बच्चे और 50 साल से अधिक उम्र के लोग डेंगू के गंभीर संक्रमण की चपेट में…
पटना। डेंगू से ठीक होने के वाले अधिकतर रोगियों में कमजोरी के साथ किडनी, लिवर, फेफड़ों में साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। इनमें सबसे अधिक आइजीआइएमएस के ओपीडी में रोगी उपचार को पहुंच रहे हैं। बीते 48 घंटे के अंदर यहां 16 रोगी ऐसे पहुंचे हैं जो डेंगू रिकवर होने के बाद किसी न किसी तरह की कठिनाई लेकर हॉस्पिटल गये हैं। इसके अतिरिक्त पीएमसीएच, एनएमसीएच, पटना एम्स और अन्य बड़े प्राइवेट अस्पतालों के ओपीडी में उपचार कराने पहुंचे हैं। वहीं हल्के लक्षण वाले रोगियों में सबसे अधिक कमजोरी, भूख नहीं लगना और पाचन तंत्र की परेशानी देखने को मिल रही है।
लक्षण के मुताबिक संबंधित विभाग में रेफर हो रहे मरीज
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने कहा कि रिकवरी के बाद कई लोग डेंगू के बाद होने वाले लक्षणों से पीड़ित नहीं होते हैं, लेकिन यह उन लोगों के लिए बहुत घातक हो सकता है, जिसकी इम्सुनिटी कमजोर है और अक्सर तबीयत नासाज रहती है या जो डेंगू के गंभीर संक्रमण की चपेट में हैं। इनमें बच्चे और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अधिक शामिल होते हैं। डॉ ठाकुर ने बोला कि लक्षण के मुताबिक संबंधित विभाग में रोगियों को रेफर किया जा रहा है।
डेंगू रोगियों में लिवर और लंग्स में मिल रहे दुष्प्रभाव
डेंगू की वजह से रोगियों के लिवर, पेट और फेफड़ों में पानी भर रहा है। सांस फूलना, ब्लीडिंग की समस्या, पेट दर्द, बीपी कम जैसी समस्याएं आ रही हैं। लिवर और लंग्स की प्रॉब्लम बहुत अधिक मिल रही है। डॉक्टरों के अनुसार लोग पहले गंभीरता से नहीं लेते और हालत बिगड़ने पर आते हैं। वहीं जो सतर्क रोगी हैं उनका समय उपचार होने एक हफ्ते में ठीक हो जाते हैं। जो मुंह से खा सकते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
पोस्ट डेगू के रोगियों की संख्या बढ़ गयी है। सबसे अधिक गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग में रोगी आ रहे हैं। पोस्ट डेंगू के कुछ ऐसे भी रोगी आये हैं जिनके पैंक्रियाज में सूजन मिल रही है। पेट, लंग्स और गाल ब्लेडर में पानी भरने के लक्षण तो आम हैं ही। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि लोग डेंगू के गंभीर लक्षणों को अनदेखा कर रहे हैं और घर में ही रहते हैं। गंभीर लक्षणों में बेहोशी होना, सांस लेने में तकलीफ, नाक और मसूड़ों से खून आना, शोच और उल्टी में खून आना शामिल है। वहीं यदि रोगियों की संख्या बढ़ती है तो पोस्ट डेंगू ओपीडी को चालू कर दिया जायेगा।
बकरी के दूध में औषधीय गुण,किवी की मांग भी बढ़ी
सारण के डॉक्टर डाक्टर जेड अहमद के मुताबिक बकरी के दूध में वसा की मात्रा कम होती है, कैल्सियम और फॉस्फोरस अधिक मात्रा में पाया जाता है। फैट कम होने से यह डेंगू के रोगियों के लिए लाभ वाला होता है,क्योंकि डेंगू का रोगी जितनी मात्रा में तरल पदार्थ लेगा,वह उतनी जल्द ही स्वस्थ होगा। ये सब चीजें बकरी के दूध में पाई जाती हैं। इसमें विटामिन ए और बी की अधिकता होती है। सीएचसी के प्रभारी डाक्टर रोशन कुमार बताते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके आधार पर यह बोला जा सके कि बकरी का दूध पीने से बुखार के दौरान गिरने वाले प्लेटलेट्स बढ़ने लगते हों। दरअसल, डेंगू में सबसे अधिक परेशानी प्लेटलेट्स की संख्या में गिरावट होते रहने से आती है। कभी-कभी प्लेटलेट्स काफी कम हो जाता है लेकिन रोगी के शरीर में पानी की कमी नहीं हो तो अधिक परेशानी नहीं आती।
बेगूसराय नारियल पानी और कीवी फल की बढ़ी डिमांड
पीड़ित लोगों को डेंगू से बचाव के लिये दवाई के साथ-साथ देशी नुस्खे भी काम आ रहे हैं। डेंगू रोगी दवाई के साथ-साथ नारियल पानी,कीवी फल एवं पपीता का भरपूर सेवन कर रहे हैं।जिस वजह से बाजार में इन फलों की डिमांड बढ़ गयी है और ये फल महंगे हो गये हैं।डेंगू से शीघ्र राहत और ठीक होने के लिये चिकित्सक भी नारियल पानी पीने की राय दे रहे हैं। प्लेटलेट्स बढ़ाने और वीकनेस को दूर करने के लिये कारगर नारियल पानी एवं कीवी फल की डिमांड बढ़ते ही इसके कीमतों में भी बढ़ोत्तरी हो गया है।अन्य दिनों 40 से 45 रुपये प्रति पीस बिकने वाला नारियल पानी वर्तमान में 65 से 80 रुपये प्रति पीस बिक रहा है। 90 रुपये में तीन पीस बिकने वाला कीवी फल अब 150 से 160 रुपये में तीन फीस बिक रहा है।वहीं अन्य दिनों 30 रुपये किलो बिकने वाला पपीता वर्तमान में 50 से 60 रुपये किलो बिक रहा है।