लाइफ स्टाइल

इन आदतों को बदलकर चेहरे की झुर्रियों को करे आसानी से दूर

बदलती लाइफ स्टाइल के कारण अब उम्र से पहले ही चेहरे पर झुर्रियां नजर आने लगती हैं. ऐसे में कुछ आदतें बदलकर झुर्रियों को सरलता से रोका जा सकता है.

मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल की कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन डाक्टर मंजूषा अग्रवाल बता रही हैं उन आदतों के बारे में जिन्हें बदलकर आप अपने चेहरे की झुर्रियों को बढ़ने से रोक सकते हैं.

झुर्रियां हटाने के लिए सेलिब्रिटीज सर्जरी तक कराते हैं. लेकिन इस महंगे खर्च से सरलता से बचा जा सकता है. झुर्रियां रोकने के लिए आपको बस अपनी कुछ आदतें बदलनी होंगी.

झुर्रियों के संकेत

बढ़ती उम्र का असर त्वचा पर साफ नजर आने लगता है. त्वचा पहले ढीली पड़ने लगती है, फिर त्वचा पर फाइन लाइन्स और हल्के फोल्ड नजर आने लगते हैं. फिर झुर्रियां तेजी से बढ़ने लगती हैं.

भाव भंगिमाओं पर ध्यान दें

जो लोग लंबे समय तक एक तरह की रेट भंगिमाएं रखते हैं उन्हें उस जगह पर झुर्रियां शीघ्र आ जाती हैं. जिन लोगों के माथे पर हमेशा बल रहता है, जो लोग हर समय हंसते रहते हैं या जो लोग हर समय पान-गुटका खाते रहते हैं, उन्हें उस रेट भंगिमा वाले जगह पर शीघ्र झुर्रियां पड़ जाती हैं. इसलिए अपनी रेट भंगिमाओं पर ध्यान दें. यदि आपके फेशियल एक्सप्रेशन हमेशा एक जैसे रहते हैं तो उन्हें बदलने की आदत डाल लें. इससे आप उस फेशियल एक्सप्रेशन वाले जगह पर शीघ्र झुर्रियां पड़ने से रोक सकते हैं.

ड्राई स्किन को अधिक खतरा

अगर आपकी स्किन ड्राई है तो आपको झुर्रियों से बचने के तरीका 30 की उम्र के बाद से ही प्रारम्भ कर देने चाहिए. आप नियमित रूप से स्किन पर मॉइस्चराइजर लगाएं. घर से बाहर निकलने से पहले कम से कम 30 एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन लगाएं. साथ ही नियमित रूप से त्वचा की ऑयल मालिश करते रहें. इससे त्वचा रूखी नजर नहीं आएगी.

पानी बचाए झुर्रियों से

झुर्रियों से बचने का निःशुल्क उपचार है पानी. जो लोग प्रतिदिन पर्याप्त पानी पीते हैं उनके चेहरे पर शीघ्र झुर्रियां नजर नहीं आतीं. शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पानी पीना महत्वपूर्ण है. पानी पीने से त्वचा की नमी बरकरार रहती है और चेहरे पर उम्र से पहले झुर्रियां नजर नहीं आतीं.

नींद की कमी बनाती है बूढ़ा

अच्छी नींद स्वास्थ्य के साथ साथ स्किन के लिए भी बहुत लाभ वाला है. सोते समय स्किन को रिपेयर होने का मौका मिलता है. अच्छी नींद से सुबह नयी ऊर्जा महसूस होती है और त्वचा की चमक भी बढ़ती है. नींद पूरी न होने पर त्वचा रूखी और बेजान नजर आती है. तनाव और चिडचिडापन महसूस होता है. चेहरे पर उम्र से पहले झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं.

तनाव से दूरी बनाएं

तनाव से कई शारीरिक, मानसिक रोंगों के अतिरिक्त त्वचा पर झुर्रियां भी उम्र से पहले दिखाई देने लगती हैं. झुर्रियों से बचने के लिए तनाव से बचने की प्रयास करें. इसके लिए प्रतिदिन योग और ध्यान करने से बहुत लाभ मिलता है.

सिगरेट-शराब की लत

जिन लोगों को सिगरेट और शराब की लत होती है उनकी त्वचा उम्र से पहले बूढ़ी नजर आने लगती है. सिगरेट और शराब पीने से स्किन की इलास्टिसिटी कम हो जाती है और त्वचा ढीली पड़ने लगती है. ढीली त्वचा पर झुर्रियां शीघ्र पड़ती हैं. झुर्रियों से बचने के लिए सिगरेट और शराब पीने से बचें.

एक्टिव रहें

30 की उम्र में कार्डियोवास्कुलर एक्सरसाइज करना बहुत लाभ वाला होता है. इससे मेटाबॉलिक दर बढ़ता है जो उम्र बढ़ने की क्रिया को धीमा कर देती है. 40 की उम्र में रेजीस्टेंस एक्सरसाइज करना प्रारम्भ कर देना चाहिए.

रोजाना वॉक करने जाएं. इससे स्वास्थ्य ठीक रहती है, क्योंकि ताजी हवा सांसों में जाती है. इसके अतिरिक्त टहलने से जोड़ों में लचीलापन बना रहता है और पेट की चर्बी कम होती है. साथ ही ऑस्टियोआर्थराइटिस (जोड़ों का दर्द, जकड़न) से बचाव होता है. यदि आप ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं तो वॉक करने से इसकी तीव्रता कम होती है.

सही डाइट लें

जोड़ों के लिए वजन कम करना बहुत लाभ वाला है. वजन कम होने से जोड़ों को अधिक भार नहीं उठाना पड़ता. ऐसी डायट फॉलो करें जिससे वजन कम हो सके. अपने डेली डाइट में दूध, दही, पनीर जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स, फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज जैसी हेल्दी चीजें शामिल करें.

वजन न बढ़ने दें

वजन को कंट्रोल में रखें, उसे बढ़ने न दें. याद रखें आपका 1 किलो बढ़ा हुआ वजन जोड़ों पर 4 गुना भार बढ़ा देता है. बैठे रहने की बजाय रोज के कामकाज और शारीरिक गतिविधियां करते रहें. एक ही दिन घंटों जिम में पसीना बहाने की बजाय प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी नियमित एक्सरसाइज करें या हप्ते में 4-5 दिन जिम जाएं. यदि जोड़ों में बहुत दर्द है, तो चिकित्सक से संपर्क करें.

सर्दियों में जैसे जैसे तापमान गिरने लगता है त्वचा का रूखापन भी बढ़ने लगता है. शरीर के अन्य अंगों की तरह प्राइवेट पार्ट की स्किन भी ड्राई होने लगती है. उस पर सर्दियों में हम गर्म ऊनी कपड़े पहनते हैं. त्वचा का रूखापन, पसीना, ऊनी कपड़ों की लेयर्स और हवा की कमी, ये सब मिलकर बैक्टीरिया के पनपने का माहौल तैयार करते हैं. इससे वजाइनल इंफेक्शन की आसार बढ़ जाती है. मुंबई के हिंदुजा और वॉकहार्ट हॉस्पिटल की गायनेकोलॉजिस्ट डाक्टर सरिता नाइक बता रही हैं सर्दियों में वजाइनल इंफेक्शन के कारण, लक्षण और उपाय. पूरी समाचार पढ़ने के लिए

क्या स्त्रियों को वजाइनल वॉश की वाकई में आवश्यकता है? सच्चाई ये है कि वजाइना को सफाई की आवश्यकता नहीं होती, वो स्वयं अपनी सफाई करती है. वजाइना की बेवजह सफाई करना रोंगों का कारण बन सकता है.वजाइना का नेचुरल एसिडिक पीएच वजाइना की हिफाजत करता है और नुकसानदायक बैक्टीरिया के विरुद्ध सुरक्षा कवच का काम करता है. वजाइनल या इंटीमेट वॉश में उपस्थित केमिकल वजाइना का पीएच बैलेंस बिगाड़ सकते हैं. लंबे समय तक वजाइनल वॉश का इस्तेमाल करने से इंफेक्शन भी हो सकता है. पूरी समाचार पढ़ने के लिए

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