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US President Election: डोनाल्ड ट्रंप के एक ऐलान ने उड़ाई जिनपिंग की नींद, आखिर चीन के इस डर की वजह क्या है?

Donald Trump News: डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन उम्मीदवार बनने के बेहद करीब हैं. शनिवार को उन्होंने साउथ कैरोलिना प्राइमरी में निक्‍की हेली को मात दी. ट्रंप के विजय रथ को आगे बढ़ता देख चीन में हलचल तेज हो गई है. ऐसी चर्चा है कि अगर ट्रंप दोबारा व्‍हाइट हाउस पहुंचे तो चीन के साथ ट्रेड वॉर शुरू हो सकता है. 2017 से 2021 के दौरान, ट्रंप के राष्ट्रपति रहते अमेरिका और चीन के रिश्तों में तगड़ी खटास आ गई थी. द इकॉनमिस्ट की रिपोर्ट बताती है कि चीन के सोशल मीडिया पर ट्रंप छाए हुए हैं. उनके फिर से अमेरिकी राष्‍ट्रपति बनने की संभावना जताई जा रही है. साथ ही एक डर भी है कि ट्रंप जीते तो चीनी माल पर 60% या ज्यादा टैरिफ लगा देंगे. ट्रंप ने फॉक्‍स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ‘हमें यह करना ही पड़ेगा.’ ट्रंप के इस ऐलान से राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नींद जरूर उड़ गई होगी. चीन पहले से ही आर्थिक संकट में डूबा है. अगर ट्रंप फिर चुने जाते हैं तो चीन की मुश्किल कई गुना बढ़ जाएगी.

ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए दुनिया की दो आर्थिक महाशक्तियां आमने-सामने आ गई थीं. ट्रंप प्रशासन ने चीनी माल पर सैकड़ों बिलियन डॉलर के टैरिफ लगा दिए थे. ट्रंप की वापसी से उस ट्रेड वॉर के और तेज होने का खतरा है. एशिया में सुरक्षा ढांचे को लेकर ट्रंप का रुख क्‍या रहेगा, इसे लेकर भी चीनी नेतृत्व में घबराहट है.

क्या है ट्रंप का 60% प्‍लान

ट्रंप ने कहा है कि वह चीनी माल पर 60% या ज्‍यादा टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं. नवंबर में राष्ट्रपति चुने जाने पर वह चरणबद्ध तरीके से चीन से आयात पर शुल्क बढ़ा सकते हैं. वह जापान और यूरोप के साथ भी ऐसा ही टैरिफ गेम खेलने की सोच रहे हैं ताकि उन्हें अपने बाजारों में अमेरिकी माल के लिए और जगह बनाने पर मजबूर किया जा सके.

ट्रंप खुलकर चीन की खिलाफत करते रहे हैं. उनकी नजर में चीन ऐसा देश है जो व्यापार के नियमों का पालन नहीं करता, दूसरे देशों की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुराता है. फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, ‘आप जानते हैं, जाहिर तौर पर मैं चीन को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता. मैं चीन के साथ मिलकर चलना चाहता हूं. मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा है. लेकिन उन्होंने वास्तव में हमारे देश का फायदा उठाया है.’

चीनी सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है

द इकॉनमिस्ट की रिपोर्ट बताती है कि चीनी ट्रंप से खूब चिढ़ते हैं. ट्रंप की 60% टैरिफ वाली बात पर एक चीनी यूजर ने लिखा कि ‘और लगा दो.’ वहीं एक अन्य ने कहा कि ‘यह देखना चाहता हूं कि सामान्‍य अमेरिकी कैसी जिंदगी जीएगा.’ कुछ चीनियों को लगता है कि ट्रंप के आने से युद्ध की आशंका बलवती हो जाएगी.

शी जिनपिंग का नया सिरदर्द?

2023 में चीन की आर्थिक वृद्धि 5.2% तक पहुंच गई, जो सरकारी लक्ष्य से थोड़ा ज्‍यादा है. हालांकि चीन कई चुनौतियों से जूझ रहा है. उसके प्रॉपर्टी मार्केट में अभूतपूर्व मंदी है, युवाओं के बीच बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, कॉर्पोरेट डिफॉल्‍ट की घटनाएं बढ़ी हैं और लोकल स्थानीय सरकारों के सामने वित्तीय परेशानियां खड़ी हो गई हैं. शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा भी बढ़ रहा है. द चाइना लेबर बुलेटिन के अनुसार, 2023 में हड़तालों और प्रदर्शनों की संख्या बढ़कर 1,794 हो गई. यह 2022 में दर्ज 830 घटनाओं के दोगुने से भी ज्‍यादा है.

ट्रंप निजी तौर पर शी जिनपिंग को पसंद करते हैं. उन्होंने हाल ही में कहा है, ‘मुझे राष्ट्रपति शी बहुत पसंद हैं. मेरे कार्यकाल के दौरान वह मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे.’ हालांकि, 2017-21 के बीच ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिकी नीतियों में बड़ा बदलाव देखने को मिला. उनकी सरकार ने अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने और रोजगार सुरक्षित करने के मकसद से टैरिफ लागू किया. द इकॉनमिस्ट के अनुसार, ट्रेड वॉर के चलते चीन की त्रैमासिक जीडीपी लगभग 0.8% तक घट गई. आज के हिसाब से यह कमी करीब 40 बिलियन डॉलर के बराबर बैठती है.

ट्रंप के मुकाबले, जो बाइडेन प्रशासन के साथ चीन के रिश्ते बेहतर रहे हैं. बाइडेन ने ट्रंप के टैरिफ को तो बरकरार रखा लेकिन चीन को पश्चिमी तकनीक के ट्रांसफर पर लगाम कसने का ढांचा तैयार कर दिया. बाइडेन प्रशासन ने भारत, फिलीपींस, साउथ कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग बढ़ाकर एशिया में चीन के प्रभाव को कंट्रोल करने की भी कोशिश की है. 

ट्रंप की आर्थिक नीतियां चीन के लिए सीधी चुनौतियां पैदा कर सकती हैं. हालांकि ट्रंप की बयानबाजी से चीन को रणनीतिक लाभ हो सकता है, खासकर ताइवान और क्षेत्रीय सुरक्षा मामलों में.

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