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पार्टनर के साथ घूमने के लिए किसी जन्नत से कम नहीं मध्य प्रदेश का पचमढ़ी हिल स्टेशन, करें एक्सप्लोर

ट्रेवल न्यूज़ डेस्क !!! पचमढ़ी शीर्ष जगह पर है. कई नदियों, पहाड़ों, जंगलों और झरनों के गीतों के साथ यहां का हरा-भरा और शांतिपूर्ण वातावरण पर्यटकों को स्वर्गीय शांति देता है. क्योंकि शीतकालीन अवकाश यात्रा के दिन चल रहे हैं. तो आज हम आपको मध्य प्रदेश के इस बहुत खूबसूरत वेकेशन डेस्टिनेशन के बारे में बताने जा रहे हैं. क्रिसमस और नए वर्ष के उत्सव के लिए यहां पर्यटकों की भीड़ प्रारम्भ हो जाती है.

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित, पचमढ़ी मध्य हिंदुस्तान के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है. पचमढ़ी समुद्र तल से 1,067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच स्थित होने और इसके खूबसूरत दृश्यों के कारण इसे सतपुड़ा की रानी भी बोला जाता है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण में बहते झरनों के गीत पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. इसके साथ ही यहां ईश्वर शिव शंकर के कई प्राचीन मंदिर भी हैं, जो आपको तीर्थ यात्रा का आश्वासन देते हैं. विश्वास मानिए, यदि आप मध्य प्रदेश के एकमात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल पचमढ़ी जाएंगे तो आप तीर्थयात्रा के साथ-साथ प्रकृति का भी भरपूर आनंद लेंगे.

यह झरना पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है

पचमढ़ी में कई झरने हैं, लेकिन सबसे लोकप्रिय है बी फॉल. इसके अतिरिक्त रजत प्रपात और डचेस फॉल भी काफी लोकप्रिय हैं. इसका नाम बी फॉल इसलिए रखा गया है क्योंकि बोला जाता है कि यह पूरा क्षेत्र जंगल से घिरा हुआ है. इस क्षेत्र में मधुमक्खियों के कई छत्ते पाए जाते हैं. यहां आपको एक बोर्ड भी मिलेगा, जिस पर मधुमक्खियों से सावधान रहने और उनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ न करने की सरकारी चेतावनी लिखी होगी. इसके अतिरिक्त बी काफी ऊंचाई से गिरता है, जिससे गिरने की आवाज आती है. यह मधुमक्खियों की भिनभिनाहट जैसा है. इसीलिए इस झरने को बी फॉल बोला जाता है. यह एक पिकनिक स्पॉट भी है, जहां आप नहाने का आनंद ले सकते हैं. डचेस फ़ॉल पचमढ़ी का सबसे दुर्गम जगह है. यहां पहुंचने के लिए डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. इसका 700 मीटर भाग घने जंगलों से होकर गुजरता है और लगभग 800 मीटर पहाड़ से ढलान वाला है.

सबसे ऊँची चोटी धूपगढ़ है

धूपगढ़ मध्य प्रदेश की सबसे ऊँची चोटी है. इसे प्रियदर्शनी प्वाइंट भी बोला जाता है, जहां से सूर्यास्त का नजारा बहुत सुन्दर दिखता है. यहां तीन पर्वत शिखर दिखाई देते हैं, बाईं ओर चौरदेव, मध्य में महादेव और दाईं ओर धूपगढ़. पचमढ़ी से प्रियदर्शिनी प्वाइंट के रास्ते में नागफनी पर्वत है, जिसका आकार कैक्टस जैसा है. यहां कैक्टस के पौधे प्रचुर मात्रा में हैं.

दरअसल, पचमढ़ी को कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर बोला जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भस्मासुर को स्वयं महादेव ने वरदान दिया था कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखेगा वह जलकर भस्म हो जाएगा. भस्मासुर इस वरदान को स्वयं ईश्वर शिव पर आज़माना चाहता था. ईश्वर शिव ने उनसे बचने के लिए जिन गुफाओं और कंदराओं में शरण ली, वे सभी पचमढ़ी में हैं. इसीलिए यहां ईश्वर शिव के कई मंदिर पाए जाते हैं.

पचमढ़ी को पांडवों के लिए भी जाना जाता है. कई मान्यताओं के अनुसार, पांडवों ने अपने निर्वासन का कुछ समय यहां बिताया था और उनकी यहां पांच झोपड़ियां या मढ़ियां या पांच गुफाएं थीं. जिसके बाद इस स्थान का नाम पचमढ़ी पड़ा. पचमढ़ी में पर्यटकों की यात्रा पांडव गुफा से प्रारम्भ होती है. ये पांचों गुफाएं एक छोटी सी पहाड़ी पर हैं. वैसे इन्हें बौद्ध काल की गुफाएं भी बोला जाता है.

यह मंदिर सबसे मशहूर है

पचमढ़ी में ईश्वर शिव शंकर के दर्शन के लिए आपको पूरा दिन लगाना पड़ सकता है, क्योंकि यहां उनके सबसे अधिक मंदिर हैं. इनमें से सबसे मशहूर जटाशंकर महादेव और गुप्त महादेव मंदिर हैं. गुप्त महादेव तक पहुंचने के लिए दो निकटवर्ती पहाड़ियों के बीच से गुजरना पड़ता है, जबकि जटाशंकर मंदिर पचमढ़ी बस स्टैंड से केवल डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है. वहां पहाड़ से उतरकर गुफा में जाना पड़ता है. बोला जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए भोले शंकर इन्हीं दो स्थानों पर छुपे थे. इसके अतिरिक्त तीसरा मशहूर मंदिर महादेव मंदिर है, जिसके बारे में मान्यता है कि भस्मासुर से बचने के बाद शिव अंततः यहीं छुपे थे और यहीं पर ईश्वर विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था और भस्मासुर पर बलपूर्वक हाथ रखकर उसे भस्म कर दिया था. अपने ही सिर पर इन मंदिरों और झरनों के अतिरिक्त डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलवतरण, सुंदर कुंड, ईरान ताल, धूपगढ़, सतपुड़ा नेशनल पार्क आदि भी घूमने लायक जगहें हैं.

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