झारखण्ड

धनबाद से अब तक बने 10 राजनीतिज्ञ सांसद

धनबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से अब तक 10 राजनीतिज्ञ सांसद बने हैं 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुका है लेकिन, यहां से चार बार सांसद रहीं प्रोफेसर रीता वर्मा ही एक बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान बना पायीं वह लगभग चार सालों तक विभिन्न मंत्रालयों में राज्य मंत्री रहीं यहां से कई बड़े नामचीन चेहरे सांसद रह चुके हैं

धनबाद सीट से पीसी बोस थे पहले सांसद

भारत की आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव से ही धनबाद लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में है यहां से पीसी बोस पहली बार सांसद बने कद्दावर मजदूर नेता माने जानेवाले पीसी बोस के बाद डीसी मल्लिक यहां के सांसद बने इसके बाद कांग्रेस पार्टी पार्टी के ही पीआर चक्रवर्ती सांसद बने लेकिन, उन्हें भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल पायी

फिर रानी ललिता राजलक्ष्मी यहां से निर्दलीय सांसद बनीं फिर इंटक के बड़े नेता रामनारायण शर्मा यहां से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे लेकिन, इन्हें भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाया

इसके बाद कद्दावर वाम नेता एके राय यहां से तीन बार सांसद बने लगातार दो बार जीते एक ब्रेक के बाद तीसरी बार लोकसभा पहुंचे 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता तथा उस समय बिहार गवर्नमेंट में कैबिनेट मंत्री रहे शंकर दयाल सिंह यहां से सांसद बने लेकिन, उन्हें भी केंद्र गवर्नमेंट में स्थान नहीं मिल पायी

ददई दुबे और पीएन सिंह को भी नहीं मिली जगह

वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का विजय रथ रोकने वाले कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता चंद्रशेखर उर्फ ददई दुबे को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल पायी जबकि वे बिहार गवर्नमेंट में कैबिनेट मंत्री रह चुके थे

2009, 2014 तथा 2019 के चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने वाले बीजेपी नेता पशुपति नाथ सिंह को भी एक बार भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल पायी जबकि श्री सिंह तीन बार विधायक तथा झारखंड गवर्नमेंट में बाबूलाल मरांडी एवं अर्जुन मुंडा गवर्नमेंट में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे 2019 के चुनाव में पूरे पूर्वी हिंदुस्तान में सबसे अधिक वोट से जीतने का रिकॉर्ड भी पीएन सिंह के नाम भी था यहां के लोगों को आशा थी कि श्री सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान जरूर मिलेगी

चौथी जीत के बाद प्रो रीता वर्मा बनीं केंद्रीय राज्यमंत्री

1991, 1996, 1998 तथा 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में लगातार जीत का परचम लहराने वाली प्रोफेसर रीता वर्मा को अटलबिहारी वाजपेयी गवर्नमेंट में स्थान मिली 1999 के चुनाव में जीत का चौका लगाने के बाद श्रीमती वर्मा पहले खान एवं खनिज राज्य मंत्री बनीं

एक साल बाद उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री बनाया गया फिर ग्रामीण विकास विभाग में राज्यमंत्री बनीं फिर 2001 से 2003 तक मानव संसाधन विकास विभाग में राज्यमंत्री रहीं श्रीमती वर्मा कुछ दिनों तक लोकसभा अध्यक्ष के पैनल मेंबर भी रहीं साल 1998 के चुनाव के बाद बीजेपी संसदीय दल की सचेतक भी रहीं

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button