यहां मिला सफेद सोने का भंडार, बदल सकती है पूरे देश की किस्मत; लेकिन…
अमेरिका के एक प्राचीन ज्वालामुखी में लिथियम का इतना बड़ा भंडार होने का संभावना व्यक्त किया गया है कि इससे पूरी दुनिया की सूरत बदल सकती है। दावा तो ये भी किया जा रहा है कि यह भंडार दुनिया में लिथियम की कुल मांग के सबसे बड़े हिस्से की आपूर्ति कर सकता है, जिससे लीथियम पर चीन का एकाधिकार समाप्त हो सकता है। वैज्ञानिकों के एक हालिया शोध के मुताबिक, नेवादा-ओरेगन सीमा पर स्थित मैकडरमिट काल्डेरा में लिथियम भंडार का खजाना दबा है, जिसे दुनिया सफेद सोना कहकर बुलाती है। वर्तमान स्थितियों की बात करें तो लिथियम भंडारण के मुद्दे में हिंदुस्तान से आगे बोलिविया, अर्जेंटीना, अमेरिका, चिली, ऑस्ट्रेलिया और चीन का नाम लिया जाता है।
कैसे एक सुपर ज्वालामुखी लिथियम रिजर्व बन गया?
‘विऑन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में मिले इस भंडार से जुड़े प्रोजेक्ट का स्वामित्व ‘लिथियम नेवादा’ के पास है, जिसने विशाल लिथियम रिजर्व की खोज से जुड़े अध्ययन के लिए काफी बड़े पैमाने पर फंडिग की है। इस काम में जुड़ी कंपनी की कैलकुलेशन के मुताबिक, क्रेटर के सबसे दक्षिणी किनारे, जिसमें थैकर पास नाम का क्षेत्र भी शामिल है, वहां लिथियम की उच्चतम सांद्रता है। ऐसे ही एक अनुमान के अनुसार विशाल क्रेटर में करीब 20 से 40 मिलियन टन लिथियम जमा है, जो दुनिया में कहीं भी पाए जाने वाले कंसंट्रेशन से दोगुना से भी अधिक है।
अध्ययन से पता चलता है कि जब करोड़ों वर्ष पहले पहले प्राचीन सुपर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था, तब गर्म तरल मैग्मा जमीन में दरारों और दरारों के माध्यम से रिस गया, जिससे यहां की मिट्टी की मिट्टी लिथियम से समृद्ध हो गई।
क्यों बोला जाता है सफेद सोना?
आज पर्यावरण को बचाने के लिए दुनिया के कई राष्ट्र जीरो कार्बन उत्सर्जन की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। डीजल-पेट्रोल के बजाए इलेक्ट्रिक गाड़ियों का चलन बढ़ गया है। इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने के लिए बैटरी की आवश्यकता पड़ती है। बैटरी बनाने में लिथियम की बड़ी किरदार होती है। माना जाता है कि आने वाला जमामा ऐसी गाड़ियों का है। इसलिए लीथियम की इस जरूरी किरदार के लिए उसे ‘सफेद सोना’ बोला जाता है। इसका इस्तेमाल खासतौर से इलेक्ट्रिक कारों, पवन टरबाइन और सौर पैनलों में इस्तेमाल के लिए होता है। आज लिथियम का प्रयोग SmartPhone से लेकर लैपटॉप तक हर चीज के लिए रिचार्जेबल बैटरी बनाने में किया जा रहा है। जब से इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी बनाने में इसका प्रयोग होने लगा है, इसकी डिमांड और बढ़ गई है। कंपनियां इसे खजाना बताती हैं। और यदि कहीं भी यह मिल जाए तो पीछे भागती नजर आती हैं।
सता रहा इस बात का डर
जहां पर ये भंडार मिला है। वहां के निवासियों का बोलना है कि यह धरती उनकी पवित्र भूमि है। जहां वो अपनी पारंपरिक मान्यताओं से जुड़े आयोजन करते हैं। उन्हें लगता है कि उनके धार्मिक आयोजन और जमीन दोनों खतरे में है। वो इसे अपने अस्तित्व के समाप्त हो जाने से जोड़कर देख रहे हैं, इसलिए इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उनका बोलना है कि वो जान दे देंगे लेकिन अपनी इस जमीन को नहीं देंगे।
भारत में लिथियम भंडार:
इस वर्ष की आरंभ में हिंदुस्तान में पहली बार जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में फरवरी महीने में लिथियम का बड़ा भंडार मिला था। लिथियम के लिए अभी तक हिंदुस्तान चीन पर निर्भर है।
अभी हिंदुस्तान के राजस्थान में भी इसका एक भंडार मिलने की बात कही गई थी। हिंदुस्तान में इस खजाने की खोज के बाद पूरे राष्ट्र को इसका लाभ मिलने की बात कही जा रही है। लिथियम के लिए अब तक हिंदुस्तान पूरी तरह से विदेश से आयात पर निर्भर रहा है। JMK रिसर्च और ‘द इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल’ की रिपोर्ट के अनुसार हिंदुस्तान में इसका अच्छा स्कोप है। जिसकी सफलता के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी पूरे बाजार में तकरीबन 90% होगी।