US: 25 साल में 52 मामले, डरावनी है इस मेट्रो स्टेशन की कहानी
New York metro shocking history: ये कहानी उस भारतीय की है, जिनकी अमेरिका में मर्डर हो गई थी। सुनन्दो सेन 1980 के दशक में अमेरिका गए। न्यूयॉर्क में उन्होंने बरसों तक कड़ी मेहनत की। 27 दिसंबर 2012 की रात 8 बजे, सेन न्यूयॉर्क सिटी सबवे प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का प्रतीक्षा कर रहे थे। अचानक से 31 वर्ष की एरिका मेनेंडेज ने सुनंदो को धक्का दिया। वो ट्रेन के सामने नीचे पटरियों पर गिरे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। मेट्रो सबवे में धक्का-मुक्की और हंगामा का ये कोई पहला मुद्दा नहीं था। इस मेट्रो में ऐसे कई वाकये सामने आ चुके थे। जिससे लोगों के मन में एक खौफ बैठ गया था।
यहां से गुजरने में डरते थे लोग
हर साल, पूरे विश्व में कई लोग मेट्रो ट्रैक पर धकेल दिए जाते हैं। भीड़-भाड़ भरे प्लेटफॉर्म पर होने वाली ऐसी घटनाएं कोई दुर्घटना नहीं बल्कि जानबूझकर किए गए क्राइम होते हैं। अधिकतर मामलो में गुनेहगार मानसिक रूप से परेशान होते हैं। उनकी एक हिस्ट्री होती है। दुर्भाग्य से ये सब दशकों से चला आ रहा है। ऐसी घटनाओं में होने वाली एक भी असमय मृत्यु नहीं होनी चाहिए।
इन हमलों में जिनकी जान बच जाती है। वो ट्रामा का शिकार हो कर सदमे से उबर नहीं पाते हैं। कुछ लोग विकलांगता का शिकार हो जाते हैं। न्यूयॉर्क में डेली पैसेंजर्स को लेकर हुए एक सर्वे में NYC यात्रियों के एक सर्वे में 77% लोगों ने बोला था कि उन्हें पटरियों पर धकेले जाने का डर था।
चौंकाने वाली सच्चाई
1992 में कुछ मनोचिकित्सकों ने ने इस प्रवत्ति और NYC की परेशानी के बारे में विस्तार से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उन्होंने 1975 और 1991 के बीच सामने आए ऐसे 52 अप्रत्याशित और जानलेवा हमलों का विश्लेषण किया था। उनकी रिपोर्ट में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ था कि ऐसे हर एक मुद्दे में धक्का देने वाला और पीड़ित पूरी तरह से अजनबी थे। उनमें कोई कनेक्शन या दुश्मनी नहीं थी। ये हमले बिना किसी वजह के किए गए थे।
केस स्टडी
मेट्रो ट्रैक पर धक्का देने वाले लोगों में से अधिकतर भ्रमित थे। कुछ शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस का शिकार थे। दोषियों की मेडिकल जांच के दौरान ये पता चला कि उनमें से 13 हमले के समय मतिभ्रम में थे। उदाहरण के लिए, सुनंदो की मर्डर की गुनेहगार एरिका सिज़ोफ्रेनिया का शिकार थी। बीते 12 वर्षों में पुलिस के साथ उसका 14 बार आमना-सामना हुआ था। वो रेसिस्ट थी। जो हिंदुओं और मुसलमानों से बराबर नफरत करती थी। उसने पुलिस को दिए एक बयान में बोला था कि वो पहले भी एक मुसलमान को ट्रेन की पटरी से धक्का दे चुकी थी क्योंकि वो 2001 से मुसलमानों से नफरत करती थी। जब मुसलमान युवकों ने 9/11को अमेरिका पर आतंकी धावा करते हुए ट्विन टावर गिरा दिए थे।
हालांकि उसका शिकार अंतिम शिकार 36 वर्ष के सुनंदो सेन थे। जो हिंदू थे। उनकी पूरे न्यूयॉर्क में सबसे अच्छी बनती थी। उनके अधिकतर दोस्त और जानने वाले इसाई थे। सब उनकी मृत्यु से दुखी थे। उन्होंने सेन को श्रद्धांजलि देने के लिए एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया था।
एक और मुकदमा स्टडी की बात करें तो एलोइस एलिस, नाम के शख्स ने जुलाई 1993 में 20 मिनट के अंदर दो भिन्न-भिन्न स्टेशनों पर दो यात्रियों को प्लेटफॉर्म से नीचे धकेल दिया था। उसे उसी वर्ष मई के महीने में एक अन्य यात्री को धक्का देने के इल्जाम में अरैस्ट किया गया था, लेकिन उसका मेंटल स्टेटस जांचने के बाद उसे रिहा कर दिया गया था। उसने जुलाई में अपना नया टारगेट ढूंढा उसने चेंग को शिकार बनाया वो एशियाई मूल की थी और चीनी नागरिक थी।
1999 के मुद्दे में कानून बना
1986 के बाद सबवे में धक्का-मुक्की के मुद्दे बढ़ने लगे और 1999 में एक हमले के कारण मानसिक रूप से परेशान व्यक्तियों के संबंध में एक कानून बनाया गया। उस वर्ष 3 जनवरी को एंड्रयू गोल्डस्टीन ने केंड्रा वेबडेल को न्यूयॉर्क के 23वें स्ट्रीट स्टेशन पर चलती ट्रेन के सामने धक्का दे दिया। ट्रेन ने केंड्रा को कुचल दिया। उसी वर्ष न्यूयॉर्क में उसके नाम पर एक कानून बना। गोल्डस्टीन मानसिक रूप से बीमार आदमी था जिसने अपनी दवाएं लेना बंद कर दिया था। इसलिए वो कानून की आड़ में बच गया क्योंकि ‘फेडरल कानून’ कहता है कि मानसिक रूप से बीमार आदमी को सजा देने से पहले उसकी मनोदशा पर ध्यान देना चाहिए।
लोगों का बोलना है ये कानून इतना लचीला था कि इसका कोई खास असर नहीं निकला। हालांकि आज भी ऐसी घटनाएं बंद नहीं हुई हैं। लेकिन ऐसे कुछ मामलों में कमी आई है।