झारखंड में आइपीएल मैचों पर करोड़ों रुपये का रोज लग रहा सट्टा
रांची: मटका की तर्ज पर अब झारखंड में आइपीएल मैचों पर करोड़ों रुपये का सट्टा रोज लग रहा है। नशे की तरह युवाओं में सट्टे की लत भी तेजी से बढ़ रही है। टीमों की जीत, टीमों द्वारा बनाए गए कुल रन, भिन्न-भिन्न खिलाड़ियों के रन, प्रत्येक बॉल पर बनने वाले रन, आउट होने वाले खिलाड़ी आदि पर दांव लगाया जा रहा है। सटोरियों में बड़ी संख्या युवाओं की है। विभिन्न साइटों और मोबाइल ऐप के अतिरिक्त बुकियों द्वारा भी खाता खोल कर सट्टा खेलाया जा रहा है। सट्टे का पूरा कारोबार मोबाइल के जरिये चल रहा है।
सिंडिकेट कर रहा है गैरकानूनी कारोबार
राज्य में आइपीएल सट्टे का गैरकानूनी कारोबार सिंडिकेट कर रहा है। सिंडिकेट के बुकी कमीशन के आधार पर सट्टेबाजी का पैसा जमा करते हैं और दांव जीतने पर बढ़ी हुई धनराशि लौटाते भी हैं। बुकी को मोहल्लों के हिसाब से जिम्मा दिया जाता है। बुकी द्वारा नकद, टेलीफोन पे, गूगल पे और पेटीएम आदि के माध्यम से रुपये लिये जाते हैं। सट्टा खेलने के लिए बुकी को एडवांस देकर अपना एकाउंट खुलवाना पड़ता है। एडवांस की राशि 100 रुपये से एक लाख रुपये तक हो सकती है। खाता खोलने और उसके बाद सट्टे में हर बार लगायी जाने वाली राशि का कमीशन भी बुकी को मिल जाता है।
युवाओं को फंसा रहे हैं सूदखोर
युवाओं को सट्टे में पैसा लगाने के लिए सूदखोर भी प्रोत्साहित करते हैं। छोटे स्तर पर छिप कर सूद का काम करने वाले क्षेत्रीय लोग युवाओं को भारी ब्याज पर सट्टा खेलने के लिए रुपये उधार देते हैं। बाद में ब्याज समेत पूरी धनराशि लौटाने का दबाव बनाते हैं। दबाव की वजह से पहले युवा दोस्तों और संबंधियों से उधार लेते हैं और फिर बाद में अपने घर के अतिरिक्त परिचितों के यहां भी चोरी करने से भी गुरेज नहीं करते हैं।
हाइटेक सटोरिये पुलिस की पकड़ से बाहर
आइपीएल सट्टे का बाजार काफी हाइटेक है। इंटरनेट पर सट्टा लगाने के लिए दर्जनों प्लेटफॉर्म उपस्थित हैं। क्षेत्रीय स्तर पर भी औनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार कर सट्टा खेलाया जा रहा है। ज्यादातर प्लेटफॉर्म का मुख्यालय हिंदुस्तान से बाहर कहा जाता है। इसके बलावा बुकी भी लगातार सिमकार्ड भी बदलते हैं। इन कारणों से सटोरिये पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। राज्य में अब तक सट्टे के गैरकानूनी कारोबार का खुलासा नहीं किया जा सका है।
केस स्टडी : 01
अपर बाजार के प्रतिष्ठित व्यवसायी के पुत्र को आइपीएल सट्टे की लत लग गयी। प्रारम्भ में उसने कुछ धनराशि जीती। मैच के दौरान वह टेलीफोन पर लगातार व्यस्त रहता। फिर लालच में आकर बड़ा दांव खेलने लगा। हारने पर दोस्तों और संबंधियों से उधार लिया। फिर सूदखोरों से पैसे उठा कर सट्टे में लगाने लगा। कुछ दिनों बाद उसके घर पर अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का आना-जाना प्रारम्भ हो गया। अभिभावकों के पूछने पर लड़के ने घर वालों को सट्टे और उधार के बारे में बताया। घर वालों ने लड़के को कभी सट्टा न खेलने की कसम खिला कर उधार चुकाया। मगर कुछ दिनों बाद फिर से उधार लौटाने का तकादा करने लोग घर पहुंचने लगे। पता चला उधार ली गयी राशि लाखों में है। लड़के को पूछने पर वह याद नहीं होने और स्वयं की जान देने की बात करने लगा। सामाजिक कारणों से व्यवसायी पुलिस के पास नहीं जाकर लड़के को अपने सम्बन्धी के पास राज्य के बाहर भेज दिया। अब भी सूदखोर लड़के की तलाश करते हुए घरवालों से राशि की मांग कर रहे हैं।
केस स्टडी : 02
शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय में पढ़ने वाला कांके रोड निवासी विद्यार्थी काफी उदास रहने लगा। उसने घर से निकलना बंद कर दिया। रोग का बहाना बना कर कई दिनों तक विद्यालय नहीं गया। दिन भर अपने कमरे में बंद रहने लगा। माता-पिता के काफी पूछने पर उसने कहा कि वह काफी दिनों से आइपीएल में सट्टा लगाता रहा है। प्रारम्भ में जीता। जीत के पैसों से दोस्तों के साथ पार्टी की। लेकिन फिर वह हारने लगा। पैसे नहीं रहने पर घर से कुछ सामान भी चोरी कर बेच दिया। उसने कहा कि सट्टा खेलने के दौरान कुछ लोगों से जान-पहचान हुई। उन्होंने सूद पर पैसे उधार दिये। अब वो लाखों रुपये का ब्याज जोड़ कर पैसे वापस लौटाने का दबाव बना रहे हैं। पैसे नहीं देने पर मारने-पीटने की धमकी भी दे रहे हैं। लड़के के पिता एक निजी कंपनी में काम करते हैं। उनको समझ में नहीं आ रहा है कि क्या किया जाये।