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देवता की पूजा के नाम पर एक बदमाश ने चार साल के मासूम लड़के की बेरहमी से किया हत्या

वर्तमान चुनावों में सभी सियासी दल विभिन्न वर्गों को रियायतें, नकद और निःशुल्क योजनाओं, नारों और नारों के झूठे वादे करके सत्ता हासिल करने के लिए विभिन्न रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे हैं अधिकतर लोग, चाहे वे शिक्षित हों या अशिक्षित, पीढ़ी-दर-पीढ़ी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपनी रूढ़िवादी सोच के कारण विभिन्न अंधविश्वासों, रुढ़िवादी कर्मकांडों, डेरों और पाखंडी बाबाओं के जाल में बुरी तरह फंसे हुए हैं.

इसी अंधविश्वासी मानसिकता का लाभ उठाकर पाखंडी साधु, तांत्रिक, साधु, ज्योतिषी और तथाकथित साधु जो जगह-जगह चौकियां स्थापित करते हैं और दुकानें खोलते हैं, ऐसे लोगों की सभी प्रकार की समस्याएं, दुख, रोग, इच्छाएं, वज्रपात होते हैं. तथाकथित ईश्वरीय शक्ति से ठीक करने का दावा. वे उन्हें भूत-प्रेत, बुरी आत्माएं, जादू-टोना, ताबीज, ग्रह चक्र, कुंडली, जन्म कुंडली, वशीकरण, कार्य-कारण, वास्तु शास्त्र, जंतर-मंत्र, सुरक्षा कवच, काली विद्या, स्वर्ग-नर्क, भाग्य आदि मानते हैं. – पिछले जन्म के अंधविश्वासों में फंसाकर उनका आर्थिक, शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं. पिछले कुछ सालों में पंजाब में कई विधर्मी साधुओं, तांत्रिकों और साधुओं ने तथाकथित बुरी आत्मा, पराई वस्तु या भूत को भगाने की आड़ में हत्या, स्त्रियों से बलात्कार, गर्म चिमटे से यातना और मासूम बच्चों पर अत्याचार किए हैं. मानसिक बीमारी से पीड़ित आदमी की बलि चढ़ाने की दिल दहलाने वाली आपराधिक घटनाएं हुई हैं. साल 2017 में बठिंडा जिले के कोट फत्ता गांव में तांत्रिक के कहने पर परिवार ने दो मासूम बच्चों की बलि दे दी थी, इस संबंध में न्यायालय ने 23 मार्च 2023 को दिए निर्णय में परिवार के छह सदस्यों समेत आरोपी तांत्रिक को जीवन भर जेल की सजा सुनाई गई पिछले वर्ष अक्टूबर के पहले हफ्ते में, खन्ना के पास अलौद गांव में एक तांत्रिक के निवेदन पर किसी देवता की पूजा के नाम पर एक लुटेरे ने चार वर्ष के मासूम लड़के रवि राज की बेरहमी से मर्डर कर दी और उसकी बलि दे दी.

ऐसी ही एक दिल दहला देने वाली घटना में पिछले वर्ष 11 जुलाई को अमृतसर जिले के मुधल गांव में 9 वर्ष की मासूम बच्ची सुखमनदीप कौर की उसके संबंधियों ने अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए एक तांत्रिक के निवेदन पर बलि के नाम पर बेरहमी से मर्डर कर दी थी.

कुछ साल पहले गांव भिंडर कलां (मोगा) के सरपंच को, जो एक विशेष दिन पर चौकी लगाकर प्रश्न पूछने का गैरकानूनी धंधा भी करता था, भूत-प्रेत भगाने के बहाने उसके एक सम्बन्धी ने चिमटे से पीटा था. मासूम लड़की को पीट-पीट कर मार डाला ये कोई सामान्य हत्याएं नहीं हैं बल्कि घातक अंधविश्वासी मानसिकता के अनुसार मासूम बच्चों को संस्कारित कर एक सुनियोजित षड्यंत्र के अनुसार की गई बेरहमी से हत्याएं हैं.

यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी भी सियासी दल की गवर्नमेंट ने ऐसी बर्बर हत्याओं को रोकने के लिए कोई अंधविश्वास विरोधी कानून लागू करने की कानूनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है. ऐसी घटनाएं स्वयं को सभ्य कहने वाले भारतीय समाज और इन्सानियत के चेहरे पर भी एक बड़ा दाग हैं. हमारे राष्ट्र की शैक्षणिक संरचना भी लोगों में वैज्ञानिक चेतना और संघर्ष की भावना पैदा करने के बजाय उन्हें अंधविश्वासी, अध्यात्मवादी और भाग्यवादी बनाने की दिशा में गुमराह करती है.

लोगों को इस तथ्य पर भी गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि यदि इन नकली तांत्रिकों, साधुओं, ज्योतिषियों और स्वामियों के पास लोगों की सभी प्रकार की समस्याओं को हल करने, उनकी इच्छाओं को पूरा करने और रोंगों का सफलतापूर्वक उपचार करने की कोई दिव्य शक्ति है तो वे पहले चुनौती स्वीकार क्यों नहीं करते हिंदुस्तान के विभिन्न तार्किक संगठनों द्वारा अपनी ईश्वरीय शक्ति दिखाने के लिए रखे जाने वाले करोड़ों रुपये के पुरस्कार जीतने का?

वे भोले-भाले लोगों को अपने झांसे में फंसाकर उन्हें लूटने का धंधा क्यों करते हैं? जेलों में सज़ा काट रहे ऐसे साधु-संत अपनी तथाकथित ईश्वरीय शक्तियों से जेलों से बाहर निकलने का करिश्मा क्यों नहीं दिखाते? पंजाब गवर्नमेंट और पुलिस इस तथ्य से भलीभांति परिचित है कि ऐसे फर्जी बाबा, तांत्रिक, ज्योतिषी गैरकानूनी दुकानें खोलते हैं, आपराधिक गतिविधियां करते हैं और ड्रग्स और जादुई इलाज आपत्तिजनक विज्ञापन अधिनियम 1954, केबल टेलीविजन विनियमन अधिनियम 1994 और विशेष रूप से झूठे और गैरकानूनी विज्ञापन करते हैं. मेडिकल पंजीकरण अधिनियम का गंभीर उल्लंघन. फिर भी इन पाखंडी लोगों और संबंधित मीडिया के विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है.

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी सरकारों ने भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-ए (एच) के अनुसार लोगों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने के बजाय अपने लोगों को पाखंड, डेरावाद और बाबावाद के मायाजाल में फंसाकर अंधविश्वास के अंधेरे में रखा है. और साम्प्रदायिक नफरत दलदल में फेंक रहे हैं जाहिर है कि करोड़ों रुपये के इस गोरख धंधे के फलने-फूलने के पीछे सरकारी तंत्र, शीर्ष पुलिस ऑफिसरों और करप्ट एवं सांप्रदायिक राजनेताओं की मिलीभगत है.

तर्कशील समाज पंजाब ने अब तक हजारों पाखंडी साधुओं, तांत्रिकों, साधुओं और ज्योतिषियों की तथाकथित ईश्वरीय शक्ति और काले ज्ञान को जनता की न्यायालय में खुलासा किया है और उनके गैरकानूनी कारोबार को बंद कराया है, लेकिन पंजाब में अंधविश्वास विरोधी कानून का अभाव है इससे ऐसे क्रिमिनल कानूनी सजा से बच जाते हैं और फिर अपना कारोबार कहीं और प्रारम्भ कर लेते हैं. उल्लेखनीय है कि यह कानून महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में कई वर्षों से लागू है.

इसे लेकर पिछली अकाली-भाजपा और कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट को भी रेशनल सोसायटी पंजाब की ओर से ‘पंजाब काला जादू-टोना और अंधविश्वास निवारण कानून’ का ड्राफ्ट दिया गया था और इस संबंध में फगवाड़ा के तत्कालीन विधायक सोम प्रकाश को दिनांक 22-3. – 2018 में बैलेट नंबर 192 और 14-2-2019 को बैलेट नंबर 228 के अनुसार अनाधिकारिक संकल्पों के अनुसार पंजाब विधानसभा में इस कानून को लागू करने के संबंध में सिफारिश की गई थी

अफसोस की बात है कि किसी भी गवर्नमेंट या सियासी दल ने इस कानून को बनाने में अच्छी मंशा नहीं दिखाई. फरवरी 2023 में पंजाब की आम आदमी पार्टी गवर्नमेंट के सभी मंत्रियों, विधायकों और विधान पार्षदों को पंजाब काला जादू और अंधविश्वास विरोधी कानून के मसौदे के साथ मांग पत्र दिया गया था

अब फिर फरवरी सत्र से पहले बजट दिया गया, लेकिन आम आदमी पार्टी की मौजूदा पंजाब गवर्नमेंट पिछली सरकारों की तरह जानबूझ कर इस जन हितैषी कानून को बनाने से बच रही है. बेगुनाह लोगों को अंधविश्वासों, अंधविश्वासों में फंसाकर उनका आर्थिक, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न करने वाले पाखंडी साधुओं, तांत्रिकों, ज्योतिषियों की अवैध गतिविधियों पर पंजाब में अंधविश्वास विरोधी कानून लागू किया जाना चाहिए कठोर प्रतिबंध लगाने में किसी भी तरह की देरी. इस संबंध में पंजाब के सभी वर्गों के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने और एक व्यापक जन आंदोलन खड़ा करने और निर्णायक जन संघर्ष चलाने के लिए जन-हितैषी और प्रगतिशील लोकतांत्रिक और तर्कसंगत संगठनों की जरूरत है.

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