इस मंदिर में होने वाली है अनोखी पूजा में शहर के लोग 3 दिन के लिए हो जाएंगे बंद
माना जाता है कि देवघर में ईश्वर शिव के साथ सभी देवी-देवताओं का वास है। बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में ईश्वर शिव के साथ ही 22 देवी-देवताओं के मंदिर हैं। उन्हीं में से एक मां काली का मंदिर है। तीर्थ पुरोहित बताते हैं कि नगर कल्याण के लिए चैत्र महीने में मां काली की तांत्रिक विधि से विशेष पूजा की जाती है। इसे नगर गंवाली पूजा भी कहते हैं। मान्यता है कि 3 दिन तक चलने वाली पूजा में शहर को बांध दिया जाता है।
बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित दिगंबर मिश्रा ने Local 18 को कहा कि बाबा मंदिर परिसर में नगर गंवाली पूजा का आयोजन 2 अप्रैल को किया जाएगा। यह नगर गंवाली पूजा तीन दिनों तक चलती है। मां काली को शरबत और जल अर्पण कर नगर को बांधा जाता है। 31 मार्च को देवघर नगर को बांधा जाएगा। उसके बाद कोई भी क्षेत्रीय लोग 2 अप्रैल तक शहर के बाहर नहीं जा सकते हैं। ऐसा करने से उस पर नकारात्मक असर पड़ता है।
दूसरे दिन शोभायात्रा
वहीं, दूसरे दिन शोभायात्रा निकालकर धूमधाम से मां शीतला को आमंत्रण दिया जाता है। तीसरे दिन बाबा मंदिर परिसर में संध्याकाल में मां काली की तांत्रिक विधि से विशेष पूजा की जाती है। गंवाली पूजा के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में धूमन जलाते हैं, जिसके धुआं से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
नगर गंवाली पंजा का महत्व
तीर्थ पुरोहित बताते हैं कि नगर गंवाली पूजा करने से हमारे ऊपर किसी भी प्रकार का महामारी का असर नहीं पड़ता है। महामारी या बड़े-बड़े रोगों से बचने के लिए यह पूजा हमारे पुरखों के समय से चलती आ रही है। मां काली को नगर की देवी के रूप में पूजा जाता है, ताकि सभी प्रकार के संकटों से वह नगर के लोगों की रक्षा करें। इस पूजा से मां काली प्रसन्न होती हैं और हमारे ऊपर पड़ने वाली नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करती हैं।