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Lok Sabha Elections : दिल्ली की सरदारी के लिए पंजाब में सजी सियासी बिसात

सूबे में इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायनों में अलग होने वाला है. आम आदमी पार्टी पहली बार पंजाब की सत्ता में रहते हुए चुनाव मैदान में उतर रही है. वहीं, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल भी गठबंधन तोड़ कर पहली बार भिन्न-भिन्न लड़ रहे हैं. शिरोमणि अकाली दल एवं बीएसपी में भी गठबंधन टूट गया है.

सरदार प्रकाश सिंह बादल के बिना पहली बार चुनाव मैदान में उतर रहे शिअद ने चुनाव से ठीक पहले शिअद (संयुक्त) का विलय करवा इस बात के संकेत दिए हैं कि वह रूठों को साथ लेकर चलेगा. उधर, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में तेरह में से आठ सीटें जीतने वाली कांग्रेस पार्टी में भी कई चेहरे बदल गए हैं. खास बात यह है कि चंडीगढ़ और हरियाणा में जफ्फियां डाल रहीं कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी पंजाब में एक-दूसरे के आमने- सामने होंगी, वो भी मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में. ऐसे में इस बार लोकसभा में पंजाब की सरदारी के लिए जंग रोचक होगी.

पिछली बार आप को एक सीट मिली थी. संगरूर से भगवंत मान जीते थे, लेकिन सीएम बनने के बाद हुए उपचुनाव में पार्टी ने यह सीट गंवा दी. इस सीट से शिअद अमृतसर के सिमरनजीत सिंह मान जीत गए. बाद में जालंधर से कांग्रेस पार्टी सांसद चौधरी संतोख सिंह के मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में आप ने जालंधर सीट कांग्रेस पार्टी से छीन ली. यहां से सुशील रिंकू सांसद बने, जो कांग्रेस पार्टी से ही आप में आए थे. आप यूं तो दो बार (2014-2019) में चुनाव लोकसभा लड़ चुकी है, लेकिन ऐसा पहली बार है, जब वह पंजाब में अपनी गवर्नमेंट रहते हुए लोकसभा चुनाव मैदान में उतर रही है. ऐसे में पार्टी सभी 13 सीटों पर जीत का दावा कर रही है.

हम अब तक हुए चुनावों के मुकाबले सबसे अच्छा प्रदर्शन करेंगे. जनता 13-0 के साथ आप को समर्थन देने का मन बना चुकी है. शिअद और कांग्रेस पार्टी के फ्रेंडली मैच से परेशान लोग इस बार परिवर्तन के मूड में हैं. शिअद और कांग्रेस पार्टी परिवारवाद और करप्शन के प्रतीक हैं, जबकि बीजेपी पंजाब और किसान विरोधी पार्टी है. आप विकास के एजेंडे को लेकर चल रही है. यही हमें रिकॉर्ड जीत दिलाएगा.

कांग्रेस ने 2019 में आठ सीटें जीतीं थीं. प्रदेश में अपनी गवर्नमेंट होने का फायदा मिला था. इस बार स्थिति अलग है. कांग्रेस पार्टी ने चार राज्यों में आप के साथ गठबंधन किया है, लेकिन पंजाब में आप उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी है. पंजाब में कांग्रेस पार्टी ने अकेले ही लड़ाई लड़ने का फैसला लिया है. कांग्रेस पार्टी में प्रारम्भ से ही गठबंधन का विरोध हो रहा था. कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और नेता विपक्ष प्रताप बाजवा ने आलाकमान को साफ कर दिया था कि पंजाब में आप से गठबंधन करने से कैडर नाराज हो सकता है. इससे कांग्रेस पार्टी का परंपरागत वोट बैंक खिसक सकता है. पार्टी के सामने अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है.

लोग बीजेपी के दस वर्ष के शासन से तंग आ चुके हैं. केंद्र लगातार पंजाब के साथ भेदभाव कर रहा है. किसानों पर जुल्म किए जा रहे हैं. किसान आंदोलन इसका सबूत है. शिअद इसमें बराबर का भागीदार है. कांग्रेस पार्टी हमेशा किसानों के साथ खड़ी रही है. इस बार भी उनके साथ है. लोकसभा में कांग्रेस पार्टी जितनी मजबूत होगी, किसानों की आवाज उतनी ही मजबूत होगी. आप के झूठे वादों की हकीकत भी सामने आ चुकी है.

 

सीट                      सांसद                     पार्टी

 

गुरदासपुर            सनी देओल             भाजपा

 

अमृतसर       गुरजीत सिंह औजला       कांग्रेस

 

खडूर साहिब    जसबीर सिंह गिल         कांग्रेस

 

जालंधर         सुशील कुमार रिंकू          आप

 

होशियारपुर         सोम प्रकाश             भाजपा

 

आनंदपुर साहिब    मनीष तिवारी          कांग्रेस

 

लुधियाना           रवनीत सिंह बिट्टू       कांग्रेस

 

फतेहगढ़ साहिब    डा अमर सिंह         कांग्रेस

 

फरीदकोट           मोहम्मद सादिक       कांग्रेस

 

फिरोजपुर          सुखबीर सिंह बादल     शिअद

 

बठिंडा          हरसिमतर कौर बादल      शिअद

 

संगरूर          सिमरनजीत सिंह मान     शिअद (अ)

 

पटियाला             परणीत कौर              कांग्रेस

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