पलामू की पॉलिटिक्स में इस बार महागठबंधन कर रहा जीत का दावा
रांची। झारखंड की पलामू लोकसभा सीट पर भाजपा और आरजेडी जीत का दम भर रही है। पलामू लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो अक्सर यहां सांसद बदलते रहे हैं, पर वर्तमान में पिछले 10 वर्ष से बीजेपी के बीडी राम सांसद हैं। हालांकि, इस बार आरजेडी पलामू की सीट पर जीत का दावा कर रही है। वहीं, बीजेपी कह रही है कि काम के आधार पर बीजेपी की जीत सुनिश्चित है।
पलामू संसदीय सीट के इतिहास की बात करें तो 2004 से लेकर 2008 तक इस क्षेत्र में राजद के दबदबा रहा था। वहीं 2009 में जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में ये सीट गई थी। वहीं, 2014 से लगातार बीडी राम चुनाव जीतते आ रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने बीडी राम पर ही विश्वास जताते हुए टिकट दिया है। दूसरी ओर राजद के प्रदेश महासचिव कैलाश यादव ने पलामू सीट पर राजद की मजबूती का दावा किया है। कैलाश यादव कहते हैं कि पलामू के कई जरूरी मामले हैं जिनपर बीडी राम खरे नहीं उतरे हैं। लोगों में निराशा है और इस वजह से इस बार लोगों ने मन बना लिया है कि लोकसभा चुनाव में राजद की उम्मीदवार ममता भुइंया की जीत दिलाएगी।
ममता भुइंया की जीत का आरजेडी का दावा
इधर, ममता भुइंया को क्षेत्र में मजबूत बताते हुए राजद के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने बोला कि ममता भुइंया उस क्षेत्र में काफी मजबूत प्रत्याशी हैं। ममता भुइंया को अतिरिक्त मजबूती देने के लिए उनके नामांकन के दिन यानी 24 अप्रैल को तेजस्वी यादव और मुकेश साहनी भी पहुंच रहे हैं और इस बार जनता ने भी मन बना लिया है। हालांकि, क्षेत्र के हिसाब से समीकरण की बात करें तो पलामू लोकसभा में 6 विधानसभा आते हैं। इनमें से डालटेनगंज, विश्रामपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा, छत्तरपुर, भवनाथपुर विधानसभा शामिल हैं। इन विधानसभा में अभी 5 पर जहां बीजेपी और उनके घटक दल के विधायक हैं तो वहीं 1 सीट गढ़वा जेएमएम के खाते में है।
भाजपा कर रही हैट्रिक लगाने का दावा
विधानसभा के सीटों पर मजबूती के साथ-साथ बीजेपी स्वयं को पलामू के सीट पर भी मजबूत बता रही है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने बोला कि पलामू में मुकाबला साफ है। जनता झारखंड को बनाने वाले और झारखंड को मेरी मृत-शरीर पर बनने वाले के बीच का मुकाबला है। बीडी राम पिछले 10 सालों से जनता के बीच काम कर रहे हैं और इस दौरान उन्होंने कई जरूरी काम भी किए हैं। चाहे वह इंफ्रास्ट्रक्चर की बात हो, चाहे रेलवे की, ये काम बताते हैं कि पिछली बार के मुकाबले इस बार अधिक अंतर से बीजेपी जीतने वाली है। फिर चाहे तेजस्वी यादव वहां प्रचार कर लें या फिर लालू यादव, वहां कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
बहरहाल, पलामू संसदीय सीट पर मकाबला दिलचस्प है और अब देखना होगा कि दोनों पार्टी के अपने-अपने दावे के बीच जब पहले चरण का चुनाव होगा तो जनता किसके साथ जाती है और पलामू में जीत का ताज किसके सर सजता है।