लाइफ स्टाइल

स्पेशल चाइल्ड की मां बनीं तो सूझा बिजनेस का ये आइडिया

वो बीकॉम की पढ़ाई के साथ साथ सीए की तैयारी कर रही थीं. लेकिन 21 वर्ष में विवाह हो गई और पढ़ाई बीच में ही छूट गई. उन्होंने स्वयं को घर की जिम्मेदारियों में बिजी कर दिया. विवाह के डेढ़ वर्ष बाद स्पेशल चाइल्ड की मां बनीं और जीवन जैसे 360 डिग्री घूम गई.

इस नयी और बहुत बड़ी जिम्मेदारी के लिए वो मानसिक रूप से तैयार नहीं थीं, लेकिन हालात ने उन्हें समय से पहले मैच्योर होना सिखा दिया. घर की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए उन्होंने कुकिंग क्लासेस की आरंभ की और फिर उनकी जीवन बदल गई. आज कुकिंग ही उनकी पहचान बन गई है. ‘ये मैं हूं’ में जानिए बुरे समय को बिजनेस में बदलने वाली कुकरी एक्सपर्ट हंसा कारिया की कहानी…

शादी हुई तो पढ़ाई छूट गई

मेरी परवरिश और पढ़ाई सांताक्रूज, मुंबई में हुई. पापा का ट्रांसपोर्ट का बिजनेस था. चार बहनों में मैं सबसे बड़ी हूं. मैं पढ़ाई में अच्छी थी इसलिए तीनों छोटी बहनों की पढ़ाई की जिम्मेदारी मुझ पर थी. मेरे चाचा उम्र में मुझसे आठ वर्ष ही बड़े थे इसलिए वो मुझे पढ़ाते थे.

बीकॉम की पढ़ाई के साथ साथ मैंने सीए की तैयारी प्रारम्भ कर दी. लेकिन 21 वर्ष में मेरी विवाह हो गई, जिसके कारण सीए की पढ़ाई बीच में ही छूट गई. मेरी विवाह मुंबई (मुलुंड) में ही हुई इसलिए मुझे अपना शहर नहीं छोड़ना पड़ा. लेकिन विवाह के बाद जीवन पूरी तरह से बदल गई.

शादी के बाद मैंने स्वयं को घर-गृहस्थी में बिजी कर दिया. साथ ही अपना शौक पूरा करने के लिए दो वर्ष मैंने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स भी किया. लेकिन मैं फैशन डिजाइनिंग में अधिक कुछ नहीं कर पाई. इसकी वजह थी मेरा मां बनना.

स्पेशल चाइल्ड की मां होना सरल नहीं

शादी के डेढ़ वर्ष बाद जब मैं मां बनी तो एक नया संघर्ष मेरा प्रतीक्षा कर रहा था. मेरा बड़ा बेटा स्पेशल चाइल्ड है. उसके पैदा होने का संघर्ष याद करती हूं तो मेरी रूह कांप जाती है.

जन्म के समय बेटे के गले में अम्बिलिकल कॉर्ड फंस गया. लेकिन चिकित्सक सिजेरियन डिलीवरी की बजाय नॉर्मल डिलीवरी की प्रयास कर रहे थे. इस सब में इतना समय लग गया कि जब बच्चा बाहर आया तो वह रो नहीं पाया.

फिर चाइल्ड स्पेशलिस्ट को बुलाया गया. बेटे पर गुनगुना पानी डाला गया, पीठ थपथपाई, विपरीत किया गया, लेकिन वो नहीं रोया.

जन्म के काफी समय बाद तक ऑक्सीजन न ले पाने के कारण उसका ब्रेन डैमेज हो गया, ब्रेन से बॉडी का कनेक्शन नहीं बन पाया. उस मासूम को तो समाचार भी नहीं थी कि अब उसे पूरी जीवन स्पेशल चाइल्ड की तरह गुजारनी होगी.

बेटे के जन्म के कुछ दिन बाद तक किसी ने मुझे कुछ नहीं बताया. जब मैं बेटे के बारे में पूछती तो घरवाले मुझसे कहते कि उसे पेटी (मशीन) में रखा है. लेकिन घर जाने से पहले चिकित्सक ने मुझे साफ बता दिया कि मैं एक स्पेशल चाइल्ड की मां हूं और आगे का यात्रा मेरे लिए इतना सरल नहीं है.

घर आकर मैं बहुत रोई. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूं. बड़ा बेटा अब 30 वर्ष का हो गया है, लेकिन वो अपने पर्सनल काम नहीं कर सकता. बैठ भी नहीं सकता. घर में उसके साथ किसी एक को रहना ही पड़ता है. लेकिन अब हमें इसकी आदत हो गई है, अब ये हमारी जीवन का हिस्सा बन चुका है.

बुरे समय में सूझा बिजनेस आइडिया

बेटे के जन्म के बाद घर के खर्च बढ़ने लगे. चिकित्सक की फीस चुकाने में हमारा काफी पैसा खर्च हो जाता. पति भी तब करियर की शुरुआती स्टेज में थे, उस पर हमारी जॉइंट फैमिली भी अलग हो चुकी थी. हमारी फायनेंशियल कंडिशन ऐसी नहीं थी कि केवल एक की कमाई से घर चल पाता.

मैं घर की आर्थिक स्थिति सुधारने में अपना सहयोग करना चाहती थी, लेकिन मेरी परेशानी ये थी कि मैं बेटे को छोड़कर घर से बाहर नहीं जा सकती थी. जब कुछ नहीं सूझा तो मैंने घर पर ही स्टूडेंट्स और होममेकर्स को आर्ट, क्राफ्ट और कुकिंग सिखाना प्रारम्भ कर दिया.

मैं आरंभ में ऐसे कोर्स सिखाती थी जिनमें मुझे अधिक पैसे खर्च न करने पड़ें. पहले मैंने चॉकलेट, आइसक्रीम, केक बनाना सिखाना प्रारम्भ किया. मैंने 20 से 35 रुपए फीस से अपने कुकिंग क्लासेस की आरंभ की है.

मेरा काम लोगों को पसंद आने लगा. मुझे लोगों का इतना अच्छा रिस्पांस मिला कि मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ने लगा. धीरे-धीरे मैंने कुकिंग की अधिक वैरायटी सिखानी शरु कर दी. आज मेरी कुकिंग क्लास इतनी प्रसिद्ध हो गई है कि कुकिंग ही मेरी पहचान बन चुकी है.

दादी की सिखाई स्किल काम आई

मेरी दादी बहुत अच्छा खाना बनाती थीं. आस पड़ोस की महिलाएं उनसे कई तरह के पकवान और अचार बनाना सीखने आती थीं. पढ़ाई में बिजी रहने के कारण मेरे पास कुकिंग का समय बहुत कम ही होता था, लेकिन जब भी समय होता तो मैं दादी को खाना बनाते देखती और उनसे कुकिंग सीखती. दादी की सिखाई कुकिंग स्किल जीवन में मेरे इतने काम आएगी ये मैंने कभी सोचा नहीं था.

9 वर्ष बाद फिर मां बनी

हमारा पूरा ध्यान बेटे की परवरिश पर था, फिर मेरा कुकिंग क्लासेस का काम भी काफी बढ़ गया था, इसलिए मुझे कभी दोबारा मां बनने का खयाल तक नहीं आया. लेकिन 9 वर्ष बाद मैं एक्सीडेंटली प्रेग्नेंट हो गई. जब प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो मैं डर गई कि कहीं फिर से मेरे साथ ऐसा ही तो नहीं होगा.

जब हम चिकित्सक से मिले तो उन्होंने आश्वासन दिया कि महत्वपूर्ण नहीं पहला बच्चा स्पेशल चाइल्ड है तो दूसरा भी हो. चिकित्सक ने मुझे एहतियात बरतने को कहा. लेकिन प्रेग्नेंसी के सात महीने तक मैं पहले की तरह ही कुकिंग क्लासेस लेती रही. फिर जब चिकित्सक ने डराया तो मैंने काम करना बंद किया.

छोटा बेटा बड़ा भाई बन गया

मेरे दोनों बेटों में 9 वर्ष का फर्क है, लेकिन छोटा बेटा अपने बड़े भाई का ऐसे ध्यान रखता है कि जैसे वो बड़ा भाई हो. अब तो वो बड़े भाई को फिल्म दिखाने भी ले जाता है, उसके लिए रिक्लाइनर चेयर अरेंज करता है. दोनों भाइयों का प्यार देखकर बहुत खुशी होती है कि दोनों ने एक दूसरे के साथ जीना सीख लिया है.

काम नहीं छोड़ सकती

मैं वर्षों से काम कर रही हूं. अब पति का अकाउंट्स और टैक्स कंसल्टेंसी का बिजनेस भी अच्छा चलने लगा है. अब घरवाले चाहते हैं कि मैं बहुत अधिक काम न करूं. लेकिन मैं काम किए बिना नहीं रह सकती. मैंने काम भले ही कम कर दिया है, लेकिन मैं काम करना बंद नहीं कर सकती. कुकिंग ने मुझे बुरे समय में जीने का हौसला दिया, आत्मनिर्भर बनाया, एक नयी पहचान दी. कुकिंग मेरा पैशन है, मैं ये काम नहीं छोड़ सकूंगी.

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