इस देश के लोग आज भी संभालकर क्यों रखते है गुलामों की खोपड़ियां…
हम बात कर रहे हैं जर्मनी की. औपनिवेशिक काल के दौरान गवर्नमेंट पूर्वी अफ्रीकी राष्ट्रों से 1000 से अधिक खोपड़ियाँ अपने साथ लायी और वे आज भी राजधानी बर्लिन के संग्रहालय में रखी हुई हैं. कंकालों को लाने का उद्देश्य विभिन्न नस्लों के लोगों का वैज्ञानिक शोध करना था, ताकि हम जान सकें कि वे इतने मजबूत कैसे हैं. इसके लिए कई बार कोशिश किए गए, लेकिन अभी तक कोई सार्थक रिज़ल्ट सामने नहीं आए हैं.
सरकारी संस्था प्रुशियन कल्चरल हेरिटेज फाउंडेशन के पास 5,600 कंकाल हैं. इनमें 1000 से अधिक रवांडावासियों की खोपड़ियाँ शामिल हैं जबकि कम से कम 60 खोपड़ियाँ तंजानिया मूल की हैं. दोनों राष्ट्रों पर 1885 से 1918 के बीच जर्मनी का शासन था. उसी समय ये कंकाल लाए गए थे. बोला जाता है कि ये कंकाल उन लोगों के हैं जिन्होंने जर्मन सेना से उपद्रव कर उनके विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया था. बाद में उन्हें जर्मन सेना ने मार डाला. उन्हें गुलाम विद्रोही के रूप में वर्णित किया गया है. ये विद्रोही इतने ताकतवर थे कि उन्होंने जर्मन सेना को सेरेण्डर करने पर विवश कर दिया.