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17 अप्रैल को नवरात्रि की नवमी, नोट कर लें पूजाविधि

Navaratri Navami: धार्मिक दृष्टि से नवरात्रि की नवमी तिथि बहुत मवहत्वपूर्ण मानी जाती है. नवरात्रि की नवमी शक्ति आराधना पर्व का अंतिम दिन माना जाता है. इसी दिन कई लोग कन्या पूजा, हवन पूजन और व्रत का पारण भी करते हैं. उदया तिथि के मुताबिक 17 अप्रैल, बुधवार को नवमी है. ऐसे में यदि आप नवमी तिथि पर कन्या और हवन पूजन करने वालें हैं तो जान लें पूजा के मुहूर्त, विधि और व्रत पारण का टाइम-

नवमी कब से कब तक?
नवमी तिथि प्रारम्भ- अप्रैल 16, 2024 को 01:23 पी एम बजे
नवमी तिथि समाप्त- अप्रैल 17, 2024 को 03:14 पी एम बजे

पूजा का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:25 ए एम से 05:09 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04:47 ए एम से 05:53 ए एम
अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:22 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:47 पी एम से 07:09 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06:48 पी एम से 07:55 पी एम
रवि योग- पूरे दिन
निशिता मुहूर्त- 11:58 पी एम से 12:42 ए एम, अप्रैल 18
चैत्र नवरात्रि पारण समय – 03:14 पी एम के बाद

मां दुर्गा पूजा-विधि
सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें
माता का गंगाजल से अभिषेक करें
अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें
प्रसाद के रूप में पूरी, चना और खीर/हलवा चढ़ाएं
घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
हवन पूजन करें
पान के पत्ते पर कपूर रख माता की आरती करें
अंत में क्षमा प्राथर्ना करें

मंत्र
ऊं दुर्गाय नम:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी. दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते..

कन्या पूजन विधि 
नवरात्रि की पूजा बिना कन्या पूजन के अधूरी मानी जाती है. नवरात्रि के 9 दिन में किसी भी दिन कन्या पूजन की जा सकती है. वहीं, अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना बहुत शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 10 साल तक की कन्याओं की पूजा करना अति पुण्यदायक माना जाता है. कन्याओं के साथ एक बालक की भैरों बाबा के रूप में भी पूजा की जाती है. 9 कन्याओं और एक बालक की पूजा करना शुभ माना जाता है.

1- कन्याओं को 1 दिन पहले ही आमंत्रित करें
2- सभी कन्याओं के पांव को साफ जल, दूध और पुष्प मिश्रित पानी से धोएं
3- फिर कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें
4- आप सभी कन्याओं को लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं
5- श्रद्धा मुताबिक कन्याओं को चुनरी भी उढ़ा सकते हैं
6- अब कन्याओं को भोजन कराएं
7- दक्षिण या उपहार देकर सभी कन्याओं के पांव छूकर आशीर्वाद लें
8- माता रानी का ध्यान कर क्षमा प्रार्थना करें

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