बाराही देवी मंदिर में दर्शन मात्र से दूर होती है ये गंभीर बीमारियां
भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक बाराही देवी मंदिर विश्व फेमस है. मान्यता के अनुसार इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से गंभीर रोंगों से पीड़ित लोग ठीक हो जाते हैं. यहां तक की नेत्रहीन आदमी के आंखों की रोशनी भी वापस आ जाती है. शिव पुराण के अनुसार माता सती ने ईश्वर शिव के अपमान से दुखी होकर अपने शरीर को योगाग्नि में भस्म कर दिया था.
जिसके बाद ईश्वर शिव इस घटना से इतना अधिक विचलित हुए कि वह माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे. यह देख ईश्वर श्रीहरि विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े कर दिए. माता सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे वह शक्तिपीठ बन गए.
इन्हीं शक्तिपीठों में बाराही देवी शक्तिपीठ है. इसको उत्तरभवानी देवी का मंदिर भी बोला जाता है. बता दें कि राष्ट्र भर में फेमस 51 शक्तिपीठों में बाराही देवी मंदिर 354वें जगह पर है. कहा जाता है कि इस जगह पर माता सती का जबड़ा गिरा था. इस मंदिर में जो भी जातक दर्शन करता है, उसके आंखों की रोशनी ठीक हो जाती है.
बाराही देवी मंदिर
अयोध्या से करीब 36 किलोमीटर दूर बाराही देवी मंदिर स्थित है. बाराही देवी मंदिर वटवृक्ष की जड़ों से घिरा हुआ है. लगभग एक किलोमीटर में वटवृक्ष का पेड़ फैला हुआ है. यह वृक्ष एशिया के दूसरे सबसे बड़े वटवृक्षों में से एक है. कहा जा रहा है कि यह पेड़ करीब 1800 वर्ष पुराना है.
दर्शन मात्र से दूर होती हैं गंभीर बीमारियां
बाराही देवी मंदिर के पुजारी के अनुसार मंदिर को लेकर भक्तों में अटूट श्रद्धा देखने को मिलती है. मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में माता के दर्शन से कई बड़े बीमारी ठीक हो जाते हैं. पुजारी ने कहा कि मंदिर में एक नेत्रहीन आदमी आया था, जो कई अच्छे हॉस्पिटल में उपचार करवा चुके थे, लेकिन उनको कोई लाभ नहीं मिला था.
इसके बाद वह निराश होकर मंदिर दर्शन के लिए आया. मंदिर में आने के बाद नेत्रहीन आदमी की आंखों में वटवृक्ष से निकलने वाला दूध डाला गया था. जिसके बाद माता रानी के करिश्मा से नेत्रहीन आदमी की आंखें बिलकुल ठीक हो गईं. कहा जाता है कि नवरात्रि अष्टमी को मेला लगता है. इस दौरान दूर-दूर से लोग मां बाराही के दर्शन करने नंगे पैर आते हैं. मंदिर में आने वाले भक्त केवल हिंदू ही नहीं बल्कि मुसलमान भी हैं.