सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड की निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को दिया बड़ा झटका
सुप्रीम न्यायालय ने झारखंड की निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को बड़ा झटका दिया है. न्यायालय ने धनशोधन मुद्दे में झारखंड कैडर की अधिकारी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. शीर्ष न्यायालय ने झारखंड हाई कोर्ट द्वारा सिंघल की जमानत से इनकार करने के आदेश में हस्तक्षेप करते हुए बोला कि यह एक असाधारण मुद्दा है.
‘यह सामान्य नहीं बल्कि असाधारण मुद्दा है’
न्यायमूर्ति संजीव वर्मा और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने बोला कि अभियोजन पक्ष के 17 में से 12 गवाहों से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पूछताछ की गई है. न्यायालय ने आशा जताई कि मुद्दे की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी हो जाएगी. न्यायालय ने निलंबित आईएएस अधिकारी से बोला कि जमानत के लिए कुछ समय और प्रतीक्षा करें क्योंकि यह कोई सामान्य नहीं है बल्कि असाधारण मुद्दा है. न्यायालय ने साफ किया कि इस मुद्दे में कुछ लोग गंभीर रूप से गलत हैं और हमें आशा है कि केस तेजी से आगे बढ़ेगा. न्यायालय ने बोला कि यदि यह केस लंबा चलता है या हालात में कोई परिवर्तन होता है तो पूजा सिंघल फिर से जमानत याचिका दाखिल कर सकती हैं.
‘687 दिन की हिरासत के दौरान 481 दिन हॉस्पिटल में बिताए’
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से न्यायालय में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए बोला कि पूजा सिंघल ने हिरासत में रहने के दौरान अधिकांश समय हॉस्पिटल में बिताया है. उन्होंने बोला कि कुल 687 दिनों की हिरासत के दौरान सिंघल ने 481 दिन हॉस्पिटल में बिताए. न्यायालय में पूजा सिंघल की तरफ से पेश हुए वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने बोला कि रांची की जिस बिरसा मुंडा कारावास में में सिंघल को हिरासत में रखा गया है, वहां पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं. पीठ ने अग्रवाल से बोला कि इल्जाम काफी गंभीर हैं और बरामद किए गए कैश की मात्रा भी अधिक है. न्यायालय ने बोला कि यदि यह मुद्दा गंभीर नहीं होता तो सिंघल को पहले ही जमानत दे दी जाती.
प्रवर्तन निदेशालय ने किया था जमानत का विरोध