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लाल रंग के इस फूल को देखते ही छटपटा कर मर जाते हैं कीड़े

अक्सर देखा जाता है कि हमारे आसपास बहुत सारे पेड़-पौधे होते हैं लेकिन हमें उन पेड़ पौधों की जानकारी नहीं होती है. बहुत से पेड़-पौधे ऐसे होते हैं जो औषधि के रूप में भी काफी कारागर माने जाते हैं. जिनका सेवन करने से हमारे शरीर की कई प्रकार की बीमारियों को दूर किया जा सकता है. तो वहीं उन्ही में से एक है ढाक का पेड़. यह एक औषधीय पेड़ है, जिसे पलाश और टेसू के नाम से भी जाना जाता है. जो एक तरह से गर्मियों में व्यक्ति के शरीर को ठंडक पहुंचाने और पेट में किसी भी प्रकार के कीड़े को जड़ से खत्म करने में ही रामबाण इलाज का काम करता है. इसके अलावा अन्य कई बीमारियों में भी है फायदेमंद होता है.

हिंदू कॉलेज विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात डॉक्टर अमित वैश्य ने बताया कि ढाक यानि पलाश एक बहुत ही महत्वपूर्ण वृक्ष है. यह उत्तर प्रदेश का और झारखंड का राजकीय पुष्प भी है. इसका वानस्पतिक नाम है बूटियां मोनोस्पर्मा, इसके साथ ही यह फेवैसी कुल का सदस्य है. इसके साथ ही आपने एक बहुत पुरानी कहावत भी सुनी होगी. ढाक के तीन पात, वह कहावत इसी पेड़ से शुरू की गई है. क्योंकि इस पेड़ के तीन पत्ते होते हैं. उसी के आधार पर ढाक के तीन पात वाली कहावत बनी है.

टेसू के नाम से भी जाना जाता है वृक्ष
इसके अलावा इसे टेसू के नाम से भी जाना जाता है. इसको पलाश के नाम से भी जाना जाता है. इसके पुष्प बहुत सुंदर होते हैं. लाल पीले नारंगी शेड लिए होते हैं. इसके साथ ही होली पर इसके पुष्प से कलर भी तैयार किया जाता है. इसके औषधीय गुणों की बात की जाए तो इसके फूलों को पानी में भिगो दिया जाता है और भीगी फूलों के पानी से यदि स्नान किया जाए तो शरीर को ठंडक मिलती है मन को शांति मिलती है. साथ ही साथ स्क्रीन के लिए भी बहुत उपयोगी माना गया है.

पेट के कीड़ों के लिए पलाश
पलाश के फूलों के अहम स्वास्थ्य लाभों में से एक पेट के कीड़ों को दूर करना भी शामिल है. पलाश के फूलों में मौजूद कृमिनाशक तत्‍व पेट के कीड़ों को दूर करने में अत्यधिक प्रभावी होते हैं. इसकी जो फलिया होती है. वह पेट की कीड़ों को करने में इस्तेमाल की जाती हैं. पलाश के फूलों का रस कई गंभीर रोगों में भी फायदा पहुंचाता है. इनका रस उन रोगियों को दिया जाता है, जो मूत्राशय की सूजन और पेशाब से संबंधित दिक्‍कतों से जूझ रहे हैं.

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