मानव अंगों के नियम विरूद्ध प्रत्यारोपण, इसके लिए फर्जी एनओसी जारी
Rajasthan Organ Transplant Case : जयपुर शहर में स्थित सबसे बड़े एसएमएस सरकारी हॉस्पिटल में बड़े ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी NOC से जुड़े मुद्दे में आखिरकार चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जवाहर सर्किल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा दी है।
मानव अंगों के नियम विरूद्ध प्रत्यारोपण, इसके लिए फर्जी एनओसी जारी किए जाने तथा अंग प्रत्यारोपण में अंतर्राष्ट्रीय गिरोह एक्टिव होने की जानकारी सामने आने पर पूरा प्राधिकारी, मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण, राजस्थान की ओर से जवाहर सर्किल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई गई है।
बता दें कि मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए घूस लेकर फर्जी एनओसी जारी करने की सूचना मिलने पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने स्वप्रेरित संज्ञान लिया। इसके बाद उन्होंने एक उच्च स्तरीय बैठक लेकर इस प्रकरण में त्वरित जांच एवं कार्रवाई करने के निर्देश दिए। विभाग की इस पहल के बाद करप्शन निरोधक ब्यूरो ने प्रकरण में शामिल एसएमएस एवं निजी अस्पतालों के कार्मिकों को अरैस्ट किया था।
समुचित प्राधिकारी डाक्टर रश्मि गुप्ता ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा विभाग की इस पहल के बाद सामने आया कि जयपुर के एक निजी हॉस्पिटल में लोगों को लाया जाता और उनकी किडनी निकालकर उन्हें गुरूग्राम भेज दिया जाता। इस मुद्दे में तरराष्ट्रीय स्तर का गिरोह एक्टिव कहा गया।
इसके बाद सहायक पुलिस आयुक्त, मालवीय नगर, जयपुर द्वारा इस संबंध में गुरूग्राम जाकर जांच की गई। जांच में पाया गया कि कुछ बांग्लादेश के निवासियों द्वारा जयपुर के एक निजी हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट करवाया गया। जांच के मुताबिक किडनी डोनर एवं किडनी रिसीवर आपस में सम्बन्धी या ब्लड रिलेशन में नहीं थे ना ही एक दूसरे को जानते थे।
उनके बयानों के मुताबिक निजी हॉस्पिटल प्रशासन, ऑथराइजेशन कमेटी या किसी अन्य डॉक्टर द्वारा उन्हें किसी तरह की एनओसी प्रस्तुत करने के लिए भी नहीं बोला गया, ना ही किडनी डोनर एवं रिसीवर के बीच ब्लड रिलेशन प्रमाणित करने के कागजात मांगे गए।
उनसे कुछ खाली कागजों पर हस्ताक्षर करवाए गए तथा फर्जी एनओसी बनाने के लिए पैसे भी लिए गए। जांच के मुताबिक इस प्रकरण में शामिल दलाल मुर्तजा अंसारी निजी हॉस्पिटल प्रशासन तथा डॉक्टर्स ने मिलकर किडनी रिसीवर एवं किडनी डोनर के साथ धोखाधड़ी कर पैसे हड़पे।
इससे पहले फर्जी मेडिकल जांचों एवं दस्तावेजों के आधार पर सिलिकोसिस नीति के अनुसार नियम विरूद्ध फायदा लेने के मुद्दे में भी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने स्वप्रेरित संज्ञान लेकर प्रकरण को खुलासा किया था और दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई की थी।