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जयपुर में चुनावी टिकटों की तरह गाड़ियों के लिए वीआईपी नंबर पाने की मची मारामारी

Vehicles VIP Numbers: सड़कों पर गाड़ी मालकों की हरकत देखकर किसी महान आदमी ने ठीक ही बोला है, ‘भारत की सड़कों पर गाड़ियां कम और ठसक अधिक चलती है’ आदमी ठसक और शौक के लिए क्या नहीं कर देता है खासकर, जो आदमी छोटी सी भी कार खरीद लेता है, उसकी ठसक बढ़ जाती है और, जिस आदमी ने महंगी लग्जरी वाहन खरीदी, उसकी तो खैर बात ही क्या करनी ठसक और शौक ही वह चीज है, जिसे पूरा करने के लिए राजस्थान की राजधानी जयपुर में चुनावी टिकटों की तरह गाड़ियों के लिए वीआईपी नंबर पाने की मारामारी मची है आलम यह है कि वीआईपी नंबर पाने के लिए लोग लाखों की बोली तक लगाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं

वीआईपी नंबर के लिए 20 लाख की बोली

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर के झालाना आरटीओ में अक्टूबर और नंवबर महीने में गाड़ियों के वीआईपी नंबर पाने के लिए जमकर मारामारी हुई रिपोर्ट की मानें, तो 18 अक्टूबर से लेकर 22 नवंबर तक लोगों ने वाहनों के नंबरों पर लगभग 20 लाख रुपये से अधिक खर्च कर दिए ये मूल्य गाड़ी मालिकों ने सिर्फ़ वाहनों के VIP नंबरों के लिए चुकाई है 22 नवंबर को बिके एक नंबर 0001 की मूल्य 5 लाख 5 हजार रुपये थी RTO में पंसदीदा नंबर लेने के की औनलाइन प्रक्रिया है परिवहन विभाग ने VIP नंबर्स की दर फिक्स की हुई है और औनलाइन वो नंबर मांगने पर फिक्स मूल्य चुकानी होती है लेकिन उसी नंबर की अधिक बोली कोई दूसरा गाड़ी मालिक औनलाइन लगा देता है तो फिर वो नंबर उसी को मिलता है जो अधिक पैसे चुकाता है

दो वर्ष में लोगों ने 2 करोड़ से अधिक उड़ाए

जयपुर के झालाना आरटीओ वीरेंद्र सिंह के हवाले से रिपोर्ट में बोला गया है कि पिछले दो वर्षों में राजस्थान के लोगों ने वीआईपी नंबर हासिल करने के लिए करोड़ों रुपये उड़ा दिए रिपोर्ट में बोला गया है कि अपनी वाहन के लिए पंसदीदा नंबर पाने के लिए लोगों ने करीब दो वर्ष में 2,08,11,000 हजार रुपये उड़ाए हैं इसके अतिरिक्त लोग अपनी पुरानी वाहन के नंबरों को भी नयी वाहन पर ट्रांसफर करवाने के लिए हजारों-लाखों रुपये खर्च किए

ऑनलाइन लगती है बोली

सबसे बड़ी बात यह है कि वीआईपी नंबर के लिए औनलाइन बोली लगाई जाती है रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर महीने में टॉप 10 नंबर्स में से सबसे कम मूल्य 0006 नंबर के लिए चुकाई गई है इसके लिए एक लाख 2 हजार रुपये चुकाए गए वीआईपी नंबर मिलना ग्राहक की तकदीर पर निर्भर करता है यदि औनलाइन वीआईपी नंबर लेने पर किसी दूसरे ग्राहक ने बोली नहीं लगाई, तो तय मूल्य पर नंबर मिल जाएगा वहीं, यदि कोई दूसरा आदमी उसी नंबर के लिए औनलाइन में कूद पड़ा, तो फिर वह नंबर महंगे से महंगा हो जाता है सबसे बड़ी बात यह है कि इससे परिवनह विभाग की आमदनी में बढ़ोतरी होती है

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