HIV का शिकार हुए एक पूर्व सैनिक को 1.54 करोड़ रुपये का मुआवजा देने वाली याचिका हुई खारिज
Supreme Court : सुप्रीम न्यायालय ने 2002 में इन्फेक्टड खून चढ़ाने के चलते हुई ढिलाई में ‘HIV’ का शिकार हुए एक पूर्व सैनिक को 1.54 करोड़ रुपये का मुआवजा देने वाली याचिका खारिज कर दी है। दरअसल, भारतीय वायुसेना ने मुकदमा को पुनर्विचार करने की मांग की थी। जिसके बाद जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस पी बी वराले की पीठ ने बोला कि पिछले वर्ष 26 सितंबर को सुनाए निर्णय में ऐसा कहीं नहीं लिखा गया है, कि इस निर्णय के बारे में दोबारा से पुनर्विचार किया जाए।
‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान हुए बीमार
दरअसल, पूर्व सैनिक भारतीय संसद पर हुए आतंकवादी हमले के बाद ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान बीमार हो गया थे, और उन्हें सांबा के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां उन्हें एक यूनिट खून चढ़ाया गया था। जिस दौरान यह दुर्घटना हुआ।
लगभग 1.5 करोड़ रुपये का मुआवजा
अदालत ने पिछले वर्ष 26 सितंबर को पूर्व सैनिक की याचिका पर दिए गए अपने निर्णय में भारतीय वायुसेना को उन्हें मुआवजे के रूप में लगभग 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था, जिसे अब खारिज कर दिया गया है।
पुनर्विचार वाली याचिका खारिज
पीठ ने तीन अप्रैल के अपने आदेश में कहा, हमने 26 सितंबर, 2023 के निर्णय और आदेश के बारे में दोबारा विचार करने के समर्थन में याचिका पर स्टडी की, लेकिन निर्णय में ऐसा कहीं नहीं लिखा कि इस पर दोबारा विचार किया जाए, इसलिए न्यायालय ने सांबा के सेना हॉस्पिटल के कमांडिंग ऑफिसर की दाखिल पुनर्विचार वाली याचिका को खारिज कर दिया।
अदालत ने सितंबर में सुनाए अपने निर्णय में बोला था कि अपीलकर्ता यानी पूर्व सैनिक मुआवजे का हकदार है। मेडिकल ढिलाई बरते जाने की वजह से मुआवजे के रूप में 1,54,73,000 रुपये मिलने चाहिए। साथ ही न्यायालय ने बोला था कि यह राशि वायुसेना छह महीनों के अंदर अपीलकर्ता को दे दी जाऐगी। बता दें, कि न्यायालय ने वायुसेना के पूर्व कर्मी की अपील पर यह निर्णय सुनाया था, जिन्होंने मुआवजे के लिए उनके दावे को राष्ट्रीय उपभोक्ता टकराव निवारण आयोग को खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी।