अंतर्राष्ट्रीय

दुनिया की सबसे भारी रॉकेट को तीसरी बार किया टेस्‍ट

दुनिया की सभी स्‍पेस एजेंसियां ‘अंतरिक्ष’ में अपने मिशन लॉन्‍च करने के लिए पावरफुल रॉकेट का प्रयोग करती हैं. हाल ही में एलन मस्‍क की स्‍पेस कंपनी ‘स्‍पेसएक्‍स’ (SpaceX) ने दुनिया की सबसे भारी रॉकेट को तीसरी बार टेस्‍ट किया. लेकिन चीनी वैज्ञानिक एक नयी दिशा में काम कर रहे हैं. भारी-भरकम पावरफुल रॉकेट के बजाए वो एक विशाल विद्युत चुंबकीय लॉन्‍च ट्रैक (electromagnetic launch track) पर काम कर रहे हैं. इसकी सहायता से बोइंग 737 से भी लंबे 50 टन के विशाल स्‍पेसप्‍लेन को लॉन्‍च करने की प्रयास की जाएगी.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इस सिस्‍टम को ‘रेल गन’ (rail gun) बोला जाता है. सिस्‍टम का डिजाइन तैयार है. इसकी सहायता से हाइपरसोनिक विमान को मैक 1.6 तक की स्‍पीड तक ले जाया जा सकता है, जिससे ऑब्‍जेक्‍ट को स्‍पेस में भेजने का टार्गेट पूरा किया जा सकता है.

दिलचस्‍प यह है कि चीन इस प्रोजेक्‍ट पर काम करने वाला पहला राष्ट्र नहीं है. वर्ष 1990 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने इस पर काम प्रारम्भ किया था. लेकिन फंडिंग में कमी और तकनीकी चुनौतियों के कारण प्रोजेक्‍ट को बीच में ही बंद कर दिया गया.

बाद में अमेरिकी सेना ने एयरक्राफ्ट कैरियर्स से विमानों को लॉन्च करने के लिए कम स्‍पीड वाले विद्युत चुंबकीय लॉन्‍च ट्रैक डेवलप किए. यह शुरुआती प्रयास थी, जिसमें तकनीकी समस्‍याएं आती रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सेना ने विद्युत चुंबकीय लॉन्‍च पैड तैयार करने की ज्‍यादातर कोशिशें बंद कर दी हैं, लेकिन चीन इस दिशा में लगातार काम कर रहा है.

अबतक किए गए टेस्‍टों में चीनी वैज्ञानिकों को पता चला है कि रॉकेट के फर्स्‍ट स्‍टेज की आवश्यकता को खत्‍म करने के लिए उन्‍हें एयरक्राफ्ट की स्‍पीड को तेज करने की आवश्यकता है. यदि वैज्ञानिक अपनी प्रयास में सफल हो जाते हैं तो स्‍पेसक्राफ्ट को कम फ्यूल के साथ स्‍पेस में पहुंचाया जा सकेगा. इससे पैसों की काफी बचत होगी.

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