लाइफ स्टाइल

अगर इन बेकार चीजों को करते हैं इकट्ठा तो हो जायें सावधन

आपने अपने इर्द-गिर्द कुछ ऐसे लोगों को देखा होगा जो सफाई के दौरान अपने घर से कोई भी पुराना सामान नहीं निकालते हैं और बेकार पड़ी वस्तुओं को भी बहुत सावधानी से रखते हैं. मनोवैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार, ये लक्षण उन लोगों में दिखाई देते हैं जो होर्डिंग डिसऑर्डर नामक गंभीर मनोवैज्ञानिक परेशानी से पीड़ित होते हैं. पूरे विश्व में 2.5% कामकाजी जनसंख्या और 7% बुजुर्ग इस परेशानी से पीड़ित हैं. यह वास्तव में एक प्रकार का जुनूनी-बाध्यकारी विकार है, जो चिंता से संबंधित है.

लक्षणों को कैसे पहचानें
पुरानी चीज़ों से उनका बहुत गहरा और अनावश्यक भावनात्मक लगाव होता है; यदि कोई उनकी पुरानी चीजों को छू देता है तो उन्हें गुस्सा आ जाता है. जो लोग जमाखोरी विकार से पीड़ित हैं वे हमेशा अपने पास रखी चीज़ों की नज़र करते रहते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि ये चीज़ें खो जाएंगी. इस परेशानी से पीड़ित लोगों को हमेशा यह डर सताता रहता है कि भविष्य में किसी खास चीज की आवश्यकता पड़ सकती है और इसीलिए वे किसी भी बेकार या पुरानी चीज को फेंकने के लिए तैयार नहीं होते बल्कि उसे किसी सुरक्षित स्थान पर रख देते हैं.

नुकसान क्या है?
ऐसी आदत के कारण आदमी की जीवनशैली अव्यवस्थित हो जाती है, घर हमेशा गंदा और बिखरा हुआ रहता है, मन तनावग्रस्त और चिंतित रहने लगता है. फैसला लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है. सामाजिक जीवन पर भी नकारात्मक असर पड़ता है. इस परेशानी से पीड़ित आदमी अपने इर्द-गिर्द के लोगों से मिलने-जुलने से कतराने लगता है और उसका मन हमेशा उदास रहता है. जीवन में कुछ नया करने का उत्साह समाप्त हो जाता है क्योंकि आपका मन हमेशा पुरानी बातों और अतीत की यादों में उलझा रहता है. इसलिए वह भविष्य के लिए नयी योजनाएँ बनाने का साहस नहीं जुटा पाता.

ऐसा क्यों होता है
जिन लोगों का बचपन बहुत जरूरतमंद होता है, उन्हें अपनी चीजों से बहुत लगाव होता है, चाहे वे कितने भी पुराने और बेकार हो जाएं, वे उन्हें फेंकने या किसी जरूरतमंद को देने के लिए तैयार नहीं होते हैं. जो लोग असुरक्षित महसूस करते हैं, वे परिवार के सदस्यों से अधिक चीजों पर भरोसा करते हैं और अपनी चीजें किसी को देने के लिए तैयार नहीं होते हैं. आनुवंशिकता भी इसका एक बड़ा कारण है. यदि माता-पिता को ये लक्षण अनुभव होते हैं, तो इस बात की आसार हमेशा बनी रहती है कि उनके बच्चे में भी होर्डिंग डिसऑर्डर की परेशानी हो सकती है. जो लोग खरीदी गई या अपने हाथों से बनाई गई चीजों से बहुत जुड़े होते हैं, वे किसी भी हालात में उन्हें फेंकने या तीसरे पक्ष को देने के लिए तैयार नहीं होते हैं, यही कारण है कि यह परेशानी कभी-कभी बदतर हो जाती है.

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