इस जबरदस्त धमाके में पांच चीनी इंजीनियरों की मृत्यु हो गई. जबकि एक ड्राइवर को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. रिपोर्ट्स के अनुसार सभी चीनी इंजिनयर दासू में अपने कैंप की ओर जा रहे थे. रिपोर्ट में साफ बोला गया है कि आतंकवादियों ने जान-बूझकर चीनी ऑफिसरों को निशाना बनाया. प्रश्न उठता है कि पाक और चीन गवर्नमेंट की दोस्ती के बीच वे कौन लोग या ग्रुप हैं जो पाक में चीनी नागरिकों से नाराज हैं और क्यों?
2021 में चीनी इंजीनियर से भरी बस पर अटैक
दासू पहले भी आतंकवादियों के निशाने पर रहा है. वर्ष 2021 में भी एक बड़ा धावा हुआ था. पाक के आतंकवादी हमले में 9 चीनी इंजीनियर मारे गए थे. जब चीनी इंजीनियर से भरी बस पर अटैक हुआ था. हमले में नौ चीनी इंजीनियर समेत 12 की मृत्यु हुई. नागरिकों पर हुए हमले की जांच के लिए चीन ने एक टीम भी पाक भेजी थी. लेकिन अब चीनी नागरिकों की मृत्यु पर पाक घबराया हुआ है. पाक के पीएम शहबाज शरीफ स्वयं भागते दौड़ते चीन के दूतावास पहुंचे. इस दौरान उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें भी नजर आने लगी. वो नहीं चाहते कि किसी भी मूल्य पर चीन उनसे नाराज हो. चीनी इंजीनियरों की मृत्यु ने पाक की कठिनाई बढ़ा दी है. वहीं चीन को भी बड़ा सबक मिला है. इसके साथ ही दूसरों राष्ट्रों के लिए भी सीख है. जो पाक को बारूद उपलब्ध करा रहा था अब उसकी लपटें उसे भी अपनी चपेट में ले रही है.
कौन है बलोच लिबरेशन आर्मी ?
खैबर पख्तूनख्वा में हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी लेनी वाली वलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) में वे लोग शामिल है, जो मानते हैं कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उन्हें जवरदस्ती पाक में शामिल कर लिया गया, जबकि वे स्वयं को एक आजाद देश के तौर पर देखना चाहते थे. इसलिए बलूचिस्तान प्रांत से जुड़ी इस ‘आर्मी’ का पाक की गवर्नमेंट और वहां की सेना से संघर्ष चलता रहता है. बीएलए और कुछ अन्य ग्रुप बलूचिस्तान की आजादी के लिए सक्रिय हैं. माना जाता है कि बीएलए पहली वार 1970 के दशक में वजूद में आया और जुल्फिकार अली भुट्टो की गवर्नमेंट के विरुद्ध सशस्त्र बगावत प्रारम्भ की. 2000 से इस संगठन ने फिर हमले तेज किए. 2007 में पाक गवर्नमेंट ने बीएलए को आतंकवादी संगठनों की सूची में डाल दिया. इसके बाद यह संगठन खुलकर गवर्नमेंट के विरुद्ध हो गई.
बलूचिस्तान पर चीन की नजर
बलूचिस्तान पाक का सबसे कम जनसंख्या वाला, लेकिन खनिज संसाधनों के मुद्दे में बहुत अमीर प्रांत है. बलूच लोगों की लंबे समय से कम्पलेन रही है कि उन्हें प्रांत के मुनाफे का मुनासिब हिस्सा नहीं मिलता है. इसकी वजह से वहां कई अलगाववादी समूह बन गए हैं. सीपीईसी परियोजना चीन की विशाल बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की बुनियाद है. यह चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत को दक्षिण पश्चिम में ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने वाला प्रोजेक्ट है. . बीएलए बलूचिस्तान को न केवल पाक सरकार, बल्कि किसी भी विदेशी असर से आजादी दिलाना चाहता है.
क्यों हो रहा चीन का विरोध
बलूचिस्तान के लोग चीनी कॉरिडोर का प्रारम्भ से विरोध कर रहे हैं. वहां की ट्राइबल कम्युनिटी को डर है कि बाहरी लोग यहां बसेंगे तो यहां के डेमोग्राफी पर असर पड़ेगा. इस मिनरल रिच क्षेत्र के दोहन का लाभ पाक की राजनीति को डॉमिनेट करने वाले एलीट क्लास को ही होगा. बाहरी दखल से बलोच उपद्रवियों को अपने आंदोलन के कमज़ोर होने का भी खतरा है, इसलिए भी वे प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी इंजिनियरों को निशाना बना रहे हैं. लगातार हमलों से प्रोजेक्ट में हो रही देरी और बढ़ते खर्च से चीन परेशान है. वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए चीनी आर्मी लगाने की फिराक में भी है, जिसके लिए पाक तैयार नहीं हो रहा है. बीएलए का मानना है कि चीन का बढ़ता असर उसके मंसूबों में एक बड़ी रुकावट वन सकता है. इसलिए चीनी नागरिक उसके टारगेट पर है.
क्या कर रही पाक गवर्नमेंट ?
पाकिस्तान में अब तक बलोच लिबरेशन आर्मी की ओर से किए गए भिन्न-भिन्न हमलों में 28 से अधिक चीनी नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं. चीनी नागरिकों पर हो रहे हमले चीन गवर्नमेंट के लिए बड़ी कठिनाई है. दरअसल, पाक में प्रस्तावित चीन का सीपीईसी तकरीबन 60 अरब $ की योजना है, जिस पर एक बड़ा हिस्सा चीन खर्च कर चुका है. 2014 में पाक गवर्नमेंट ने चीन के नागरिकों की सिक्योरिटी के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट बनाई, जिसमें 4 हजार से अधिक सिक्योरिटी ऑफिशियल्स है. यह यूनिट 7567 चीनी नागरिकों को स्पेशल सिक्योरिटी उपलब्ध कराती है.