झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले में CBI जांच का दिया आदेश
रांची: झारखंड से बलात्कार के ‘झूठे’ मुद्दे में अपने सहकर्मी को फंसाने का और बाद में मुकर जाने का एक अनोखा मुद्दा सामने आया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, झारखंड में पुलिस का एक जवान सहकर्मी स्त्री कॉन्स्टेबल के बलात्कार के इल्जाम में 13 महीने कारावास में रहा. बाद में स्त्री कॉन्स्टेबल बलात्कार के इल्जाम से मुकर गई और बोला कि कुछ अफसरों के कहने पर उसने इस मुद्दे की FIR दर्ज कराई थी. बता दें कि कारावास से बाहर निकले जवान ने इस मुद्दे की हाई लेवल जांच और कारावास में गुजारी गई अवधि के लिए मुआवजे की गुहार लगाते हुए झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी.
कोविड काल में दर्ज की गई थी बलात्कार की FIR
रेप के ‘झूठे’ मुद्दे में एक लंबा समय कारावास में गुजारने वाले जवान की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच का आदेश पारित किया है. जवान पर बलात्कार का यह ‘झूठा’ इल्जाम कोविड काल का है और पूरा मुद्दा साल 2020 का है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्वी सिंहभूम के एक पुलिस स्टेशन में तैनात जवान अनिल कुमार के विरुद्ध एक स्त्री कॉन्स्टेबल ने कोविड काल के दौरान बलात्कार का इल्जाम लगाते हुए FIR दर्ज कराई थी. बाद में उसने विभाग को एक पत्र लिखकर बोला कि उसने कुछ ऑफिसरों के कहने पर यह मुकदमा किया था.
पत्र में स्त्री कॉन्स्टेबल ने कही चौंकाने वाली बात
अपने पत्र में स्त्री कॉन्स्टेबल ने बोला कि उसे तो यह भी नहीं पता कि जिस आवेदन पर FIR दर्ज हुई, उसमें क्या लिखा है क्योंकि उसे हिंदी लिखना-पढ़ना नहीं आता. बाद में उसे जानकारी हुई कि FIR में बलात्कार की बात है तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. स्त्री ने न्यायालय को भी इसकी जानकारी दी जिसके बाद जमशेदपुर की न्यायालय ने अनिल कुमार को साल 2022 में रिहा कर दिया था. अब झारखंड उच्च न्यायालय ने सीबीआई को पूरे मुद्दे की जांच कर रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने मुद्दे की अगली सुनवाई 10 जून को मुकर्रर की है. (IANS)