Lok Sabha Election 2024 : सुबोधकांत की टिकट की राह में उम्र बनी रोड़ा
रांची : कांग्रेस पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर अब भी मंथन चल रहा है। केंद्रीय नेतृत्व उलझन में फंसा है। रांची संसदीय सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय का नाम पहले आगे था, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने धनबाद से ददई दुबे, गोड्डा से फुरकान अंसारी की दावेदारी उम्र अधिक होने के आधार पर खारिज कर दी। अब सुबोधकांत सहाय को टिकट देना सरल नहीं है। श्री सहाय की उम्र 72 हो गयी है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने इसका संकेत भी श्री सहाय को दे दिया है।मंगलवार को श्री सहाय ने अपनी बेटी यशस्विनी सहाय का नाम आगे बढ़ाया है। केंद्रीय नेतृत्व के पास यशस्विनी का पूरा बायोडाटा भेजा गया है। केंद्रीय नेतृत्व भी इस नाम पर मंथन कर रहा है। आलाकमान श्री सहाय को नाराज नहीं करना चाहता है। वहीं केंद्रीय चुनाव समिति के पास मंत्री बन्ना गुप्ता का भी नाम गया है। पहली बार स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में एक ही नाम सुबोधकांत का भेजा गया था। लेकिन उम्र की अड़चन को देखते हुए दूसरे नाम की बारी आयी, तो बन्ना गुप्ता का नाम जुटा। उस समय तक श्री सहाय बेटी को उम्मीदवार बनाने के पक्ष में नहीं थे। लेकिन दूसरी सूची के बाद भी रांची सीट पर निर्णय नहीं हुआ, तो बेटी के नाम पर राजी हो गये।
सुबोधकांत सहाय की बेटी के नाम पर केंद्रीय नेतृत्व राजी होता है, तो चुनावी मैदान में कांग्रेस पार्टी की तीन स्त्री उम्मीदवार होंगी। इसको लेकर भी केंद्रीय नेतृत्व पशोपेश में है। दरअसल प्रदेश कांग्रेस पार्टी के नेताओं को भी इस उलटफेर का अंदाजा नहीं था। गोड्डा से प्रदीप यादव का नाम आगे था, ऐसे में धनबाद से अनुपमा सिंह का नाम आगे बढ़ाया गया। इसके पीछे दलील थी कि एक स्त्री उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाये। अनुपमा सिंह का नाम तय होने के बाद प्रदीप यादव का मुद्दा फंसा गया। इसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी ने दीपिका पांडेय सिंह का नाम आगे बढ़ाया और केंद्रीय नेतृत्व सहमत भी हो गया। अब इधर सुबोधकांत सहाय ने भी अपनी बेटी का नाम आगे बढ़ाया है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा पर साधा निशाना
झारखंड कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा 2024 का चुनाव आम आदमी लड़ रहा है। राहुल गांधी की लड़ाई है। राहुल गांधी ने राष्ट्र के आम आदमी को सामने रख कर सांप्रदायिक ताकतों को उत्तर दे रहे हैं। ऐसे में कार्यकर्ता कांग्रेस पार्टी के साथ हैं। राहुल गांधी के साथ है। कार्यकर्ता की भावना अपने नेता से जुड़ी रहती है। उनकी नाराजगी स्वाभाविक है, लेकिन सब कुछ घर का मुद्दा है। हम इसे मिल बैठक कर दूर करेंगे।