लाइफ स्टाइल

असंतुलित हार्मोन्स की वजह से उगते चेहरे पर अनचाहे बाल

कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा का परिणाम आया. इसमें सीतापुर की रहने वाली प्राची निगम ने 10वीं में टॉप किया. उन्होंने 98.50% नंबर हासिल किए. जैसे ही प्राची की फोटो सोशल मीडिया पर सामने आई, लोगों ने उनके चेहरे को लेकर कमेंट करने प्रारम्भ कर दिए. सोशल मीडिया पर प्राची अपनी काबिलियत से अधिक अपनी मूछों को लेकर वायरल हुईं. उन पर खूब मीम्स भी बने.

भारत जैसे राष्ट्र में बॉडी शेमिंग कोई नहीं बात नहीं है. हमारे समाज में यदि लड़की के होंठों के ऊपर बाल आ जाएं या चिन पर अनचाहे बालों की ग्रोथ हो तो लोग तरह-तरह की बातें बनाना प्रारम्भ कर देते हैं. कुछ तो लड़कियों की तुलना मर्दों से भी करने से बाज नहीं आते.

समाज की गहरी घूरती नजरें और पेरेंट्स की लज्जा विद्यालय की बच्चियों तक को भी ब्यूटी सैलून का रास्ता दिखा रही है. लेकिन कोई समझने की प्रयास ही नहीं करता कि कम उम्र लड़की या किसी स्त्री के चेहरे पर दाड़ी-मूछ क्यों आती है. यह एक मेडिकल प्रॉब्लम है जो उपचार और साधारण ब्यूटी ट्रीटमेंट से संभल जाती है.

सोशल मीडिया पर वायरल हुई प्राची निगम की फोटो

गायनेकोलॉजिस्ट डाक्टर मीरा पाठक कहती हैं अक्सर चेहरे पर अनचाहे बाल असंतुलित हार्मोन्स की वजह से उगते हैं. प्यूबर्टी, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज, हर स्त्री को जीवन में इन तीनों स्टेज से गुजरना पड़ता है और इन तीनों पड़ावों पर ही शरीर में सबसे अधिक हार्मोन्स का उतार-चढ़ाव होता है. कुछ स्त्रियों के चेहरे पर बालों की मामूली ग्रोथ होती है जो रोएं जैसे दिखते हैं लेकिन कभी-कभी यह बाल काले मोटे नजर आते हैं और मूछों या दाढ़ी की शक्ल ले लेते हैं.

पीसीओएस हो सकता है

खराब लाइफस्टाइल के चलते आजकल अधिकांश लड़कियां पोलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का शिकार हैं. पीसीओएस (PCOS) की वजह से उन्हें रेगुलर पीरियड्स नहीं आते. यह हार्मोन से जुड़ी ही रोग है. इस रोग में ओवेरी में सूजन आने से फीमेल हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है. इससे स्त्रियों के चहरे पर बालों की ग्रोथ बढ़ जाती है. पीसीओएस के दौरान हेयर फॉल और वजन बढ़ने की परेशानी भी होती है.

लड़कियों के शरीर में बढ़ता मेल हार्मोन

‘टेस्टोस्टेरॉन’ मेल संभोग हॉर्मोन होता है लेकिन जब किसी लड़की या स्त्री के शरीर में इनका लेवल बढ़ने लगता है तो उनके चेहरे और शरीर के बाकी हिस्सों पर बाल अधिक उगने लगते हैं. इस हार्मोन के बढ़ने पर स्त्रियों की आवाज में भारीपन भी आ सकता है.

केरल के कन्नूर में रहने वालीं शायजा रखती हैं मूंछ

दवाइयों का भी असर

डॉ मीरा कहती हैं कि जो महिलाएं हार्मोनल थेरेपी ले रही हैं, उनमें भी चेहरे पर बाल उभरने की परेशानी देखी जाती है. इस स्थिति में स्त्री के शरीर में अजीबोगरीब तरह से बाल उगने के मुद्दे भी सामने आते हैं.

एनजाइम्स में गड़बड़ी

महिलाओं के शरीर में महत्वपूर्ण एनजाइम की कमी होने के दौरान मेल हॉर्मोन बढ़ जाता है. कुछ स्त्रियों को थाइराइड की वजह से भी चेहरे पर अनचाहे बाल उगने लगते हैं.

फेशियल वैक्सिंग सोच-समझकर कराएं

ब्यूटी एक्सपर्ट जैस्मिन कहती हैं, “चेहरे पर ब्राजीलियन वैक्स का इस्तेमाल सेफ होता है. इससे वैक्सिंग करने के दौरान दर्द कम होता है. हालांकि, चेहरे पर वैक्सिंग करवाने से पहले पैच टेस्ट करना महत्वपूर्ण होता है, ताकि पता चले कि यह फेस पर सूट करेगा या नहीं. वैक्सिंग करते हुए बाल को उनकी दिशा के उल्टा खींचा जाता है, ताकि अनचाहे बाल अच्छी तरह निकल जाएं.

फेशियल हेयर पर वैक्सिंग करवाने से पहले चेहरे को फेस वॉश या जेंटल सोप से साफ करें. साफ चेहरे पर वैक्स करवाने से बाल एक बार में अच्छी तरह निकल जाते हैं. जिनकी स्किन ऑयली होती है, या जिनके चेहरे पर पसीना अधिक आता है, उन्हें बिना चेहरा धोएं, वैक्स नहीं करवाना चाहिए. ऐसा करने से बाल आधे-अधूरे निकलते हैं और दर्द अधिक होता है.

वैक्स करने से त्वचा खिंचती है. जल्दी-जल्दी वैक्स करवाने से चेहरे पर ऐजिंग तेजी से बढ़ती है, जिनमें झुर्रियां और झाइयां शामिल हैं. जिन्हें फेस वैक्स सूट नहीं करता, उनके चेहरे पर सूजन या दाने निकल आने की कम्पलेन हो सकती है, इसलिए फेस वैक्सिंग करवाते हुए सावधानी बरतें.

फेस वैक्स करवाने के फौरन बाद ब्लीच करने से बचना चाहिए.

ब्रिटेन की हरनाम कौर दाढ़ी रखने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की स्त्री बनीं. वह भी चेहरे पर उगे बालों को लेकर खूब सताई गईं.

लेजर भी अच्छा विकल्प

जिन स्त्रियों के चेहरे पर अनचाहे बाल आते हैं, उनके लिए लेजर एक अच्छा ऑप्शन है.

लेजर का मतलब है Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation. हेयर रिडक्शन के लिए लेजर ट्रीटमेंट मेलानिन पर काम करता है. मेलानिन स्किन में उपस्थित केमिकल होता है जिससे बालों के रंग और स्किन का कॉम्प्लेक्शन तय होता है.

डर्मेटोलॉजिस्ट डाक्टर कशिश कालरा कहते हैं कि लेजर हेयर रिडक्शन बीम की सहायता से होता है.

इस ट्रीटमेंट से बाल धीरे-धीरे कम होने लगते हैं. वे सॉफ्ट हो जाते हैं और बालों के ग्रो होने की गति कम हो जाती है.

लेजर से बल्प यानी बालों की जड़ों को गलाया जाता है क्योंकि इसके अंदर मेलानिन होता है. जिसमें मेलानिन की अधिक मात्रा होगी, बाल उतने ही काले होंगे.

यानी हेयर रिडक्शन टेक्नीक में लेजर बालों को नहीं बल्कि उसके अंदर के मेलानिन के कलर को टारगेट करता है.

महिला के चेहरे पर बालों की ग्रोथ नॉर्मल है तो 7 से 8 सेशन में ही हेयर रिडक्शन थेरेपी के अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं.

जो बाल शरीर पर बच जाते हैं उसके लिए 4-5 महीने बाद दोबारा लेजर ट्रीटमेंट रिपीट किया जाता है.

PCOS में बढ़ जाती है सीटिंग

अगर कोई लड़की PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) की शिकार है तो उसके लेजर सेशन की सीटिंग बढ़ जाती है क्योंकि इस रोग में बालों की ग्रोथ बहुत अधिक होती है.

अगर किसी को पीसीओएस है तो लेजर के साथ-साथ उनका गायनेकोलॉजिस्ट और हॉर्मोन स्पेशलिस्ट चिकित्सक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से उपचार करवाया जाता है.

अफसोस कि सारा सोशल मीडिया प्राची निगम की काबिलियत को भूलकर उसकी दाढ़ी-मूंछ देखने में लगा है. भविष्य में प्राची इंजीनियर बनने का सपना देख रही है. क्या ही अच्छा होता कि सोशल मीडिया प्राची का हौसला बढ़ाता और उसे ट्रोल करने की बजाय उसको कामयाबी की दुआ देता.

जरा सोचकर देखिए जिस लड़की ने रात-दिन एक करके इस कामयाबी को पाया है, उसके दिमाग पर इस ट्रोलिंग का क्या असर पड़ा होगा. एक यंग पॉजिटिव सक्सेसफुल माइंड को तंग करने का यह ढंग ठीक नहीं है. जबकि यह एक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी है जो समय के साथ ठीक हो सकती है.

 

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